विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर राजनीति से जोड़ना आज की महती आवश्यकता : प्रो. अमेरिका सिंह

विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर राजनीति से जोड़ना आज की महती आवश्यकता : प्रो. अमेरिका सिंह

हमारे पाठ्यक्रम ऐसे हों जो नई शिक्षा नीति के अनुरूप हों और भविष्य के लिए रोजगार, कौशल विकास आदि के साथ-साथ कुशल राजनेता तैयार करने का दायित्व भी निभाए

 
mlsu

प्रो. एस.एल. शर्मा ने भारतीय संविधान और वर्तमान भारतीय समाज विषय पर बोलते हुए कहा कि देश के नागरिकों को अपनी पहचान ठीक करने की आवश्यकता है

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग द्वारा संविधान दिवस पर *‘‘भारतीय गणतंत्र एवं संविधान : अपेक्षाएँ एवं उपलब्धियाँ’’* विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में हुआ। महाविद्यालय के अधिष्ठाता और संगोष्ठी संयोजक प्रो. सी.आर. सुथार ने बताया कि संगोष्ठी के द्वितीय दिवस पर आयोज्य समापन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अमेरिका सिंह ने अपने उद्बोधन में संविधान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए संवैधानिक मूल्यों को जीवन में अपनाने का संदेश दिया।

कुलपति ने अपने उद्बोधन में नए पाठ्यक्रमों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के विभाग इस प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार करे जिससे कि आज का विद्यार्थी यहाँ शिक्षा प्राप्त कर भविष्य का एक सफल नागरिक बन देश और समाज के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाए। प्रो. सिंह ने इस बात पर भी बल दिया कि विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों में नेतृत्व का गुण भी विकसित करना चाहिए जिससे कि देश की राजनीति में हमारे विद्यार्थी महत्त्वपूर्ण पदों अपनी भूमिका निभाते हुए सुदृढ़ राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि हमारे पाठ्यक्रम ऐसे हों जो नई शिक्षा नीति के अनुरूप हों और भविष्य के लिए रोजगार, कौशल विकास आदि के साथ-साथ कुशल राजनेता तैयार करने का दायित्व भी निभाए। 

संगोष्ठी में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रो. एस.एल. शर्मा ने भारतीय संविधान और वर्तमान भारतीय समाज विषय पर बोलते हुए कहा कि देश के नागरिकों को अपनी पहचान ठीक करने की आवश्यकता है। उन्हें केवल अपने को मतदाता मात्र नहीं मानना चाहिए बल्कि एक श्रेष्ठ नागरिक के रूप में पूरी तरह जागरूक रहते हुए अपना योगदान देना चाहिए।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. लक्ष्मी लाल वैरागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी सरकारों को हर पाँच-दस सालों में एक सर्वेक्षण करवाकर जनमन का मत लेना चाहिए जिससे कि विविध योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन की दिशा में बेहतरी से कार्य किए जा सके। डॉ. वैरागी ने आजादी से लेकर अब तक के भाषायी विकास और शिक्षा के बदलते परिदृश्य पर भी अपने विचार रखे। 

संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के सत्रों में प्रो. रेणु गणेश (पटियाला), प्रो. राजवीर सिंह (हरियाणा), डॉ. वैंकट कृष्णन (गांधीनगर), डॉ. अनीता जोया, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. सतीश अग्रवाल, डॉ. जोरावर सिंह, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, मीनाक्षी और शिल्पी तंवर सहित विभिन्न शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने अपने पत्रों का वाचन किया। 

धन्यवाद देते हुए महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. सी.आर. सुथार ने कहा कि आज के परिदृश्य में युवाओं को संविधान के विविध प्रावधानों के ज्ञान की महती आवश्यकता है। प्रो. सुथार ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना और उसके विविध भागों पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गिरिराज सिंह चौहान ने किया।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal