शिक्षित युग में पनपे शिक्षा माफिया की खेप शिक्षा की आड़ में कमाई का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में शिक्षा माफिया कमाई का कोई साधन हाथ से नहीं जाने दे रही है। अब तक अभिभावकों को शिक्षा के अतिरिक्त स्कूल ड्रेस, कॉपी, किताब और स्टेशनरी, लंच बॉक्स इत्यादि सामान स्कूल से या स्कूल द्वारा निर्धारित दुकानों से खरीदनी पड़ती थी। अब अभिभावक नए बोझ के लिए तैयार रहे।
जी हाँ ! कोरोना काल में बच्चो की सुरक्षा हेतु फेस मास्क भी अभिभावकों को स्कूल के लोगो लगे हुए ख़ास मास्क खरीदने होंगे। जिसकी कीमत भी स्कूल ही तय करेंगी और हवाला दिया जायेगा सुरक्षा का। कल ही सोशल मीडिया पर एक नामी गिरामी स्कूल का लोगो लगा मास्क वाइरल हुआ है। जिसका अनुसरण सभी स्कूल करेंगे। कई स्कूलों ने मास्क के आर्डर भी दे डाले होंगे।
हालाँकि सरकार ने कहा की कोई भी स्कूल लॉकडाउन के दरमियान बच्चो को स्कूल फीस के लिए बाध्य नहीं करेगा। लेकिन हमारे ही शहर के कई नामी गिरामी स्कूलों ने फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव डाला। स्कूल खुलने के बाद लॉकडाउन काल की फीस में कोई रियायत मिलेगी ऐसी अपेक्षा मुश्किल ही है क्योंकि पिछले साल शहर के दो तीन स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर अभिभावको और स्कूल प्रशासन के बीच संघर्ष किसी से छिपा नहीं है। जिसकी अभिभावकों की ऒर से पुलिस में रिपोर्ट भी दी गई थी।
आज के स्कूलों में बच्चो के लिए स्टेशनरी, कॉपी किताब, स्कूल ड्रेस सब कुछ स्कूलों से या स्कूल द्वारा निर्धारित दुकानों से ही मिलती है बस कुछ नहीं मिलता तो वह है शिक्षा। शिक्षा के अभिभावकों को बच्चो को टूशन सेंटर्स या कोचिंग सेंटर्स (शिक्षा माफियाओ की अन्य दुकान) के पास भेजना होगा। और अगर आप नहीं भेजते है तो प्रतिस्पर्धी युग में आपका बच्चा पीछे रह जायेगा।
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