उदयपुर, 27 मार्च 2025। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित उदयपुर के भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन गुरूवार को भूपाल नोबल्स संस्थान के महाराणा प्रताप खेल मैदान पर भव्य आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ, जिसमें देशभर से प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति रही। दीक्षांत समारोह बेटियों के नाम रहा। 147 में से 131 स्वर्ण पदक बेटियों को मिले तो सबके चहरे खिल उठे, तालियों की गड़गड़ाहट से पांडाल गूंज उठा, नारी शक्ति की जय-जयकार हो उठी। 224 को पीएच.डी की उपाधि प्रदान की गई जिसमें से 154 बेटियों के नाम रही। इसमें भी 68.75 प्रतिशत अर्थात 154 पीएचडी सिर्फ बेटियों ने प्राप्त कर पचरम फहरा दिया।
इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण से सम्मानित एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सदस्य, सम्मानित राजनेता और प्रसिद्ध दार्शनिक महाराजा जम्मू एवं कश्मीर डॉ. कर्ण सिंह ने दीक्षांत उद्बोधन में युवाओं से कहा कि जब तक आप अपना निर्माण नहीं करोगे, तब तक आप इस योग्य नहीं बनोगे कि आप इस भारतवर्ष का निर्माण कर सको। अपना निर्माण आपको हर प्रकार से करना होगा। अपने शरीर को स्वस्थ रखो। अपने शरीर को तंबाकू से दूर रखो। तंबाकू का जहर दोगे तो फेंफडे खराब हो जाएंगे, शराब पिओगे तो लिवर खराब हो जाएगा। नशीले पदार्थ खाएंगे तो दिमाग खराब हो जाएगा। स्वस्थ रहिये ताकि देश सेवा में लग सकें। दिमाग को चतुर बनाइये। बदलते दौर में अपने दिमाग को तेज बनाइये। उसका सृजनात्मक प्रयोग लगातार कीजिए, सीखिये जितना कुछ हो सके। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, मैं आज तक सीखता ही जा रहा हूं। जहां से अच्छे विचार आएं, हमें सीखना चाहिए। शरीर को बनाइये, मस्तिष्क को बनाइये।
समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि महाराजा डॉ. कर्णसिंह, चेयरपर्सन कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, मंत्री महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, अध्यक्ष डॉ. चेतन सिंह चौहान, रजिस्ट्रार डॉ. एन.एन. सिंह खौड़ द्वारा पंडित प्रो. परमानंद भारद्वाज के मंत्रोच्चारण के साथ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजली एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कर्नल प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने कहा कि 1923 में वंचित वर्ग को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से तात्कालीन महाराज कुंवर भूपाल सिंह ने नोबल्स विद्यालय की स्थापना हुई जिसे 2015 में राजस्थान सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। उन्होंने कहा कि साहित्यिक, सांस्कृतिक, वन शिविर, इंडस्ट्रियल विजिट, जन जागरूकता कार्यक्रम, नॉलेज शेयरिंग आदि में हमारा विश्वविद्यालय बेस्ट प्रैक्टिस के तहत एमओयू साझा कर रहा है। हमें गर्व है कि 90 प्रतिशत गोल्ड मेडल छात्राओं ने जीते हैं। पीएचडी धारक भी 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। सत्य यह है कि नारी संपूर्ण राष्ट्र को सही दिशा दिखा रही है। हमारी प्राचीन भारतीय सभ्यता में शिक्षक को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है।
यह दिन संपूर्ण भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के लिए बहुत खास है। महाराणा भूपाल सिंह जी ने 103 वर्ष पूर्व इस लोकसेवी संस्थान की नींव रखी थी, जो आज 8658 विद्यार्थियों के साथ एक वटवृक्ष का रूप ले चुका है। कला, वाणिज्य, विज्ञान, कृषि, एजुकेशन, योग, लॉ, फिजिकल एजुकेशन सहित अनेक विषयों और संकायों में आज यहां शिक्षा प्रदान की जा रही है। विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अपनाते हुए विश्वविद्यालय के संकायों ने 23 पेटेंट प्राप्त किए हैं, 2 कॉपीराइट्स हुए हैं, 33 पुस्तकें लिखी गई हैं, 28 अध्याय (चौप्टर्स) प्रकाशित किए गए हैं, और शोध कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है।
दीक्षांत समारोह में शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्रदान की गईं जबकि विभिन्न संकायों के मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदकों और विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
समारोह से पूर्व अतिथियों द्वारा संस्थान परिसर में लगी भूपाल सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया, ततपश्चात एनसीसी केडेट्स द्वारा महाराजा डॉ. कर्णसिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय के परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार सेरेमोनियल रोबिंग हुई। चेयरपर्सन प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत द्वारा मुख्य अतिथियों का औपचारिक स्वागत एवं समारोह की आधिकारिक घोषणा के बाद दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्रदान की गई।
डॉ. महेंद्र सिंह राठौड़ ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 94 वर्ष की उम्र राज ऋषि डॉ. कर्णसिंह का समारोह में आना ही हम सभी के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपनी 103 वर्ष पुरानी धरोहर का संजोये हुए है।
इस अवसर पर एमपीयूटी के कुलपति प्रो. अजित कुमार कर्नाटक, आईपीएस डॉ. विष्णुकांत , आईएस शक्ति सिंह राठौड, डॉ. चेतना भाटी, सीकर जिला प्रमुख गायत्री राठौड़, वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार, पूर्व विधायक त्रिलोक पुर्बिया, प्रो. एकलिंग सिंह झाला, उपाध्यक्ष प्रो. दरियाव सिंह चुण्डावत, संयुक्त मंत्री राजेन्द्र सिंह ताणा, वित्त मंत्री शक्ति सिंह कारोही, कार्यकारिणी सदस्य डॉ. युवराज सिंह राठौड़, नवल सिंह जुड, नकुल सिंह भाटी, कमलेश्वर सिंह कच्छेर, भंवर सिंह चौहान, सुरेन्द्र प्रताप सिंह शक्तावत, करण सिंह चुण्डात, महेन्द्र सिंह चुण्डावत, पुष्पेन्द्र सिंह शक्तावत, राजेन्द्र सिंह राणावत, कुलदीप सिंह चुण्डावत, महेन्द्र सिंह पाटिया पी.जी. डीन डॉ. प्रेम सिंह रावलोत, डॉ. रेणु राठौड, डॉ. रितु तोमर, डॉ. रजनी अरोडा, भानु प्रताप सिंह, सहित संस्थान के डीन, डायरेक्टर सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
संचालन डॉ. अनिता राठौड, डॉ. मनीषा शेखावत, डॉ. तनवी अग्रवाल ने किया।
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