मावली ब्लॉक के सभी स्कूल प्रमुखों ने एक मंच पर एकत्र होकर शिक्षा के सवस्थ और समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चा की। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य स्कूलों की पाठ्यचर्या को बेहतर बनाना और विद्यार्थियों की बहुपरकारी क्षमताओं को विकसित करना था।
कार्यक्रम के दौरान गीतांजलि इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्निकल स्टडीज के निदेशक डॉ एन एस राठौड़ ने विशेष रूप से स्कूल शिक्षा में संतुलन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्कूल की शिक्षा का 25% हिस्सा शारीरिक, 25% बौद्धिक, 25% भावनात्मक और 25% आध्यात्मिक होना चाहिए। उनका मानना है कि इस संतुलित दृष्टिकोण से विद्यार्थियों में सभी प्रकार की क्षमताओं का विकास होगा।
निदेशक ने आगे कहा कि सभी विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता और समय प्रबंधन के गुण होने चाहिए। इसके साथ ही, शिक्षा के विभिन्न युगों-शिक्षा 1.0, शिक्षा 2.0, और शिक्षा 3.0 पर भी चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि शिक्षा 1.0 में केवल किताबों पर ध्यान दिया जाता था, शिक्षा 2.0 में डिजिटल माध्यमों का प्रयोग शुरू हुआ, और शिक्षा 3.0 में विद्यार्थियों को अधिक सृजनात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया। साथ ही शिक्षा 4.0 में आर्टिफिशियल तकनीकों पर आधारित ज्ञान होना आवश्यक है।
सभी स्कूल प्रमुखों ने इस बात पर सहमति जताई कि विद्यार्थियों को केवल अकादमिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन की विभिन्न आवश्यक क्षमताओं में भी पारंगत होना चाहिए। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार होगा बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास में भी वृद्धि होगी। इस अवसर पर वाक पीठ के मावली ब्लॉक के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार सुथार, अध्यक्ष उमेश माहेश्वरी ( प्राचार्य जी. एस एस स्कूल सिंधु ) राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भीमल के प्राचार्य एवं उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार दुलावत तथा पलाना खुर्द के प्राचार्य वाक पीठ के सचिव प्रदीप सिंह नेगी ने छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए अपने अपने विचार व्यक्त किये
वित्त नियंत्रक बी एल जागीड ने कहा कि मावली ब्लॉक में इस प्रकार के संगठित प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद जताई जा रही है।
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