उदयपुर 9 मार्च 2024। शहर व आसपास के 31 लग्ज़री वाहन चोरी होने से बच गए। उदयपुर शहर की सूखेर थाना पुलिस ने लग्जरी कर चोरी करने के गैंग का खुलासा करते हुए गैंग के दो मास्टरमाइंड आरोपी को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से कुछ मास्टर की और एक डिवाइस भी जप्त किया हैं।
सूखेर पुलिस को मुखबिर सें जानकरी मिली की उदयपुर शहर मे एक सिल्वर रंग की टीएन 19 एए 1105 की स्कोर्पिया गाडी मे दो व्यक्ति घूम रहे है जिनकी गतिविधिया संदिग्ध है जो आज एनएच 27 पर देखे गए है।
जिस पर टीम द्वारा एनएच 27 पर पहुंच मुखबीर के बताये हुलिये अनुसार वाहन की तलाश की गई तो बताये हुलिये की एक स्कोर्पियो वाहन में दो व्यक्ति दिखाई दिये जिनको रोककर पुछताछ किया गया तो चालक ने अपना नाम लतिफ खान उर्फ हरिश चौधरी पिता इम्तियाज खान उम्र 30 साल निवासी बापु नगर कॉलानी बडी पोल के बाहर जालोर थाना जालोर कोतलवाली जिला जालोर दुसरे ने अपना नाम विक्रम कुमार पिता विराराम सुथार उम्र 24 साल निवासी आतमनावास, रेबारियो की ढाणी भीनमाल थाना भीनमाल जिला जालोर दोनो के नामो में संदिग्धता व विरोधाभास को देखते हुए अग्रिम पुछताछ करने पर संतोषप्रद जबाव नही मिलने पर गाडी के अन्दर देखने पर गाडी के अन्दर विभिन्न कार कम्पनी की चाबी व एक स्टूमेंट मशीन एवं केबले पडी हुई थी ।
गाडी के अन्दर पडी विभिन्न कार कम्पनी की चाबी व स्टूमेंट मशीन के बारे मे पूछने पर दोनो गाडी छोडकर भागने लगे जिसको गाडी सहित थाने पर लाकर पुछताछ की गई तो गाडी में रखे स्टूमेंट के बारे में बताया कि ये गाडी चोरी करने का नया तरीका है गाडियो में लगी ईलेक्टोनिक डिवाईस के कोड तोडकर चाबिया बनाई जाती है जिससे किसी भी वाहन की चोरी की जा सकती है।
जिस पर पुलिस टीम द्वारा थाने में दर्ज प्रकरण में चुराई ब्रेजा कार के सम्बध में पुछताछ करने पर ब्रेजा सहित अन्य गाडिया चुराना बताया है। जिस पर दोनो को गिरफ्तार किया जाकर अनुसंधान जारी है ।
तरीका वारदात
आरोपियो द्वारा चोरी के नये तरीके का प्लान बनाकर सबसे पहले लेकसिटी मॉल में एक एक्सेस डिटेलिंग नाम से वांशिग एवं सिर्विस सेन्टर खोला जिसमें मॉल घुमने वाले लोगो की गाडी वांशिग के नाम पर अपने सेन्टर पर ले जाते तथा गाडी की सफाई के साथ साथ दिल्ली से 5.50 लाख में खरीदी हुई वाहन के इलेक्टोनिक मैकनिजैयम ब्रेक करने की मशीन से धुलाई के बहाने वाहन के अन्दर उक्त मशीन को लगाकर उसका सम्पूर्ण डाटा स्कैन कर लेते उसके बाद में खुद का जीपीएस लगा देते ये जीपीएस चार्जबल तथा उच्च क्षमता का होकर 10 दिन तक बैट्री बैकअप रहता जिसको लगाने के बाद वाहन को पुनः वाहन स्वामी को सुपुर्द कर देते थे। स्कैनर मशीन से किये गये डाटा से उक्त वाहन की इलैक्ट्रोनिक सिस्टम से चाबी की काँपी कर एक नई चाबी बनाई जाती थी फिर वाहन में लगा जीपीएस को ट्रेक करते हुए अपनी सुगमता के अनुसार वाहन स्वामी या ड्राईवर द्वारा वाहन के पास नही होने पर काँपी की हुई चाबी से वाहन चुरा लेते थे ।
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