उदयपुर के अम्बामाता क्षेत्र के "राहुल माखीजा किडनैपिंग" मामले में पुलिस ने राहुल मखीजा को मध्य प्रदेश के इंदौर में सुरक्षित ढूंढ निकाला है। राहुल को पुलिस टीम उदयपुर ले आई है और जहां 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, पुलिस टीम अब अन्य संदिग्ध व्यक्तियों कि धरपकड़ में जुटी हुई है। पुलिस अधिकारीयों का कहना है कि मामला इतना गंभीर था कि अगर पुलिस वक़्त पर ना पहुँचती तो राहुल कि जान को खतरा था।
पुलिस विभाग द्वारा दी हुई जानकारी के अनुसार अपहरण के वक़्त कि CCTV फुटेज से मिले तथ्य कि छानबीन करते हुए पुलिस को अहम् सुराग मिले। सुराग मिलने के बाद उदयपुर पुलिस कि टीम रविवार देर रात इंदौर पहुंची और उसके बाद शुरू हुई कार्यवाही में आज (3 जनवरी) सुबह 4 बजे उदयपुर से अगवा हुए राहुल माखीजा को अपहरणकर्ताओं के कब्जे से छुड़वाया।
इंदौर पहुँचने से पहले उदयपुर कि पुलिस टीम ने इस अपहरण के मुख्य साजिशकर्ता एवम मास्टरमाइंड अनुराग अहीर पुत्र राजकुमार अहीर को रास्ते में ही धरपकड़ कर गिरफ्तार कर लिया। टीम फिर इंदौर के उस फार्महाउस पहुंची जहाँ राहुल को बंदी बना के रखा हुआ था। इसके लिए करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मियों की एक टीम रविवार देर शाम को इंदौर पहुंची थी। गिरफतार हुए अन्य आरोपी - विपुल अजमेरा, माधव, मोहित और संतोष में से 1 आरोपी गुजरात का है और अन्य मध्य प्रदेश के निवासी हैं। पुलिस के अनुसार मामले में मिली जानकारी अनुसार इसमें और भी संदिग्ध शामिल हैं, जिन्हें पुलिस जल्द ढूंढ कर गिरफ्तार करेगी।
पुलिस महकमे से मिली जानकारी के अनुसार राहुल के हाथ बंधे हुए थे और उनके मुँह पर टेप लगायी हुई थी। फिरौती के मकसद से आधा दर्जन युवकों से अधिक ने मिलकर राहुल को उदयपुर के अम्बामाता इलाके से अगवा किया था। पुलिस ने यह भी बताया कि अपहरण में कुछ मनगंढत तथ्य होने का सबूत नहीं मिला है, एवं प्रथम दृष्टया यह मामला फिरौती के मकसद से किया हुआ अपहरण लग रहा है। मुख्या आरोपी अनुराग मध्य प्रदेश का निवासी है और उस पर पूर्व में एक पत्रकार के अपहरण का मामला भी दर्ज है।
अपहरण के पहले आरोपियों ने एक स्कूटी से उनकी गाडी का पीछा किया और गाडी के सामने सड़क दुर्घटना का माहोल बनाया। जब राहुल ने गाडी रोकी तो आरोपियों ने उनपर मिर्च पाउडर फेंका और उसी कि गाडी में बैठ कर कुछ दूर तक गए और फिर गाडी बदली। गाडी बदलने के बाद आरोपियों ने फिरौती के लिए राहुल के पिता को राहुल द्वारा ही फ़ोन लगवाया। वारदात को अंजाम देने में काम आई गाड़ियाँ, जिसमे एक अल्तुरास (जिससे राहुल कि हौंडा का एक्सीडेंट करवाया), ग्लेंज़ा (जिसमे राहुल को ले कर अगवा हुए) और एक हौंडा कार (राहुल कि खुद कि कार) एवं एक चोरी कि हुई स्कूटी (जो एक दिन पहले सहेली नगर से चुराई थी) हैं, उसे अपने कब्ज़े में ले लिया है। राहुल के हाथ बाँध कर उनके पास से सभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड ले लिए और पासवर्ड पता कर सहेली नगर स्थित ATM से 70,000 रूपये निकाले। राहुल के पिता को राहुल के ही फ़ोन से WhatsApp कॉल कर के 80 लाख कि फिरौती मांगी। तीन घंटे इंतज़ार करने के बाद जब अपहरणकर्ताओं ने पुलिस कि हलचल देखी, तो वह उदयपुर से चित्तोड़ के रास्ते नीमच गए और फिर वहाँ से इंदौर ले गए।
पुलिस ने बताया कि मौके पर राहुल के हाथ बंधे हुए थे और मुँह पर टेप लगी हुई थी।
30 दिसम्बर को अम्बावगढ़ निवासी फाइनेंस कर्मी राहुल मखीजा के अपहरण की रिपोर्ट राहुल के पिता नंदलाल ने लिखवाई, जिसके बाद अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। राहुल सुबह घर से ऑफिस के लिए निकले और रोज़ आदतन अनुसार उन्होंने ऑफिस पहुँचने पर घर पे इत्तेला नहीं कि। कुछ देर बाद ऑफिस से घर फ़ोन आया कि राहुल ऑफिस नहीं पहुंचे हैं। इसकी कुछ देर बाद घर वालों को राहुल का एक Whatsapp कॉल आया जिसमे उसने बताया कि उसे अगवा कर दिया गया है और फिरौती मेंअपहरणकर्ता 80 लाख कि फिरौती मांग रहे हैं। इस पर उनके पिता ने पुलिस में अपहरण कि रिपोर्ट लिखवाई और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ़ मामला दर्ज हुआ। राहुल उस दौरान यह नहीं बता पाया की आरोपियों ने उसे कहां पर कैद करके रखा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम और अम्बामाता थाने की 3 टीमों को इस केस में लगाया गया था। डीएसटी प्रभारी दलपतसिंह राठौड़ सहित कई पुलिसकर्मी इस टीम में शामिल थे।
शनिवार को राहुल माखीजा की कार लावारिस हालत में बेदला स्थित मेवाड़ अस्पताल के पास मिली थी। पुलिस विभाग ने ने बताया कि इस अपहरण की गंभीरता को देखते हुए इस मामले को Case Offcie Scheme के तहत दर्ज किया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नियमित रूप से पूछताछ और उसके परिणामों की निगरानी करेंगे।
IG हिंगलाज दान ने बताया कि अपहरणकर्ताओं तक पहुँचने में उदयपुर पुलिस के कई पुलिस स्टेशन कि टीम कि एक जुट कार्यवाही रही। पूरी टीम ने SP मनोज चौधरी और ASP गोपाल स्वरुप मेवाड़ा के निरिक्षण में काम को अंजाम दिया। फील्ड टीम के इंचार्ज जितेन्द्र आंचलिया थे जिनके अधीन अम्बामाता थाने से सुनील कुमार, घंटाघर थाने से श्याम रतनु, सुखेर थाने से मुकेश सोनी, सविना थाने से रविन्द्र, भूपालपुरा थाने से भवानी सिंह, डीएसटी टीम के परबत सिंह और साइबर सेल के गिरिराज सिंह रहे।
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