वल्लभनगर हत्याकांड - पहले फ़र्ज़ी आधार कार्ड बनाया फिर साज़िश को दिया अंजाम

वल्लभनगर हत्याकांड - पहले फ़र्ज़ी आधार कार्ड बनाया फिर साज़िश को दिया अंजाम 

आर्थिक तंगी से गुज़र रहे थे, इसलिए लूट का बनाया प्लान, महिला ने विरोध किया हत्या कर डाली 

 
वल्लभनगर हत्याकांड - पहले फ़र्ज़ी आधार कार्ड बनाया फिर साज़िश को दिया अंजाम

हत्याकांड में लिप्त बांग्लादेशी स्वरुप अधिकारी और मिलन मंडल ने बनाया था फ़र्ज़ी आधार कार्ड 

उदयपुर 6 मार्च 2021 । जिले के वल्लभनगर कस्बे में 3 मार्च की शाम को नमिता विश्वास हत्याकांड का खुलासा हुआ। लूट की नियत से पारिवारिक परिचित ने ही अपने दो साथियो के साथ घर में घुसकर महिला के हाथ पांव बांधकर और मुंह पर टेप लगाकर धारदार हथियर से निर्मम हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्याकांड में लिप्त तीनो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिए गए है। 

पुलिस ने बताया की लूट के इरादे से की गई हत्या के आरोप में सुशील उर्फ़ शिबू पिता अचिंतु पात्रा उम्र 25 साल निवासी श्यामपुर थाना रामनगर जिला पूर्व मिदिनापुर पश्चिम बंगाल, तथा दो बांग्लादेशी स्वरुप अधिकारी पिता सन्तु अधिकारी उम्र 25 साल निवासी ईचरवा जिला नोडाइल (बांग्लादेश), मिलन मंडल पिता रतन मंडल उम्र 25 साल निवासी ईचरवा जिला नोडाइल (बांग्लादेश) को गिरफ्तार कर लिया गया। 

आगरा से फ़र्ज़ी आधार बनवाया था बांग्लादेशियो ने 

प्राप्त जानकारी के अनुसार हत्याकांड में लिप्त बांग्लादेशियो मिलन मंडल और स्वरूप अधिकारी 2012 में बॉर्डर क्रास पर भारत में आए थे।  यहाँ पर उसने उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के राजपुरा गांव के सरपंच को रिश्वत देकर फ़र्ज़ी आधार कार्ड बनवा डाला।  उसके बाद यह दोनों पुणे और दिल्ली के होटल में काम करना शुरू किया।  यहीं से इन दोनों की मुलाकात सुशील उर्फ़ शिबू से हुई। 

स्वरूप पुणे और दिल्ली में काम करने के बाद उदयपुर के डबोक में आ कर एक बंगाली डॉक्टर की क्लिनिक पर काम करने लगा। क्लिनिक पर काम करने के दौरान मृतका के पति डॉ सपन कुमार विश्वास के बेटे संचित से जान पहचान हो गई थी। स्वरूप का डॉ सपन कुमार के यहाँ आना जान लगा रहता था। चूँकि स्वरूप आर्थिक तंगी से गुज़र रहा था उसे लगा की डॉ सपन कुमार का परिवार काफी पैसे वाला है तो उसकी नियत बिगड़ गई। स्वरुप ने अपने दोनों मित्रो मिलन मंडल और स्वरुप मंडल के साथ मिलकर लूट की योजना बनाई। 

ऐसे दिया वारदात को अंजाम 

तीनो ने मिलकर लूट का प्लान बनाया। जिसके तहत मिलन और सुशील घटना के दो दिन पहले मावली के लक्की होटल में रुके। फिर योजना के तहत स्वरूप दोनी को लेकर डॉ सपन कुमार के घर आया। चूँकि स्वरूप को डॉ सपन के घरवाले जानते थे इसलिए घर में आने दिया और नाश्ता करवाया। घर पर डॉ सपन की पत्नी नमिता विश्वास और उसका पुत्र संचित विश्वास मौजूद था।  संचित उन तीनो को अपनी माँ के पास छोड़कर किसी काम से बाजार चल गया, इसी दरमियान तीनो ने मौका देखकर नमिता के हाथ पांव बाँध दिए और मुंह पर टेप लगाकर घर में ज़ेवर और नकदी की छानबीन करने लग गए। जब नमिता ने विरोध किया तो पहले उसका गाला दबाया, इलेक्ट्रिक शॉक दिए और धारदार हथियार से उसका गला रेत कर निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया और घर में रखी नकदी और जेवर लेकर फरार हो गए। 

जब नमिता का पुत्र संचित घर में आया तो अपनी माँ का लहूलुहान शव और घर के अंदर मौजूद नकदी, ज़ेवर और मोबाईल और उसका दोस्त स्वरुप एवं उसके साथ आये दो लोग भी ग़ायब मिले तब माजरा समझ में आया। 

चूँकि तीनो में से स्वरूप को संचित जानता था तो उसने पुलिस को स्वरूप की फोटो दी।  फोटो के आधार पर नाकाबंदी कर पुलिस ने तीनो को मावली के आसपास से गिरफ्तार कर लिया और इनके कब्ज़े से 91 हज़ार 200 रूपये नकद, ज्वेलरी और 3 मोबाईल बरामद किये है।  अब पुलिस इन तीनो का आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।       

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