रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप की चेतक आरूढ़ प्रतिमा और क्रिकेट स्टेडियम, पवेलियन का किया लोकार्पण

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप की चेतक आरूढ़ प्रतिमा और क्रिकेट स्टेडियम, पवेलियन का किया लोकार्पण

विद्यापीठ का भव्य 16वां दीक्षांत समारोह

 
rajnath singh

उदयपुर 15 अप्रेल 2023 । जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय उदयपुर के 16वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 32 पी.एचडी की उपाधियां और 14 स्वर्ण पदक प्रदान किये। 14 में से 12 स्वर्ण पदक बेटियों के नाम रहे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप की चेतक आरूढ़ प्रतिमा और क्रिकेट स्टेडियम, पवेलियन का लोकार्पण भी किया।  वहीँ डॉ. तेजस्विनी अनंत कुमार को ‘‘पं.जनार्दन राय नागर संस्कृति रत्न सम्मान‘‘ से नवाजा। 

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जीवन में सफलता और विफलता दोनों ही का अपना महत्व है। असफलताएं हमें निखारने आती हैं, असफलता के बाद हमेशा कोशिश जारी रखनी चाहिए और सीखते हुए जीवन में आगे बढना चाहिए। अभिभावक भी अपने बच्चों की योग्यताओं और क्षमताओं का आकलन उनके परिणामों से नहीं करके उनके सीखने के प्रयासों से करें। कोई भी लक्ष्य जीवन से बडा नहीं हो सकता है। युवाओं का परीक्षाओं के दबाव में जीवन को खोना हमारी सामाजिक विफलताओं को बताता है। इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। 

उन्होंने कहा कि विद्यापीठ में विज्ञान प्रौद्योगिकी, चिकित्सा आधारित पाठयक्रमों के साथ-साथ प्रताप, मीरा के शोध पीठों का कार्य विद्यापीठ के प्राचीन और नवीनतम विचारों के समन्वय का प्रतीक है। राष्ट्र की वैश्विक प्रगति व विश्व गुरू के सम्मान का आधार उद्यमिता, कौशल विकास और नवीन अनुसंधानों से युक्त आज की युवा पीढी है। सरकार युवाओं के समग्र विकास हेतु लगातार प्रयासरत है। जब तक हम विद्यार्थियों का कॉम्प्रिहेंसिव विकास नहीं करते, तब तक राष्ट्र के संपूर्ण विकास की कल्पना नहीं हो सकती। 

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कुलपति प्रो. एस एस सारंदेवोत ने बताया कि समारोह के मुख्य अतिथि देश के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह दिल्ली से विशेष विमान से शनिवार सुबह 10.20 बजे पर डबोक एयरपोर्ट पर पहुंचे व वहां से सीधे प्रतापनगर स्थित विद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर में लगी संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की, एनसीसी के कैडेटस ने रक्षामंत्री को गार्ड आफ ऑनर प्रदान किया। इसके बाद दो करोड़ रूपयों की लागत से तैयार पवेलियन, क्रिकेट स्टेडियम व प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की चेतक आरूढ़ प्रतिमा का लोकार्पण कर नमन किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह, शिक्षाविद् एवं समाजसेवी अनिल सिंह, दीनदयाल उपाध्याय विवि गोरखपुर युपी के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, श्री गोविन्द गुरू विवि गोधरा के कुलपति प्रो. प्रताप सिंह चौहान, कुल प्रमुख बीएल गुर्जर, रजिस्ट्रार हेमशंकर दाधीच ने भी विचार व्यक्त किए।

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उदयपुर आकर अभिभूत हुए रक्षामंत्री ने कहा कि जब भी मैं राजस्थान में आता हूं मुझे राणा की शक्ति, मीरा की भक्ति, पन्नाधाय की युक्ति और भामाशाह की संपत्ति स्वाभाविक रूप से ध्यान में आती है। राजस्थान की हवाओं में उनकी कथाएं बराबर तैरती रहती है। दीक्षांत समारोह में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ परिवार के सदस्यों के बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। राजस्थान की इस महान भूमि ने ब्रह्मगुप्त जैसे एकेडमीशियन दिये हैं जिन्होंने मैथमेटिक्स के क्षेत्र में दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। युवा साथियों को हृदय से बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने पिछले वर्षों में कड़ी मेहनत से लगन और समर्पण के साथ काम किया है और उसका प्रतिफल वह आज डिग्री के रूप में प्राप्त कर रहे हैं। क्योंकि मैंने भी विश्वविद्यालय का जीवन जिया है। इसलिए मैं उस खुशी को सहज रूप से अनुभव कर सकता हूं। मैं विद्यापीठ के सभी शिक्षकों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने विद्यार्थियों के सपनों को पंख दिए हैं। मैं आपके माता-पिता को भी बधाई देता हूं। संयोग से मैं भी एक शिक्षक रहा हूं इसलिए आप सभी को होने वाले आनंद की भी सहज रूप से अनुभूति कर सकता हूं।

नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि राजस्थान और देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में से एक

उन्होंने कहा कि यह आप सभी के ही परिश्रम का फल है कि जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि राजस्थान और देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में से एक है। आप सभी समृद्ध रूप से प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद एवं स्वाधीनता सेनानी पंडित जनार्दन राय नागर के सपनों को आकार दे रहे हैं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उल्लेखनीय है कि यह विद्यापीठ अपने स्थापना काल से ही शिक्षा, साहित्य संस्कृति इतिहास के क्षेत्रों में विविध प्रकार की कार्य योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए राष्ट्र और समाज की चहुमुखी प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। राजस्थान विद्यापीठ ने कई उच्च कोटि के शोध कार्य किए हैं। माइनिंग के क्षेत्र में भी इस विश्वविद्यालय के कार्यों की गिनती अग्रिम पंक्ति में की जाती है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा जो योजनाएं प्रारंभ की गई हैं उन्हें विश्वविद्यालय ने अपनाया है इसके लिए मैं विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने संस्थान की विकास यात्रा व उत्कृष्ट कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आज विद्यापीठ ने हर क्षेत्र में अपने आप को उत्कृष्ट मापदंडानुसार साबित किया है। उन्होंने विद्यार्थियों को भावी जीवन में सफलता के साथ-साथ संस्कारों से परिपूर्ण भारतीय विचारधारा को अपनाने व बनाए रखने का आहृवान किया। संस्थापक मनीषी पं जनूभाई ने 1937 में तीन रूपए व पांच कार्याकर्ताओं के साथ जो शिक्षा की अलख आदिवासी अंचल व सुदूर क्षेत्रों में जगाने का जो महायज्ञ शुरू किया वह आज 10 हजार विद्यार्थियों की संस्थान के रूप में वटवृक्ष का रूप ले चुका है। आज विद्यापीठ 40 से अधिक पाठ्यक्रमों का संचालन सफलतापूर्वक कर रहा है।  

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यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो डीपी सिंह ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में तकनीकों के साथ भारतीय मूल्यों और विचारों को प्राथमिकता से शामिल करने और विद्यार्थियों को एक उत्कृष्ट विचारधारा एवं दृष्टि देने के लिए शिक्षा संस्थाओं का आह्वान किया। उन्होंने विद्यापीठ द्वार इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की। सांसद अर्जुनलाल मीणा ने बधाई दी व केंद्र सरकार से आह्वान किया कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालय को अनुदान प्रदान करें। कुलाधिपति प्रो बलवंतराय जानी ने औपनेवेशिक समय में भारतीय संस्कृति व मूल्यों से युक्त विचारधारा पर आधारित इस संस्थान की शुरूआत और वर्तमान स्वरूप तक की विराट यात्रा के बारे में बताया व कहा कि पं मदनमोहन मालवीय, स्वामी विवेकानंद और मनीषी पं  जनार्दनाराय नागर तीनों के वैचारिक मूल्यों और दर्शन की उत्कृष्टता आज संस्थान द्वारा विद्यार्थियों में पोषित की जा रही है जिससे राष्ट्र अपने परम वैभव की प्राप्ति पुनः कर सके।

इस अवसर पर उप महापौर पारस सिंघवी, समाजसेवी कुबेरसिंह चावडा, भाजपा जिला प्रभारी बंशीलाल खटीक, पूर्व विधायक दलीचंद डांगी, विद्या प्रचारिणी सभा के सेक्रेट्र महेंद्रसिंह आगरिया, एमडी डॉ मोहब्बतसिंह रूपाखेडी, ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के अध्यक्ष एकलिंगसिंह झाला, डीन डॉ रेनू राठौड, डॉ अनिता राठौड पूर्व कुलपति प्रो एनएस राठौड, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, जिला प्रमुख ममता पंवार, देहात अध्यक्ष चंद्रगुप्तसिंह चौहान, प्रमोद सामर, महामंत्री गजपालिसिंह राठौड, पूर्व मंत्री चुन्नीलाल गरासिया, पूर्व विस अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत, राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी, पीठ स्थवीर डॉ कौशल नागदा, डॉ सरोज गर्ग, डॉ रचना राठौड, डॉ लिली जैन, डॉ अमी राठौड, प्रो जीवनसिंह खरकवाल, प्रो मंजू मांडोत, प्रो शैलेंद्र मेहता, प्रो मलय पानेरी, डॉ युवराजसिंह राठौड, डॉ भवानीपालसिंह, डॉ पारस जैन, डॉ दिलीपसिंह चौहान, डॉ हेमेंद्र चौधरी, डॉ तरूण श्रीमाली, डॉ मनीष श्रीमाली, प्रेमसिंह शक्तावत, महेंद्रसिंह शेखावत, साहित्यकार किशन दाधीच, डॉ प्रवीण खंडेलवाल, अनंत गणेश त्रिवेदी, उप प्रधान प्रतापसिंह चौहान, हिमांशुराजसिंह झाला सहित गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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