कल तुम रुखसत क्या हुए, साथ ले गए एक पूरा साल


कल तुम रुखसत क्या हुए, साथ ले गए एक पूरा साल 

By महेंद्र कोठारी - Honorary Correspondent UdaipurTimes
 
 
कल तुम रुखसत क्या हुए, साथ ले गए एक पूरा साल

नई सुबह 

नई सुबह 

कल तुम रुखसत क्या हुए, साथ ले गए एक पूरा साल 
ले गए यादों का एक काफिला, ले गए पुरे बरस का इतिहास

सर्द रात थी, चुभती हवा थी, नहीं थे तो तुम नहीं थे 
स्याह रात, धुप्प अँधेरा, झींगुरों की बारात

हाथ को नहीं सूझता था हाथ 

सहर में तुम्हारी किरणें, छूने लगी पहाड़, नदी व मैदान
कुछ किरणे मेरे हिस्से में भी आयी, शीशे की खिड़की पार      

आज ले आये एक नया कलेवर, लिए एक नई शम्मा
नया पैगाम है, फिर आगे एक इम्तिहान है

कागज पर अंक बदल गए, हम एक साल बड़े हो गए

छू लिया एक और मंजर, फिजा बनी सुहानी सी 
यूं तो रोज दीदार तुम्हारे, फिर भी आज कुछ खास है

में तो एक आम, पर तुम कुछ बन बैठे बहुत खास
रात गुजरी कहीं मैखाने में, तो कहीं अभावों में 

याद रख एक बात, सब को दे एक पैगाम 

किसी को फूल न दे सको कोई बात नहीं, पर कांटे न दो
दो जून की रोटी न हो, पर भूखे पेट किसी की नींद न हो 

तुम्हारे आने की ख़ुशी में गीले शिकवे मिटायें, हाथ हम मिलाएं 
ये रंज , ये गम, ये फासले, ज़माने भर के तिमिर को हटाएँ       

 

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal