उदयपुर 23 मई 2020। पवित्र माह रमज़ान के 30 रोज़े पूरे होने के बाद दाऊदी बोहरा समुदाय ने ईद मनाई। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लॉकडाउन और बोहरा बहुल क्षेत्र बोहरवाड़ी में कर्फ्यू के चलते इस बार फीकी फीकी सी रही मीठी ईद।
सेवईंया और शीर खुरमा घरो में बने ज़रूर लेकिन सेवईंयों से मिठास ग़ायब ही रही। शीर खुरमा और सेवईंया जितना खाने में मज़ा नहीं आता है, उतना औरो को खिलाने में मज़ा आता है लेकिन इस बार खुद ही इसका सेवन करना पड़ा। सोशल डिस्टनेसिंग के चलते ईद के मौके पर ना तो किसी के गले ही मिल सके, ना गले मिलकर भूले बिसरे दोस्तों के गले लगकर पुराने गिले शिकवे दूर कर पाए और ना ही गर्मजोशी से एक दुसरे के घर जाकर सेवईंयों और मिठाइयों का स्वाद ले पाए। वो तो भला हो सोशल मीडिया का जहाँ पर ईद मुबारक के मैसेज तो भेज पाए।
ईद के अवसर पर गुलज़ार रहने वाली बोहरवाड़ी, लोगो की रेलमपेल, चहल पहल और बोहरा बहुल इलाको में उत्सव सा माहौल इस बार नदारद मिला। बोहरवाड़ी की सूनी गलियों में आज किसी भी प्रकार से ईद की आहट तक महसूस नहीं हुई।
ईद उल फ़ित्र की शुरुआत मोहल्ले की मस्जिदों में एकत्र होकर ईद की विशेष नमाज़ के साथ होती है जहाँ समुदाय का बच्चा बच्चा मस्जिद में एकत्र होता है, लेकिन आज की ईद पर सम्भवतया पहली बार मस्जिदे सूनी रही। सभी मस्जिदों में नमाज़ तो हुई लेकिन एक दो लोग ही नमाज़ अदा कर पाए बाकि लोगो ने घर पर ही मायूस दिल से नमाज़ अदा कर अपने रब को खुश करने की कोशिश की।
अमूमन नमाज़ के बाद समुदाय के लोग नए कपडे पहनकर सजधज कर अपने नाते रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाकर एक दुसरे से गले मिलते है। बच्चो को ईदी बांटते है। लेकिन आज कर्फ्यू के कारण न तो कोई घर से बाहर निकला और न ही बच्चो को ईदी मिल पाई। बड़े बुज़ुर्गो की माने तो ऐसी ईद उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखी है। कई नाते रिश्तेदारों से साल में एक बार सिर्फ ईद पर मिलना होता था, इस बार वंचित रहना पड़ा। खैर जैसे तैसे ईद का दिन तो गुज़र गया। लेकिन एक ख़ुशी ज़रूर है की समुदाय के लोगो ने बड़े ही संयम और सब्र के साथ सोशल डिस्टैन्सिंग की पालना कर सोशल साइट पर ही सही ईद तो मनाई।
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