उदयपुर 17 अप्रैल 2022। ईसाई धर्मावलंबियों का अति महत्वपूर्ण पर्व ईस्टर की प्रार्थना मध्य रात्रि को आवर लेडी ऑफ फातिमा चर्च में संम्पन्न हुई। गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईस्टर संडे मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रभु यीशु कब्र से जीवित हो उठे थे। इस दिन प्रभु यीशु के पुनः जीवित होने पर जश्न और उत्सव मनाया जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया तो उनके अनुयायियों में निराशा की लहर दौड़ गई। इसके तीन दिन बाद वें कब्र में से जीवित हो उठें। जब शोक संतप्त अनुयायी प्रभु यीशु का स्मरण कर रहे थे। तभी उनके पास एक महिला आई और बोली 'प्रभु जीवित हो उठें हैं।' यह सुन अनुयायियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने महिला से विस्तार में सब कुछ बताने को कहा।
इसके बाद उस महिला ने कहा-जब वह प्रार्थना करने कब्र पर गई तो देखा कि कब्र का पत्थर अपने स्थान पर नहीं हैं और प्रभु का पार्थिव शरीर कब्र में मौजूद नहीं था। इसी समय कब्र से देवदूत प्रकट होकर बोले-तुम प्रभु की प्रार्थना करने यहां आई हो जबकि प्रभु तो जीवित हो उठें हैं। उन्हें कब्र में नहीं अपने आस-पास ढूंढो, वे वहीं मिलेंगे। इसके बाद देवदूत गायब हो गए। यह सुन वह रोने लगी तभी प्रभु प्रकट होकर बोले-मत रो, मैं जीवित हो उठा हूं। जाओ सबसे कह दो कि परम पिता परमेश्वर की संतान पुनः धरती पर आ गई हैं। यह कहकर प्रभु अदृश्य हो गए।
चर्च के पल्ली परोहित फादर अरविंद अमलियार ने बताया कि ईस्टर के विशेष आयोजन के क्रम में सर्वप्रथम अनुयायियों ने मध्य रात्रि को मोमबत्ती जला कर जुलूस के रूप में चर्च में प्रवेश किया। इसके पश्चात बाइबिल पठन और ईसा मसीह के पुनर्जन्म पर विशेष प्राथना हुई। विश्व में शांति और समस्त मानवजाति के उद्धार के लिए भी विशेष प्रार्थना हुई। प्रार्थना सभा के बाद सभी धर्मावलंबियों ने एक दूसरो को ईस्टरपर्व की शुभकामनाएं दी। पवित्र मिस्सा का संचालन बिशप देव प्रसाद गणावा ने किया।
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