आशियाना बना लूँ चाहे कहीं दूर अपने वतन से... पर मोहब्बत न करेगा दिल किसी और गगन से...
मुझे मोहब्बत है अपने वतन हिंदुस्तान से,
जाना जाता है जो अपने अमन से,
फैले है जिसके गुल पूरे चमन में,
मुझे मोहब्बत है उस अहले वतन से।।
सजाया है खुद को जिसने जाति के रंगों से,
सिखाता है जो आपस में मिलकर रहना,
और मोहब्बत करना भरी उमंगो से,
मुझे मोहब्बत है उस अहले वतन से।।
आशियाना बना लूँ चाहे कहीं दूर अपने वतन से,
पर मोहब्बत न करेगा दिल किसी और गगन से,
बसी है रूह, इक जान और माँ-बाप इसी वतन में,
मुझे मोहब्बत है उस अहले वतन से।।
इक नज़र देखूं जो उत्तर से दक्षिण तक,
या देखूं अगर पूरब से पश्चिम तलक,
कई रंग मिलेंगे कदम-कदम,
और ये कदम मिलेंगे संग-संग,
मुझे मोहब्बत है उस अहले वतन से,
जाना जाता है हिंदुस्तान जो अपने अमन से।।
Yasmeen Bohra belongs to Udaipur and is a resident of Kuwait
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