Photo Feature: इन महिलाओं के लिए कोई काम छोटा नहीं है


Photo Feature: इन महिलाओं के लिए कोई काम छोटा नहीं है

अजमेर की आनासागर झील के पास सुभाष गार्डन के करीब कई महिलाएं छोटे स्तर पर दुकान चलाकर न केवल परिवार का भरण पोषण कर रही हैं बल्कि सशक्तिकरण की एक नई परिभाषा भी लिख रही हैं।
 
No job is too small for these women Photo Feature by Rukhsana for Charkha Feature, from Ajmer Rajasthan
Contributed by: Rukhsana, Ajmer

Ajmer, February 5: वैसे तो पूरा राजस्थान ही अपने आप में पर्यटन का केंद्र है, लेकिन अजमेर उनमें से अलग है। अरावली पर्वत शृंखला स्थित तारागढ़ पहाड़ की ढाल पर बसे इस शहर में पर्यटकों के साथ साथ बड़ी संख्या में सालों भर तीर्थ यात्रियों और ज़ायरीन के आने का तांता लगा रहता है।

इसी शहर में स्थित आनासागर झील को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दादा आणाजी चौहान ने कराया था। उनके नाम पर ही इस झील का नामकरण किया गया है। बाद के राजाओं और मुगल बादशाहों ने इस झील की सुंदरता को बढ़ाने के लिए कई कार्य किए। इसी झील के पास स्थित सुभाष गार्डन के करीब कई महिलाएं छोटे स्तर पर दुकान चलाकर न केवल परिवार का भरण पोषण कर रही हैं बल्कि सशक्तिकरण की एक नई परिभाषा भी लिख रही हैं।

बेटियाँ शांति देवी की मदद करती हैं

इसी सुभाष गार्डन के पास 35 साल की शांति देवी चाय की अपनी छोटी सी दुकान चलाती हैं। यह जगह सालों भर देश विदेश के पर्यटकों से गुलज़ार रहता है। घर की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए वह पिछले कई वर्षों से यहां चाय की दुकान चला रही हैं। पति के जाने के बाद से वह अपनी दो बेटियों और एक बेटा का पालन पोषण इसी दुकान से करती हैं। वह प्रतिदिन 500 से 600 रुपए कमा लेती हैं। जिससे उनके परिवार का गुजर बसर होता है। शांति देवी के काम में मदद के लिए उनकी बेटियां भी दुकान संभालती हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी है। वह कहती हैं कि स्कूल से जुड़े कामों में पैसे लगते हैं। कॉपियाँ खरीदने और अन्य प्रैक्टिकल कामों में पैसे खर्च होते हैं। दुकान से इतनी ही आमदनी होती है जिससे घर का गुजारा चल सके। इसलिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर मां के काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया है।

No job is too small for these women - Women Empowerment from Ajmer

निगम के अधिकारी दुकान हटाने की चेतावनी देते हैं

50 वर्षीय समीना भी सुभाष गार्डन के बाहर फुटपाथ पर अपनी छोटी सी अस्थाई दुकान चलाती हैं। जिसमें खिलौने, खट्टी-मीठी गोलियां और बिस्कुट होती हैं। पति के गुजरने के बाद अपने 4 बच्चों के लालन पालन के लिए उन्होंने इस दुकान को शुरू किया था। गार्डन घूमने आए छोटे बच्चे उनकी दुकान की ओर काफी आकर्षित होते हैं। जिससे उनकी आमदनी हो जाती है। वह एक दिन में 400 से 500 रुपए तक कमा लेती हैं। वह किराये के मकान में रहती हैं। ऐसे में उनकी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा किराये में निकल जाता है। समीना पिछले 14 वर्षों से सुभाष गार्डन के बाहर अपनी दुकान लगा रही हैं। वह बताती हैं कि इस दुकान को लगाने में उन्हें अक्सर कठिनाइयों आती हैं। कई बार नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी उन्हें अपनी दुकान को हटाने की चेतावनी देते रहते हैं। जिसे मैनेज करने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है। वह कहती हैं कि नगर निगम द्वारा संचालित स्थाई दुकान के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ेंगे। जो उनके बजट से बाहर है। इसलिए वह फुटपाथ पर दुकान लगाकर परिवार का पेट पाल रही हैं।

Women EMpowerment - Charkha Feature No job is too small for these women

बच्चों को स्कूल भेजने का समय नहीं होता

मैमूना भी शांति देवी और समीना की तरह ही सुभाष गार्डन के बाहर चाय की दुकान चलाती हैं। जिसमें बिस्कुट की अलग अलग वैरायटी के अलावा कुछ अन्य सामान भी हैं। यह एक प्रकार की परचून की छोटी दुकान की तरह है। दुकान के काम में उनके पति भी मदद करते हैं। वह नागफनी की रहने वाली हैं जो अजमेर से करीब 15 किमी दूर है। प्रतिदिन मैमूना और उनके पति नागफनी से सुभाष गार्डन आना जाना करते हैं। मैमूना की तीन लड़कियां और एक लड़का है। जो अब बड़े हो चुके हैं और घर पर ही रहते हैं। किसी बच्चों ने पढ़ाई नहीं की है। वह कहती हैं कि सुबह सुबह वह अपने पति के साथ दुकान पर चली आती थी। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने का समय नहीं होता था। इसलिए बच्चे कभी स्कूल नहीं गए। मैमूना कहती हैं कि आनासागर झील की वजह से सुभाष गार्डन में सालों भर सैलानियों की आवाजाही बनी रहती है। जिससे दुकान की आमदनी बनी रहती है। झील घूमने के बाद थके हुए लोगों को चाय की तलब उनके दुकान तक खींच लाती है।

Maimoona Women Empowerment in Ajmer Charkha Feature Story, No job is too small for these women

ठेले पर भुट्टा की दुकान

सुभाष गार्डन से कुछ ही दूरी पर स्थित फव्वारा चौक पर 51 वर्षीय सुंदर देवी ठेले पर भुट्टा की दुकान चलाती हैं। वह पिछले 25 सालों से यहां लोगों को ताज़े भुने हुए भुट्टे खिलाती हैं। इससे प्रतिदिन उनकी 300 रुपए की आमदनी हो जाती है। वह बताती हैं कि 15-16 साल की उम्र से ही वह काम करने लगी थी। शादी के कुछ सालों बाद पति ने उन्हें छोड़ दिया। जिसके बाद वह अकेले ही घर की ज़िम्मेदारी उठा रही हैं। सुंदर देवी अजमेर शहर के पास ही अपने बच्चों के साथ एक किराये के मकान में रहती हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उनके बच्चे स्कूल नहीं जा सके। अब वह मां के साथ ही उनके काम में हाथ बंटाते हैं। वह कहती वैसे तो हर समय उनके भुट्टे थोड़े थोड़े बिकते रहते हैं। लेकिन सबसे अधिक शाम के समय इसकी डिमांड बढ़ जाती है जब लोग चाय की चुस्कियों के साथ नींबू मसाले लगे भुट्टे खाना पसंद करते हैं।

Sunder Devi, Women Empowerment, No job is too small for these women

गणेश जी की मूर्तियां बेच कर गुज़ारा

फव्वारा चौक के पास ही 35 वर्षीय संगीता चौपाल लगा कर छोटी छोटी मूर्तियां बेचती हैं। इसमें अधिकतर गणेश जी की मूर्तियां हैं। वह कहती हैं कि लोग सबसे अधिक विघ्न नाशक की मूर्ति खरीदना चाहते हैं। इसलिए डिमांड को देखते हुए उनकी दुकान पर गणेश जी की मूर्ति ज़्यादा नज़र आएगी। वह कहती हैं कि अक्सर त्योहारों के मौसम में इन मूर्तियों की डिमांड काफी बढ़ जाती है। जिससे उनकी काफी अच्छी आमदनी हो जाती है। संगीता बताती हैं कि वह इन सारी मूर्तियों को खुद बनाती हैं। संगीता के तीन बच्चे हैं और सभी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। 12वीं तक पढ़ी संगीता कहती हैं वह शिक्षा के महत्व को बखूबी पहचानती हैं। इसलिए वह अपने बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती हैं। वह कहती हैं कि मैं तो बहुत पढ़ नहीं सकी लेकिन चाहती हूं कि मेरे बच्चे पढ़े और बड़े अफसर बने।

sangeeta women empowerment in Ajmer, No job is too small for these women

आजीविका के लिए इन महिलाओं का संघर्ष लोगों को भले ही आम लगता होगा, लेकिन इस पुरुषवादी समाज में जहां कदम कदम पर महिलाओं के लिए चुनौतियाँ खड़ी की जाती हों, उन्हें आगे बढ़ने से रोका जाता हो, वहां यह महिलाएं अपने आप को स्थापित कर रही हैं। वह बता रही हैं कि उनका यह संघर्ष केवल परिवार के लिए नहीं है बल्कि उन प्रत्येक महिलाओं के लिए है जो आर्थिक रूप से सशक्त होना चाहती हैं।

(चरखा फीचर्स)
(सभी फ़ोटो रुखसाना के कैमरे से लिए गए हैं)

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal