निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय


निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय

स्वस्थ लोकतंत्र और स्वस्थ पत्रकारिता हमारी आवश्यकता

 
ravish

पत्रकारिता जनतंत्र का पांचवा सतम्भ है। एक स्वस्थ सत्ता को अपने आलोचकों की भी सुननी चाहिये। डिजिटल मीडिया में एक बहुत बड़ी घटना घटी, जब भारत के सबसे अमीर घराने ने न्यूज़ चैनल NDTV का अधिग्रहण कर लिया। स्पष्टतया, इस परिवर्तन से NDTV के आचार विचार में आमूलचूल परिवर्तन होंगे एवं नए दिशा निर्देशों में रवीश फिट नहीं बैठेंगे और इससे पहले की उन्हें निकला जाय, उन्होंने स्वतः ही त्यागपत्र दे दिया।

अब रवीश की आवाज अब NDTV पर नहीं छाएगी। एक आवाज जिससे मैं चाहे पूर्ण रूप से सहमत नहीं, परन्तु लोकतंत्र में जहां पत्रकारिता को पांचवा स्तम्भ कहा गया और एक ऐसी विधा जो जिससे यह उम्मीद की जाती है वह हिज मास्टर्स वौइस नही होती यानी जो सत्ता की कमी बताएं, आगाह करें।

पिछले दशक में अधिकांश डिजिटल मीडिया एक राग दरबारी की तरह अपना राग अलापते रहे वहां कुछ गिनती के लोग सत्ता की ट्यून पर डांस करते नहीं दिखे उनमे NDTV और रवीश मुखर है। अब NDTV से इस्तीफा देने के बाद शायद कोई प्रमुख चैनल में रवीश न दिखे व यूट्यूब जैसे माध्यम का सहारा लें या फिर गुमनामी के अंधेरे लील हो जाय, जो भी हो मैं तो यही कहूंगा मिस यु रवीश! रवीश पर घोर कम्युनिस्ट होने के आरोप लगते रहे और कहा जाता रहा वे किसी निश्चित एजेंडा पर काम करते है।

फिर भी यह मानना पड़ेगा कि उनकी बातें तथ्यपूर्ण होती थी

रवीश की चिंता मत करिए... वो तो भारतीय जर्नलिज्म के सितारे है और सितारे चमकते रहते हैं... वो कहीं भी किसी भी माध्यम से अपनी बात कहेंगे तो भी उनकी बात सुनी जाएगी । धन उपार्जन से बड़ी बात अभिव्यक्ति कि आज़ादी जो संविधान द्वारा प्रद्दत है। ऐसी अभिव्यक्ति जो गलतिया उजागर करें, आमजन कि समस्याओं को सार्वजानिक करें, ध्यानाकर्षण करे, यही पत्रकारिता का धरम है। फिलहाल अपना यूट्यूब चैनल बनाकर वो संपर्क में रहेंगे और आवाज बुलंद करेंगें।

चिंता तो एनडीटीवी को अपनी होनी चाहिए... एनडीटीवी बदले माहौल नव नीति में क्या अपना अतीत बचा रख सकेगी या अन्य चैनल कि भीड़ में खो जायेगा? जो भी हो, अभी तो एक शून्य सर्जित हुआ है जो कभी भरेगा, देखने वाली बात है। आरोप यह भी कि एक पत्रकार से निपटने के लिए पूरा चैनल ख़रीद डाला, बातें तो बहुत होती रहेगी परन्तु स्वस्थ लोकतंत्र और स्वस्थ पत्रकारिता हमारी आवश्यकता है। गर्दिश में जाने वाले रवीश फिर चमकेंगे ऐसी उम्मीद कि जानी चाहिये।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal