रेमेडीसीवीर की कालाबाज़ारी करते इंसानियत के दुश्मन गिरफ्तार

रेमेडीसीवीर की कालाबाज़ारी करते इंसानियत के दुश्मन गिरफ्तार 

खंगालना होगा पूरा नेक्सस

 
रेमेडीसीवीर की कालाबाज़ारी करते इंसानियत के दुश्मन गिरफ्तार

डॉक्टर और  MBBS छात्र मिलकर बेच रहे थे 899 का इंजेक्शन 35 हजार में, पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया

एक तरफ जहाँ कोरोना की खतरनाक माने वाली दूसरी लहार के चलते देश में हाहाकार मचा हुआ है।  अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी, दवाइयों की कमी पड़ रही है।  शमशान और कब्रिस्तान आबाद हो रहे है। ऐसे में कुछ इंसानियत के दुश्मन और लालची लोग 'आपदा में अवसर' तलाशते हुए कोरोना के इलाज में प्रयुक्त होने वाली ज़रूरी रेमेडीसीवीर की कालाबाज़ारी से बाज़ नहीं आ रहे है।  
 
कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में काम आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की काला-बाजारी का मामला उदयपुर में सामने आया है। बुधवार रात उदयपुर की स्पेशल पुलिस टीम ने कार्रवाई करते हुए डॉक्टर और एमबीबीएस छात्र को मात्र 2800 रुपए की कीमत के रेमडेसिविर इंजेक्शन (जिन्हे 899/- में बेचने का आदेश है) को 35 हजार रुपए में बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उदयपुर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल स्वरूप मेवाड़ा ने बताया कि फिलहाल आरोपियों से पूछताछ शुरू उनके साथियों की तलाश शुरू कर दी गई है।

खंगालना होगा पूरा नेक्सस 
उदयपुर पुलिस ने दो कालाबाज़ारियों को गिरफ्तार कर लिया है।  लेकिन सवाल यह उठता है की इन दोनों को रेमेडीसीवीर सप्लाई करता कौन था ? पुलिस से पूछताछ में सामने आया की यह दोनों एमबी हॉस्पिटल में कार्यरत चिराग कलाल से 23 हज़ार में इंजेक्शन खरीदते थे। चिराग से 23 हज़ार में खरीद कर 30 से 35 हज़ार में बेच देते थे।  पिछले तीन दिनों में यह दोनों 46 लोगो को यह बेच चुके है।  पुलिस को सम्पूर्ण मामले की जांच तत्परता से करने से ही पता चल पायेगा इस काण्ड में और कितने लोग शामिल है।  ज़ाहिर है दोनों गिरफ्तारशुदा आरोपी और जांच में सामने आ रहा चिराग कलाल ही लिप्त नहीं होंगे। इनमे और भी कई मेडिकल कर्मचारियों के लिप्त होने की प्रबल सम्भावना है। 

उदयपुर स्पेशल पुलिस के डॉक्टर हनुमंत सिंह राजपुरोहित ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीज के परिजन की शिकायत पर इस पूरे गिरोह की जानकारी मिली थी। जिसके बाद योजनाबद्ध तरीके से पुलिस ने कालाबाजारी कर रहे डॉ मोहम्मद अबीर और एमबीबीएस सेकंड ईयर के छात्र मोहित पाटीदार से संपर्क किया। जिन्होंने 2800 की कीमत के रेमडेसिविर इंजेक्शन को 35 हजार में बेचने की बात कही। जिसके बाद स्पेशल पुलिस की टीम ने दोनों से 35 हजार में सौदा तय किया और आरोपियों को मिलने बुलाया। जहां रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त कर पुलिस ने दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है।

ज़िम्मेदार कौन ?
कोरोना के बढ़ते मामलों और रेमेडीसीवीर की कमी को देखते हुए चल रही कालाबाजारी के संदर्भ में उदयपुर टाइम्स ने पहले भी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग से सवाल किया था कि रेमेडेसिविर की कमी होने के बाद भी और जिस तरह से कोरोना के मामले सामने आ रहे। तो क्यों स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग ने यह जिम्मेदारी निजी अस्पतालों को दी ? आप देख सकते है कि कुछ दिनों पहले ही रेमेडेसिवर इंजेक्शन को लेकर सोशल मिडिया पर फेक न्यूज वायरल हुई थी। यदि इसी तरह रेमेडेसिविर इंजेक्शन को लेकर कालाबाजारी बढ़ती रही तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? ऐसी घटनाओं को ओर बढ़ावा न मिले इससे पहले स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग को अपनी जिम्मेदारियों से पीछे न हटकर यह जिम्मेदारी स्वंय को लेनी चाहिए। ऐसे में कालाबाजारी नहीं बढ़ेगी तो क्या होगा ? कब तक मरीजों के परिजन परेशान होते रहेंगे ?

पुलिस ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में गिरफ्तार 27 वर्षीय डॉक्टर मोहम्मद अबीर उदयपुर के निजी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट है। जो मूल रूप से उदयपुर के सवीना थाना क्षेत्र का रहने वाला है। वही 21 वर्षीय मोहित पाटीदार निजी मेडिकल कॉलेज में सेकंड ईयर का छात्र है। जो मूल रूप से डूंगरपुर के चिखली का रहने वाला है। ऐसे में पुलिस अब डॉक्टर अभी और मोहित की कॉल डिटेल के आधार पर अन्य चिकित्सक और मेडिकल स्टूडेंट से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है।

एएसपी गोपाल स्वरूप ने किया ऑपरेशन का सुपरविजन

उदयपुर पुलिस के एडिशनल एसपी गोपाल स्वरूप मेवाड़ा के नेतृत्व में इस डिकॉय ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। जिसकी अगुवाई स्पेशल पुलिस के हनुमान सिंह कर रहे थे। इस कार्रवाई में स्पेशल पुलिस टीम के इतवारी लाल, सुखदेव सिंह, अनिल पूनिया, उपेंद्र सिंह, तपेंद्र भादू, मनमोहन सिंह, रविंद्र बुडावर, रामनिवास, फिरोज खान शामिल थे।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal