उदयपुर में सरकारी ज़मीन पर धोखाधड़ी करने के मामले में पुलिस ने तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी, जो कथित तौर पर एक आपराधिक गिरोह के सदस्य थे, सरकारी ज़मीन को अपनी बताकर अवैध रूप से प्लॉट बेच रहे थे। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया था।
मामला 22 सितंबर 2024 को थाना नाई में दर्ज हुआ, जब सैयद मकसूद हुसैन, मुंशी खान, शाहिन बानू, नासिर खान, नाईला लोदी और अन्य ने पुलिस को जानकारी दी कि उन्होंने और करीब 30-35 अन्य लोगों ने आरोपियों से भूखंड खरीदे थे। इन भूखंडों को कथित तौर पर उदयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा सरकारी ज़मीन बताया गया था, जिसके बाद प्राधिकरण ने इन भूखंडों की चारदीवारी और मकान को तोड़कर जमीन पर अपना कब्जा कर लिया।
प्रार्थी ने आरोप लगाया कि उन्होंने यह ज़मीन खरीदने के लिए कुछ नकद और कुछ ऑनलाइन भुगतान किए थे, लेकिन बाद में यह पता चला कि यह सरकारी ज़मीन थी और आरोपियों ने उन्हें धोखा दिया। आरोपी गिरोह में शामिल लोग सरकारी ज़मीन को अपनी ज़मीन बताकर प्लॉट काटकर बेचते थे और लोग बिना जानकारी के उनसे ज़मीन खरीद लेते थे। इसके अलावा, आरोपियों ने खरीदारों से बिजली कनेक्शन और पंचायत पट्टा दिलाने का झूठा वादा भी किया था।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल स्वरुप मेवाड़ा के निर्देशन में मामले की त्वरित जांच के आदेश दिए। इस प्रकरण का अनुसंधान वृताधिकारी, वृत गिर्वा सूर्यवीर सिंह और थानाधिकारी फैलीराम की टीम द्वारा किया गया। पुलिस ने तीन प्रमुख आरोपियों मोहम्मद रफीक, फैयाज मोहम्मद और पूना गमेती को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई की है।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने सरकारी ज़मीन पर अवैध कॉलोनी काटकर उसे बेचने का काम किया। इन आरोपियों ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक संगठित गिरोह बना लिया था, जो लोगों से लाखों रुपये लेकर उन्हें सरकारी ज़मीन बेच देता था।
पुलिस के मुताबिक, फैयाज मोहम्मद का नाम पहले भी धोखाधड़ी के मामलों में सामने आ चुका है। उसके खिलाफ पुलिस थाना नाई में पहले भी तीन प्रकरण दर्ज हो चुके हैं और उसके खिलाफ भूमाफिया के तौर पर हिस्ट्रीशीट भी खोली जा रही है। पुलिस ने उनसे गहन पूछताछ भी की है और मामले में आगे की कार्रवाई जारी है।
अभियुक्तों को अदालत में पेश किया जाएगा और पुलिस द्वारा उनकी गहन पूछताछ की जा रही है ताकि इस धोखाधड़ी के गिरोह से जुड़े अन्य लोगों का भी खुलासा हो सके। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह के सरकारी ज़मीन खरीदने से पहले पूरी जानकारी लें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचें।
उदयपुर विकास प्राधिकरण ने इस मामले में अपनी भूमिका निभाते हुए 7 सितंबर 2024 को इस ज़मीन को सरकारी बताकर सभी अवैध निर्माण को हटवा दिया था। इसके बाद अब पुलिस द्वारा इस मामले की गहन जांच की जा रही है। जांच अधिकारियों ने यह भी कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं और आरोपियों के गिरोह का पर्दाफाश किया जाएगा।
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