दूसरे साल भी नगर भ्रमण को नही निकले जगन्नाथ

दूसरे साल भी नगर भ्रमण को नही निकले जगन्नाथ 

जगन्नाथ धाम सेक्टर 7 में भी मंदिर परिसर में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

 
rathyatra

कोविड प्रोटोकॉल के चलते मंदिर में भक्तों का प्रवेश निषेध

उदयपुर के जगदीश मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा कोरोना महामारी के चलते दूसरी बार शहर के भ्रमण पर नहीं निकलेगी। जिसकी वजह से आम भक्तों को भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन नहीं हो पाएंगे। वहीं पारंपरिक परंपराओं का निर्वहन के साथ मंदिर प्रांगण में ही भगवान जगदीश रजत रथ पर सवार होकर भ्रमण पर निकले। रथयात्रा में पुजारी परिवार के चुनिंदा सदस्य ही मंदिर प्रांगण में भगवान जगदीश के रजत रथ को खींचा। इस दौरान गाजे बाजे और पुष्प वर्षा से भगवान जगदीश का स्वागत किया गया।

ओडिशा स्थित पुरी की तर्ज पर उदयपुर में भी भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है। इस बार भी भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए विशाल रजत रथ तैयार किया गया, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार लगातार दूसरी बार मंदिर परिसर में ही रथयात्रा निकाली जाएगी। जिसका रजत रथ पांच फीट उंचाई का होगा और उसमें रथ यात्रा समिति के पदाधिकारियों के अलावा चुनिंदा लोग ही शामिल हो पाएंगे

उल्लेखनीय है की उदयपुर में हर साल जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। जिसके लिए जिला प्रशासन विशेष तैयारी करता है। विशाल रजत रथ को रस्सियों के सहारे भक्त खींचकर चलाते हैं और इसकी शुरूआत की रस्म मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ या उनके परिवार के सदस्य स्वर्ण झाड़ू से सड़क बुहारने की परम्परा से होती है। रथयात्रा शहर की प्रमुख सड़कों से होकर पुन: मंदिर लौटती है।

धूम धाम गाजे-बाजे के साथ कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए जगन्नाथ धाम सेक्टर 7 में भी मंदिर परिसर में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई।। इस अवसर पर प्रातः मंगलाचरण के साथ मंगल गीत, गायन, स्वस्तिवाचन और वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ भगवान जगन्नाथ ने भक्तों को दर्शन देकर मंदिर परिसर में ही लोगों को दर्शन दिए। लोगों ने अपने-अपने घरों से फेस बुक पर लाइव प्रसारण देखा।

इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, सुभद्रा जी और सुदर्शन जी को झूला झूलाते हुए भक्त जनों ने मंदिर परिसर में परिक्रमा करवा कर और तत्पश्चात वहीं पर बने विशाल मंच पर आसीन करवाकर भगवान की महा आरती की। इस अवसर पर मंदिर परिसर में धूमधाम से बारी-बारी से झूला झूलाते हुए यात्रा निकाली गई । सबसे पहले सुदर्शन जी की यात्रा निकाली गयी, उसके बाद बलभद्र जी की तत्पश्चात सुमित्रा जी की तथा अंत में बलराम जी की निकाली गयी।

इस अवसर पर फेसबुक पर भक्तजनों को संबोधित करते हुए जगन्नाथ धाम सेक्टर-7 के संरक्षक डॉ. प्रदीप कुमावत ने जानकारी देते हुये कहा कि भगवान जगन्नाथ का स्वरूप केवल कृष्ण का स्वरूप नहीं है भगवान जगन्नाथ के स्वरूप में राधा जी समाहित है। इसलिए जगन्नाथ जी की रथ यात्रा केवल 3 की नहीं होकर पांच की रथ यात्रा है जिसमें सुदर्शन जी, बलभद्र जी, सुभद्रा जी, राधा कृष्ण के साथ राधा समाहित है । अतः भगवान जगन्नाथ राधा कृष्ण का स्वरूप है। 

डॉ. प्रदीप कुमावत ने बताया कि भगवान बलभद्र ताल ध्वज नामक रथ पर आरूढ़ होकर निकलते हैं जबकि सुभद्रा जी पद्म ध्वज में आसीन होती हैं और अंत में गरुड़ध्वज नाम के रथ पर भगवान स्वयं आरूढ़ा होते जिसे नंदीघोष भी कहा जाता है । 

इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ धाम की महाआरती की गयी। इस अवसर पर संरक्षक डॉ. प्रदीप कुमावत, अध्यक्ष भूपेन्द्रसिंह भाटी, शिवसिंह सोलंकी, गिरिश शर्मा, हरिश माहेश्वरी, मनोज उपाध्याय, कमलेन्द्र सिंह पंवार, आशीष कोठारी, धर्मेन्द्र, दिनेश, गोपाल सोनी, आर एस शक्तावत सहित मंदिर समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।

मंदिर परिसर में यात्रा के दौरान पूरे रास्ते गंगाजल से छिड़काव किया गया। मार्जिन किए गए। स्वर्ण झाड़ू से झाड़ू लगाकर सभी लोगों ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के मार्ग की सफाई की। यह सफाई की प्रक्रिया स्वच्छ भारत के एक संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की भगवान जगन्नाथ की बात है। 

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