केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के प्राइवेट सेक्टर के बैंक लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए कई प्रकार की पाबंदियां लगाईं हैं। बैंक के बोर्ड को सुपरसीड कर दिया गया है और निकासी की सीमा (विड्रॉल लिमिट तय कर दी है। ग्राहक अब 16 दिसंबर तक बैंक से अधिकतम 25 हजार रुपये की ही निकासी कर सकेंगे। सरकार ने रिजर्व बैंक की सलाह पर यह कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय के एक बयान में यह जानकारी दी गई।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, कुछ खास शर्तों जैसे इलाज, उच्च शिक्षा के लिए फीस जमा करने और शादी आदि के लिए जमाकर्ता रिजर्व बैंक की अनुमति से 25 हजार रुपये से अधिक की निकासी कर सकेंगे। इससे पूर्व आरबीआई ने यस बैंक और पीएमसी बैंक को लेकर भी इसी तरह के कदम उठाए थे। इससे ग्राहकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने का मोरेटोरियम लगाया गया है। इस आदेश को 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक के लिए लागू किया गया है। आरबीआई ने उक्त आदेश अधिनियम की धारा 45 के तहत लगाया है।
31 मार्च, 2019 को पीसीए थ्रेसहोल्ड के उल्लंघन को देखते हुए बैंक को सितंबर 2019 में प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था। बैंक ने 30 सितंबर को समाप्त तिमाही के लिए 396.99 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा उठाया था, जो कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों का प्रतिशत 24.45 प्रतिशत था। लक्ष्मी विलास बैंक ने पिछले वर्ष की इसी तिमाही में भी 357.17 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था।
लक्ष्मी विलास बैंक के लिए मुश्किलें 2019 में शुरू हो गई थीं, जब रिजर्व बैंक ने इंडिया बुल्स हाउजिंग फाइनेंस के साथ मर्जर के इसके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। सितंबर में शेयरहोल्डर्स की ओर से सात डायरेक्टर्स के खिलाफ वोटिंग के बाद रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे प्राइवेट बैंक को चलाने के लिए मीता माखन की अगुआई में तीन सदस्यों वाली कमिटी का गठन किया था।
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