उदयपुर 25 फरवरी 2025। भारतीय लोक कला मण्डल के 74वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित लोकानुरंजन मेले के तीसरे एवं अंतिम दिन कलाकरों ने बड़े ही जोश के साथ रंगारंग प्रस्तुतियाँ दी।
फिर मिलने के वादे एवं उदयपुर से मिले प्यार तथा संभागीय आयुक्त मैडम के आर्शीवाद के बाद लोकानुरंजन मेले से विदा लेते हुए लोक कलाकारों की आँखों में आंसू थे उनका कहना था कि पूरी दुनिया में कार्यक्रम करने जाते है परन्तु उदयपुर के भारतीय लोक कला मण्डल में जो प्यार और सम्मान मिलता है वह हमें यहां बार-बार आने के लिए प्रेरित करता है।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि कार्यक्रम के तीसरेे दिन भी राजस्थान सहित भारत के विभिन्न प्रान्तों से आये लोक कलाकारों ने कार्यक्रम में अद्भुत प्रस्तुतियाँ दी जिसमें अंतिम दिन स्थानीय प्रतिभाओं को रंगमंच पर प्रस्तुति के अवसर प्रदान करने के उद्धेश्य से समारोह में महात्मा गांधी गर्वेमेन्ट स्कूल, ब्राहम्णों की हुन्दर की छात्राओं को अवसर प्रदान किया गया जिन्होंने बहुत ही प्रभावशाली राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी।
समारोह में बांरा से आए सहरिया स्वांग के कलाकारों ने होली के स्वांग से दर्शकों को रोमांचित किया। बाडमेर के कलाकारों ने कार्यक्रम में लोक देवता पाबूजी राठौड़ की फड़ का वाचन किया, कार्यक्रम में अन्य राज्यों से आए कलाकारों ने भी लोकरंग बिखरे जिसमें गुजरात के कलाकारों ने सिद्धि धमाल नृत्य किया इन कलाकारों ने अपने पारम्पिरिक लोक वाद्यों पर नृत्य करते हुए अपने सिर से नारियल फोडे़ तो हिमाचल प्रदेश के कलाकारों ने अपने पारम्परिक लोक नृत्य क्यांग की प्रस्तुति दी। तेलंगाना के कलाकारों ने पेरिनी नाट्यम प्रस्तुत किया तो जम्मू कश्मीर का गोजरी नृत्य दल, पंजाब के कलाकारों ने पंजाब के लोकप्रिय भांगडा नृत्य की प्रस्तुति दी एवं भारतीय लोक कला मण्डल के कलाकारों ने चरी एवं भवाई लोक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियों से लोक रंगों की बारिश कर एक दूसरे को अलविदा कहा।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था के मानद सचिव सत्य प्रकाश गौड़ ने कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रज्ञा केवलरमानी, संभागीय आयुक्त एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया उसके पश्चात सभी गणमान्य अतिथियों ने भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर की तस्वीर पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
लोकानुरंजन मेले के समापन अवसर पर संस्था निदेशक ने कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला, भाषा एवं संस्कृति विभाग, तेलंगाना सरकार, पंजाब फोक आर्ट सेंटर, गुरदासपुर, माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि स्थापना दिवस के अवसर पर संस्था में आज से ‘‘21 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह’’ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आज पहले दिन काईट एक्टिंग स्टूडियो, मुम्बई द्वारा साहेब नीतीश द्वारा निर्देशित नाटक कपास के फूल का मंचन किया जाएगा।
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