चांद की ठंडक, दीपक की रोशनी... दूर कर दे कड़वाहट भर दे ज्योति
मेरा रब और तेरा भगवान
मोहब्बत और प्रेम चढ़े परवान
हर बार प्यार का ऐसा रस गोलो
हर दिन ईद और रात दिवाली हो l
मैं धो लू नफरत का मैल
तू भूले घृणा का खेल
बिरयानी की खुशबु, लड्डू की मिठास
दोनों मिल जाए तो बात हो कुछ खास l
चांद की ठंडक, दीपक की रोशनी
दूर कर दे कड़वाहट भर दे ज्योति
हर झोंपडी में घी के दीप जले
सब मिल झुल घर को साफ़ करे l
पड़ोसन लाई क्रिसमस की पुड्डींग
बैसाखी में खाया गुड का हलवा
होली में गटकाई जी भर ठंडाई
पटाखों की लड़ियाँ सिखाती हम आपस में भाई
छोटे से इस जीवन में दिन कम है
थोड़ी खुशियाँ और थोडे ग़म है
तू बड़ा या मै छोटा ये भ्रम है
हम मिल सप्रेम रहे यही अहम है
सुबह सवेरे रब के आगे झुककर
हो जाते राजा और रंक बराबर
ईदगाह मे लगे गले सब यार
चाशनी मे जैसे सिवय्यों के तार
यहां से चाचा, वहां से आयी परजाई
बच्चों ने ईदी ले धूम मचाई
यही दुआ है अब ऐसा हो
हर दिन ईद और रात दिवाली हो !
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