बनारसी साड़ि़यां ही नहीं बनारसी कुर्ते पायजामें भी हो रहे लोकप्रिय


बनारसी साड़ि़यां ही नहीं बनारसी कुर्ते पायजामें भी हो रहे लोकप्रिय
 

नगर निगम प्रांगण में चलरहा हैंडीक्राफ्ट प्रदर्शनी मेला 
 
बनारसी साड़ि़यां ही नहीं बनारसी कुर्ते पायजामें भी हो रहे लोकप्रिय
बनारस के वाराणसी से आए नसीर अहमद ने बताया कि अब तक बनारसी साड़ियां ही काफी लोकप्रिय मानी जाती थी लेकिन बदलते परिवेश में बनारस के जज्बे पायजामे भी पुरुषों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। यह सभी साड़ियां और जब्बे पायजामे के कपड़े हाथ से ही बनाए हुए हैं। 

उदयपुर। नगर निगम प्रांगण में चल रहे हैंडीक्राफ्ट प्रदर्शनी मेले में इन दिनों बनारसी साड़ी के साथ बनारसी जब्बे पायजामे भी लोगों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। 

बनारस के वाराणसी से आए नसीर अहमद ने बताया कि अब तक बनारसी साड़ियां ही काफी लोकप्रिय मानी जाती थी लेकिन बदलते परिवेश में बनारस के जज्बे पायजामे भी पुरुषों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। यह सभी साड़ियां और जब्बे पायजामे के कपड़े हाथ से ही बनाए हुए हैं। 

बनारस की साड़ियां और बनारस के जब्बे पायजामे के कपड़ों के बारे में बताते हुए नासिर ने कहा कि यह मौसम के अनुसार पहने जा सकते हैं। सर्दी के दिनों में बनारस की साड़ियां शरीर को गर्माहट देते हैं वही गर्मी के दिनों में बनारस के कपड़े शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि उनका सारा परिवार ही इस काम में लगा हुआ है। इसके अलावा 25 से ज्यादा महिला पुरुषों का समूह यह कार्य करता है। इससे काफी लोगों को और महिलाओं को रोजगार भी मिला हुआ है और वह इस काम से अपने परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से कर लेते हैं। 

उन्होंने कहा कि उनके पास 500 रूपयें से लेकर साढे छह हजार तक की बनारसी साड़ियां है। उदयपुर में बनारसी साड़ियां खूब बिकती है। यहां के लोगों की यह खास पसंद है। उन्होंने बताया कि वह दीपावली मेले में भी यहां आए थे और इसी प्रांगण में बनारसी साड़ियों की दुकान लगाई थी। उस दौरान भी उनकी अच्छी खासी बिक्री हो गई थी। उसी से प्रभावित होकर इस हैंडीक्राफ्ट मेले में वह दोबारा आए हैं। 

बनारसी साड़ियां बाजारों में मिलने वाली आम साड़ियों से काफी हटकर होती है। इनके ऊपर जो नक्काशी और कारीगरी की हुई होती है बस सिर्फ हाथ से ही की जा सकती है मशीन भी इनके सामने ऐसी फिनिशिंग नहीं दे पाती है। इन साड़ियों का रंग पक्का होता है जो कभी नहीं निकलता। इनकी चमक भी कभी नहीं जाती है। यह चमक साड़ी फटने तक वैसी की वैसी चमक देती है जैसी नई साड़ी देती हो।

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