कृषि उत्पादन बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा के लिए अपनानी होगी बहु-आयामी रणनीति - राज्यपाल

कृषि उत्पादन बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा के लिए अपनानी होगी बहु-आयामी रणनीति - राज्यपाल

दीक्षांत समारोह में बेटियों ने पदक हासिल करने में बाजी मारी है, 12 छात्रों और 23 छात्राओं को स्वर्ण पदक                               

 
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एमपीयूएटी का 16 वां दीक्षांत समारोह गरिमापूर्ण संपन्न

उदयपुर, 21, दिसम्बर 2022। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय उदयपुर का 16 वां दीक्षांत समारोह बुधवार 21 दिसम्बर को गरिमापूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। कुलाधिपति एवं राज्यपाल, राजस्थान  कलराज मिश्र  ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता  की। राज्यपाल दोपहर 12.00 बजे समारोह स्थल - विवेकानंद सभागार में पहुंचे जहाँ उनके स्वागत के पश्चात् दीक्षांत समारोह प्रारंभ हुआ।

समारोह के प्रारम्भ में राज्यपाल ने उपस्थित विद्यार्थियों, अतिथियों एवं अभिभावकों को संविधान की शपथ दिलाई। दीक्षांत समारोह कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि डॉ एस. एल. मेहता, पूर्व कुलपति एमपीयूएटी तथा पूर्व उप महा निदेशक (कृषि शिक्षा) भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली ने दीक्षांत उद्बोधन दिया। कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने स्वागत के साथ विश्वविद्यालय प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
 

 कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को नमन किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए जीवन का नया सोपन है जिससे वे अपने अर्जित ज्ञान के प्रकाश को समाज और राष्ट्र के विकास के लिए चहुँ ओर फैलाएं। इस अवसर पर उन्होंने सभी पदक विजेताओं और उपाधि प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। माननीय राज्यपाल ने कहा कि कृषि एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आपका यह विश्वविद्यालय शोध और शिक्षा का देश का प्रमुख केन्द्र बने। इसके लिए जरूरी है कि नवाचार अपनाते हुए ऐसे विषयों पर विश्वविद्यालय ध्यान दें जिससे खेतों में उन्नत पैदावर ही नहीं हो बल्कि स्थानीय जलवायु के अनुसार खेती आगे बढ़े। कृषि क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों के दौरान तेजी से विकास और पैदावार में भी तेजी से वृद्धि हुई है परन्तु इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हुई है, खेती का क्षेत्र घटने लगा है। इसके साथ ही और भी बहुत सारी समस्याएं कृषि क्षेत्र में उत्पन्न हुई है।

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मैं चाहता हूं, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इन समस्याओं के प्रभावी समाधान हेतु नई तकनीकों के उपयोग के साथ ही ऐसी शोध विकसित करें जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढे, विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन हो साथ ही खेती में रासायनिक उर्वरकों का कम से कम उपयोग हो। ऐसे उपाय कृषि वैज्ञानिक सुझाएं जिससे खेत-खलिहानों में समृद्धि की बयार आए। हमें हमारी उस प्राचीन संस्कृति को सहेजने की जरूरत है। खेती के पारम्परिक तरीकों के साथ कृषि विज्ञान की हमारी वैदिक परम्परा और लोक से जुड़े ज्ञान का उपयोग हो इस पर वृहद स्तर पर चिंतन करने की आज जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी व खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत हमें अब बहु-आयामी रणनीति अपनानी होगी। जिसके अंतर्गत खाद्य उत्पादन के साथ ही उनके भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण, जरूरतमंदों के लिए विषिष्ट उत्पादन कर उन तक प्रभावी रूप में पोषण पहुंचाने की दिशा में भी कार्य करने होंगे। जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग इस समय की सबसे बड़ी समस्याएं हैं। कृषि - पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित कैसे किया जाए, इस पर वृहद स्तर पर चिंतन करते हुए कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा दिये गए नारे ‘‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ जय अनुसन्धान के नये नारे की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया।
 

उन्होने कहा कि विश्वविद्यालयी शिक्षा का ध्येय यही होना चाहिए कि अज्ञानता के हर स्तर को वह समाप्त करे। जो शिक्षा अंधकार से प्रकाश  की ओर ले जाए, उसी की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि मैं यह मानता हूं कि कृषि एवं प्रौद्योगिकी के जरिए बहुत बड़े स्तर पर समाज में परिवर्तन किया जा सकता है और महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय यह कार्य बखूबी कर रहा है। इस विश्वविद्यालय ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् की रैंकिंग मे प्रदेश मे प्रथम और समूचे देश मे 15वाँ स्थान प्राप्त किया है और साथ ही पांच वर्षों हेतु प्रमाणन प्राप्त कर श्रेष्ठता के स्तर को बनाए रखा है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पूरे परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि समय संदर्भों के साथ कृषि -तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञ पाठ्यक्रमों एवं समन्वित शोध की शुरूआत हो, जिनसे युवा वर्ग कृषि क्षेत्र की वैश्विक और पर्यावरण संरक्षण की चुनौतियों का सामना कर सके।  कुलाधिपति ने अपने कर कमलों से योग्य छात्र छात्राओं को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। जैसा की सभी को जानने की उत्सुकता रहती है, इस दीक्षांत समारोह में भी बेटियों ने पदक हासिल करने में बाजी मारी है, इनमे से 12 छात्रों और 23 छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया है जिसकी राज्यपाल ने भी प्रशंसा की। उन्होंने सभी उपाधियाँ और पदक पाने वाले विद्यार्थिओं और उनके अभिभावकों को बधाई दी।
 

कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने विश्वविद्यालय प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुऐे बताया कि यह हमारे लिए हर्ष का विषय है कि विश्वविद्यालय का कृषि शिक्षा, अनुसधान और प्रसार जैसे सभी मोर्चा पर श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। आईसीएआर रैंकिंग में भी हमने विगत वर्ष 15 वीं रैंक प्राप्त की है जो की 2 साल पहले 51  वीं थी। एमपीयूएटी को समूचे राजस्थान में श्रेष्ठतम विश्वविद्यालय के रूप में कुलाधिपति पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव मिला है। राज्यपाल के स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव पर गोद लिए ग्राम मदार में भी हमारा श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है जिसके फलस्वरूप हमारे कार्यों और मदार को सभी विश्वविद्यालयों के लिए आदर्श ग्राम के रूप में रखा गया है।
 

आपके आदेशों के प्रतिपालन में हम एम पी यू ए टी में एक उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल बनाए रखने में सक्षम रहे हैं। फलस्वरूप आज के इस दीक्षान्त समारोह में 760 स्नातक, 126 स्नातकोत्तर और 68 विद्यावाचस्पति विद्यार्थिओं को उपाधियाँ प्रदान की जा रही हैं। साथ ही कुलाधिपति के करकमलों से 13 स्नातक, 17 स्नातकोत्तर और 2 विद्यावाचस्पति छात्रों को उनके संबंधित संकायों में योग्यता के क्रम में प्रथम स्थान हासिल करने पर स्वर्ण पदक प्रदान किया जा रहा है। सामुदायिक व व्याहारिक विज्ञान महाविद्यालय के होनहार विद्यार्थी यथार्थ शर्मा को कुलाधिपति पदक से भी सम्मानित किया जा रहा है। 1 छात्रा को जैन इरिगेशन मेडल व 1 छात्रा को श्री फूल सिंह राठौड़ स्मृति पदक भी प्रदान किया जा रहा है। उन्होने कहा कि शिक्षा व सम्बन्धित क्षेत्रों में उपलब्धियों और नवाचारों के कड़े मापदंडों पर आधारित प्रतिष्ठित कुलाधिपति पुरस्कार के प्रथम विजेता का गौरव प्राप्त करना निश्चय ही हमारे लिये एक बड़ी उपलब्धि थी जो हमें भविष्य में और अधिक ऊर्जा से कार्य करने की शक्ति प्रदान करेगी। कुलपति ने एमपीयुएटी के सभी छः महाविद्यालयों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा प्रमाणन, तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उच्य एनआईआरएफ  रैंकिंग, चार इकाईयों को आइएसओ 9001 प्रमाणन मिलने की बात कही जो कि हमारी प्रायोगिक शिक्षण में उच्च क्षमता का परिचायक हैं।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के लिये इस वर्ष नामीबिया विश्वविद्यालय तथा वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय आस्ट्रेलिया के साथ तीन अनुबंध हस्ताक्षरित किये गए। शिक्षा, शोध तथा प्रसार को व्यापक आधार प्रदान करने हेतु इस वर्ष अब तक 16 ख्यातिनाम संस्थाओं से समझौते हस्ताक्षरित किये गये। हाल ही हमारे 5 विद्यार्थी अग्रिम प्रशिक्षण हेतु परड्यू विश्वविद्यालय, अमेरिका गये हुए हैं तथा 5 विद्यार्थी नॉर्थ केरोलिना विश्वविद्यालय जायेंगे। साथ ही तीन संकाय साथियों को प्रशिक्षण हेतु विदेश भेजने का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया गया है। डॉ कर्नाटक ने कहा कि जैविक कृषि, कृषि अनुसन्धान मे भी उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
 

उन्होंने विद्यार्थियों के स्टार्ट अप, कैंपस प्लेसमेंट अखिल भारतीय शोध परियोजनाओं, मक्का, मशरूम और फूलों की नयी किस्मों के विकास, डिजिटल टेक्नोलॉजी के विकास, कृषि ड्रोन और हुमनोइड रोबोट की स्थापना, बीजोत्पादन, मत्स्य पालन, प्रताप धन मुर्गी उत्पादन, कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा प्रदेश के सात जिलों में और आदर्श ग्राम में किये जा रहे कृषि प्रसार कार्यों, विश्वविद्यालय के राजस्व में बढ़ोत्तरी, कृषक महिलाओं, ग्रामीण युवाओं व फैकल्टी के कौशल विकास, की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारे विश्व विद्यालय की प्रगति को सुनिश्चित करने में माननीय कुलाधिपति के दिशा निर्देशों में हमारे शिक्षकों, कृषि वैज्ञानिकों, सहशैक्षणिक कर्मचारियों और विद्वार्थियों सभी का सामूहिक योगदान रहा है। इस अवसर पर मैं आप सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
 

तत्पश्चात डॉ एस एल मेहता ने अपना दीक्षांत उद्बोधन दिया उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन करते हुए निरंतर ज्ञानार्जन की बात कही उन्होंने कहा की आज विज्ञान की समग्र शाखाओं को एक प्लेटफार्म पर एकत्रित हो कर विकास करने की आवश्यकता है उन्होंने विश्वविद्यालय में किये जा रहे नवाचारों, आई सी ए आर रेंकिंग में ऊँची छलांग और सभी कॉलेजों के प्रमाणन, नई किस्मों को जारी करने, प्रौद्योगिकियों के विकास, एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने, किसानों को उच्च आय के लिए प्रौद्योगिकी प्रसार और उद्यमिता विकास के लिए  कुलपति की भूरी भूरी प्रशंसा की प् डॉ मेहता ने कहा की एमपीयूएटी को राज्य में कृषि परिवर्तन का प्रणोदक होने का गौरव प्राप्त है। इसने योग्य मानव संसाधन विकसित करने में नेतृत्व स्थापित किया है जिन्होंने राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने महानिदेशक आईसीएआर और सचिव डेयर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी है; अध्यक्ष, एएसआरबी; कई विश्वविद्यालयों के कुलपति; एमडी, अमूल और वरिष्ठ प्रशासनिक पद पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं । उन्होंने प्रदेश में सीमित पानी, सीमित जोत और संसाधनों की चुनोतियों की दृष्टि में जैविक और पारंपरिक कृषि को बढ़ावा देने हेतु शोध की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एमपीयूएटी की प्रमुख उपलब्धियों में कृषि ऐप्स का विकास, पॉलिमर स्टार्टअप, सौर ऊर्जा संचालित मृदा परीक्षण टॉवर के साथ डिजिटल प्रौद्योगिकी सेल की स्थापना, ह्यूमनॉइड रोबोट, राज्य में पहला कृषि ड्रोन लॉन्च करना, 2 वर्षों में 12 पेटेंट प्राप्त करना और एम ओ यू  शामिल हैं।
   

इन्हें मिली उपाधि और स्वर्ण पदकः विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ सुनील इंटोदिया ने बताया की विश्वविद्यालय के 16 वें दीक्षांत समारोह में 954 उपाधियाँ प्रदान की गई। जिनमें कृषि, इंजीनियरिंग, सामुदायिक विज्ञान,  डेयरी टेक्नोलॉजी व मात्स्यकी संकाय में 760 स्नातक, 126  स्नातकोत्तर व 68 विद्या-वाचस्पति की उपाधियाँ प्रदान की गईं । उल्लेखनीय है की इस दीक्षांत समारोह में 650 छात्रों को एवं 304 छात्राओं को उपाधि मिली है


दीक्षांत समारोह के समन्वयक डॉ पी के सिंह ने बताया की समारोह में सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आई वी त्रिवेदी, राजुवास बीकानेर के  कुलपति डॉ एस. के. गर्ग, पूर्व कुलपति डॉ ए. के.गहलोत, पूर्व कुलपति एमपीयूएटी डॉ उमा शंकर शर्मा, जिला प्रशासनिक अधिकारी, प्रबंध मंडल के सदस्य, राज्यपाल के एडीसी एवं राजभवन के अन्य अधिकारी गण, गणमान्य नागरिक, अभिभावक, विश्वविद्यालय के उच्य अधिकारी गण विभागाध्यक्ष, शैक्षणिक व सह शैक्षणिक स्टाफ और प्रेस व मीडिया के साथी उपस्थित थे जन संपर्क अधिकारी डॉ सुबोध शर्मा ने बताया की कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव सुधांशु सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ सुनील इंटोदिया, डॉ सोनू मेहता एवं डॉ गायत्री तिवारी ने किया, कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। दीक्षांत समारोह के समन्वयक डॉ पी के सिंह ने समारोह के सफल आयोजन के लिए सभी कमेटियो के अध्यक्ष एवं समन्वयकों का आभार व्यक्त किया।  

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