उदयपुर 22 अगस्त 2022। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने आईसीएआर के भीमताल (उत्तराखण्ड) स्थित शीत जल मात्स्यकी अनुशंधान निदेशालय (डी.सी.आर.एफ.) तथा ग्रीन पीपल सोसायटी उदयपुर के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
सोमवार अपरान्ह 4ः30 बजे एमपीयूएटी प्रशासनिक कार्यालय में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ तथा डी.सी.आर.एफ. (आई.सी.ए.आर.) के निदेशक डॉ. पी.के. पाण्डे ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। दूसरे समझौता ज्ञापन पर ग्रीन पीपल सोसायटी के अध्यक्ष डाॅ. राहुल भटनागर, सेवानिवृत, सहायक वन संरक्षक ने हस्ताक्षर किये। इसे मिला कर कुलपति डॉ राठौड़ के कार्यकाल मे 42 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए जिनमे अनेक विदेशी संस्थाओं के साथ भी रहेl
डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर ने कहा कि एमपीयूएटी राजस्थान का पहला विश्वविद्यालय है और हमारी यूनिवर्सिटी ने आई.सी.ए.आर. रैंकिंग मे संपूर्ण भारत मे 15 वां स्थान हासिल किया है साथ ही हमारे विश्वविद्यालय मे प्रदेश का प्रथम मत्स्यकी महाविद्यालय कार्यरत है जिसे हाल ही में आईसीएआर द्वारा मान्यता भी प्रदान की गई है। यह समझौता ज्ञापन एमपीयूएटी के मत्स्यकी छात्रों को शीत जल मात्स्यकी विज्ञान, जलकृषि और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में एक्शन रिसर्च, संयुक्त अध्ययन, संकाय व छात्र विनिमय में मदद करेगा।
डीसीआरएफ के निदेशक डाॅ. पाण्डे ने कहा कि उनका संस्थान शील जल मात्स्यकी अनुसंधान मे देश का अग्रणी संस्थान है। उन्होने विश्वास जताया की इस संयुक्त समझौते के अंतर्गत दोनो सस्थानों के शोधर्थियों को नवाचार से अपना शोध अध्यन करने में मदद मिलेगी। उन्होने बताया की मात्स्य उत्पादन में हमारे देश का विश्व का दुसरा एवं जल कृषि मत्स्य उत्पादन में पहला स्थान उन्होने मछली खाने के लाभ गिनाते हुए कहा कि हमारे भोजन में पोषण की दृष्टि से मछली बहुत महत्वपुर्ण आहार है इसमे स्वरोजगार एवं आर्थिक लाभ के अनेक अवसर है जिन्हे बढ़ाने के लिए सरकार भी निरंतर प्रयत्नशील है।
मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ बी.के. शर्मा ने बताया कि इस समझौते के अंतर्गत दोनों सस्थानों के छात्रों और शिक्षकों के लिए मत्स्यकी के क्षेत्र में ज्ञान साझा करने का अवसर मिलेगा। दोनों संस्थानों के छात्र और वैज्ञानिक संयुक्त रूप से सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं को प्राप्त करने के लिए काम करेंगे। अन्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के समय माननीय कुलपति ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए एमपीयुएटी ने अनेक कार्यक्रम संचालित किये है ग्रीन पीपल सोसायटी के सहयोग से हमे अपने कार्य क्षेत्र को बढ़ाने एवं पर्यावरण संरक्षण वृक्षारोपण इत्यादि कार्यो में सहयोग मिलेगा जो कि हमारे लिए ग्राम विकास एवं किसान कल्याण कि दिशा में नील का पत्थर साबित होगा।
ग्रीन पीपल सोसायटी के अध्यक्षा डाॅ. राहुल भटनागर ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान कहा कि ग्रीन पीपल सोसायटी उदयपुर संभाग वनारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, वन्य जीव संरक्षण इत्यादि क्षेत्रो में कार्य कर रही है तथा इस एमओयु के जरिए उन्हे विश्वविद्यालय के विशेषज्ञो की सेवाएं मिल सकेगी जो उनके कार्यो एवं उद्देश्यो में सहायक सिद्ध होगी। इस अवसर पर एमपीयुएटी के डॉ. एस. के. शर्मा, निदेशक अनुसंधान, डॉ. महेश कोठारी, निदेशक आयोजना, डॉ. आर.ए. कौशिक, निदेशक प्रसार शिक्षा, डाॅ. पी.के. सिंह, अधिष्ठाता सीटीएई, डाॅ. एस.एस. शर्मा, डीन आरसीए, डॉ. मीनू श्रीवास्तव, डीन, सीसीएएस, डॉ. लोकेश गुप्ता, डीन, सीडीएफटी, डॉ. बी. एल. बाहेती, निदेशक, आवासीय निर्देशन, डॉ. मुर्तजा अली सलोदा, छात्र कल्याण अधिकारी, डाॅ. आर.पी. मीणा डीन कृषि महाविद्यालय, डुगरपुर, एवं मात्स्यकी महाविद्यालय से विभागाध्यक्ष एवं पी आर ओ डॉ सुबोध शर्मा और डॉ एम एल ओझा उपस्थित थे।
इस अवसर पर ग्रीन पीपल सोसायटी के डाॅ. शरद श्रीवास्तव ने भी सहयोग के लिए अपना सम्बोधन दिया तथा ग्रीन पीपल सोसायटी के अन्य सदस्य डाॅ. आई.जे. माथुर सेवानिवृत प्रसार शिक्षा निदेशक, श्री इस्माइल अली दुर्गा सेवानिवृत उपनिदेशक मत्स्य विभाग, श्री यासिन पठान, श्री प्रताप सिंह, श्री सुहेल मजबुर, श्री अरूण सोनी एवं डाॅ. ललित जोशी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अनुसंधान निदेशक डाॅ. एस.के. शर्मा ने किया एवं धन्यवाद डाॅ. बी.के. शर्मा ने ज्ञापित किया।
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