उदयपुर संभाग की सबसे महत्वपूर्ण ईकाई और लाखों लोगो के जीवनयापन का सहारा रही हिंदुस्तान ज़िंक को अब केंद्र सरकार बची हुई अपनी पूरी हिस्सेदारी 29.54% (लगभग 36 हज़ार 500 करोड़) बेच देगा। कल बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी के जापान से लौटने के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी भी दे दी है। वर्तमान में हिंदुस्तान ज़िंक की 64.92% की हिस्सेदारी अनिल अग्रवाल के वेदांता ग्रुप की है।
कम्पनी की बहुमत शेयरधारक वेदांता ग्रुप 5% से अधिक हिस्सा नहीं खरीद सकती। ऐसे में केंद्र सरकार अपनी बची हुई हिस्सेदारी बेचने के लिए फॉलोऑन पब्लिक ऑफर ला सकती है। कल केंद्रीय कैबिनेट के हिस्सेदारी बेचने के फैसले के बाद जिंक के शेयर में 7 फीसदी की उछाल हुई।
केंद्र सरकार ने आगामी 2023 वित्त वर्ष के लिए विनिवेश से लगभग 65 हज़ार करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष में लगभग 23 हज़ार 575 करोड़ रूपये जुटाए है। इनमे से 20 हज़ार 560 करोड़ रूपये एलआईसी और 3 हज़ार करोड़ रूपये ओएनजीसी की हिस्सेदारी बेचकर जुटाए गए है। अभी शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL) का विनिवेश बाकी है।
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