राजस्थान में खनिज भण्डारों की खोज एवं खनन कार्याें में आधुनिकतम तकनीक के उपयोग, अनुसंधान तथा स्थानीय निवासियों को इन कार्यों के लिए रोजगार के योग्य बनाने के लिए कौशल विकास पर भी फोकस किया जा रहा है। उदयपुर एवं राजसमंद जिलों में देश के 87 प्रतिशत चांदी के भण्डार हैं। राजस्थान में पोटाश, जिंक, पेट्रोलियम, कॉपर, जिप्सम, लाइमस्टोन आदि खनिजों के भी विशाल भण्डार मौजूद हैं, जिनके खनन कार्यों में निवेश के अपार अवसर उपलब्ध हैं। इन क्षेत्रों में काम करने के लिए निवेशकों को राज्य सरकार पारदर्शिता के साथ पूरा सहयोग देने को तैयार है।
मुख्यमंत्री ने अपने निवास से प्रदेश में चांदी के खनिज भण्डारों की खोज और उत्पादन के विषय पर वेदांता और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबीनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। खनिजों की खोज में तकनीक, रिसर्च, कौशल विकास एवं राजस्व बढ़ोतरी के उद्देश्य से खनन गतिविधियों के बेहतर संचालन एवं मॉनिटरिंग के लिए बीते दिनों राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट का गठन किया गया है। कुछ वर्ष पहले राजस्थान में हुई तेल और प्राकृतिक गैस की खोज के बाद अब यदि चांदी का खनन शुरू होता है, तो प्रदेश विकास के रास्ते पर तेज गति से आगे बढ़ सकेगा। राजस्थान की धरती में मौजूद चांदी समेत बहुमूल्य खनिज संपदा का वैज्ञानिक तरीकों से दोहन कर प्रदेश के विकास को अधिक गति देने के लिए राज्य सरकार हमेशा प्रयासरत है।
‘चांदी भारत का सांस्कृतिक गौरव तथा अद्वितीय अवसरों की राह’ शीर्षक में आयोजित वेबीनार में मौजूद खनन कम्पनियों के प्रबन्धकों और निवेशकोें को राजस्थान में व्यवसायिक संभावनाओं के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि राजस्थान अब केवल एक मरूस्थलीय राज्य नहीं रहा है। यहां अब हरियाली है, बड़े उद्योग हैं, नया निवेश आ रहा है तथा आईआईटी, आईआईएम, ट्रिपल आईटी और एम्स जैसे संस्थान स्थापित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में कौशल विकास के लिए एक विश्वविद्यालय भी खुला है, जिसके माध्यम से विभिन्न जिलों में युवाओं को नये उद्योगों में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जेम्स-ज्वैलरी सेक्टर में प्रदेश का पूरी दुनिया में बड़ा नाम है। यहां से आभूषणों की कारीगरी के बाद उनके निर्यात का बड़ा कारोबार होता है। यदि राजस्थान के खनिज भण्डारों से चांदी का खनन और उत्पादन होने लगे तो आभूषण निर्यात उद्योग का और अधिक विस्तार संभव है। इसके लिए आभूषण कारीगरों के कौशल विकास और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के डिजाइन तथा उत्पाद तैयार करने के लिए प्रशिक्षित करने के काम में उद्यमियों की भागीदारी पर जोर दिया।
वेबीनार में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कान्त ने कहा कि वर्तमान में भारत आभूषणों सहित विभिन्न घरेलू, औद्योगिक और चिकित्सकीय उपयोग में काम आने वाली कुल चांदी का 90 प्रतिशत आयात करता है। यदि राजस्थान में चांदी के भण्डारों से खनन के काम को समुचित तरीके से शुरू किया जाए तो आने वाले दिनों में भारत दुनिया का बड़ा चांदी उत्पादक देश बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में 30 हजार मैट्रिक टन चांदी के भण्डारों में से 98 प्रतिशत भण्डार राजस्थान में हैं। कान्त ने आने वाले दिनों में कोविड-19 महामारी को प्रकोप घटने पर राजस्थान में चांदी उत्खनन के विषय पर नीति आयोग द्वारा एक सेमिनार आयोजित करने का प्रस्ताव दिया।
वेदांता लिमिटेड के चेयरपर्सन अनिल अग्रवाल ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान में किसी काम के लिए अनुमति की प्रक्रिया का सरलीकरण कर इसमें लगने वाले समय को घटाया गया है। खनन क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में सभी जगह से 15 दिन में अनुमति मिल जाती है। ऐसे में, राजस्थान विकास की अपार संभावनाओं से भरा क्षेत्र है। चांदी के संभावित भण्डारों की खोज और खनन राजस्थान के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र साबित हो सकता है। उन्होंने इसके लिए बिना लाइसेंस के खनिज भण्डारों की खोज की अनुमति की मांग की। हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ अरूण मिश्रा ने वेबीनार में शामिल होने के लिए सभी अतिथियों और देश-विदेश के प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
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