शाही लवाजमें के साथ नगर भ्रमण पर निकले आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर


शाही लवाजमें के साथ नगर भ्रमण पर निकले आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर

पूरे मार्ग में हुई महाकाल की भव्य अगवानी, आरती

 
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उदयपुर। सार्वजनिक प्रन्यास मंदिर श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास महोत्सव के अंतिम सोमवार को आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर ने नगर भ्रमण किया।

प्रन्यास सचिव एडवोकट चन्द्रशेखर दाधीच ने बताया कि श्रावण महोत्सव के तहत् परम्परागत रूप से निकलने वाली शाही सवारी श्रावण मास के अंतिम सोमवार 28 अगस्त को अभिजित मुर्हूत में 12.15 बजे महाकालेश्वर मंदिर के पूर्वी द्वार से सिंह गुफा होते हुए निर्धारित मार्ग पर निकली। दाधीच ने बताया कि सवारी के पूर्व आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर के विग्रह स्वरूप को रजत पालकी में विराजमान कर मंदिर परिक्रमा करा अभिजित मुर्हूत में शाही सवारी शिव शक्ति व शिव परिवार सहित विभिन्न देवी देवताओं की आदमकद झांकियां साथ नगर भ्रमण को निकले।

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महोत्सव समिति के संयोजक रमाकान्त अजारिया व एडवोकेट सुन्दरलाल माण्डावत ने बताया कि नगर भ्रमण पर निकलने वाली शाही सवारी में इस बार सर्वप्रथम आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की प्रातः परम्परागत रूप से सेवा पूजा हुई व प्रभु महाकालेश्वर को सहस्त्रधारा अभिषेक, रूद्रीपाठ सुनाया गया।

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महोत्सव समिति विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि शाही सवारी के आगे प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश उनके साथ साथ शिव परिवार, राम जी, हनुमान जी, विश्वकर्मा जी, महर्षि दधीची के साथ कई देवी देवताओं की आदम कद झांकियां साथ रही। इनके बीच मां जगदम्बा व विशाल नन्दी पर विराजित महाकाल की झांकी साथ के साथ एक कतार में गौ माता की झांकिया चली।  झांकियों के बीच में आदिवासी बाहुल्य द्वारा गवरी मंचन किया गया।

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मार्ग की शुद्धता के लिए गौ मूत्र का छिड़काव एवं वायुशुद्धि के लिए गूगलधूप के साथ मशालें जिनमें गूगल, धूप, अगरबत्ती, लोबान से मिश्रित द्रव्य से रास्ते भर पवित्र वातावरण बना रहा।  आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की रजत पालकी के पीछे विशेष तोप द्वारा पुरे मार्ग पर गुलाब के फूलों की पखुंडियों से पुष्पवर्षा की गई

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आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की शाही सवारी में इस बार मेवाड़ क्षेत्र के वनवासी अंचल से आदिवासी समुदाय बड़ी संख्या में अपनी परम्परागत पौशाक पहनकर भगवान शिव की बारात के रूप में गवरी नृत्य, भजन, लोक वाद्य बजाते गाते चले।

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शाही सवारी महाकालेश्वर मंदिर के पूर्वी द्वार से होते हुए पीपी सिंघल मार्ग, काला किवाड़, स्वरूप सागर, शिक्षा भवन चैराहा, चेतक सर्कल, स्वप्नलोक, हाथीपोल, मोती चौहट्टा, घंटाघर, जगदीश मंदिर, चांदपोल, जाड़ा गणेश जी, अम्बापोल, अम्बामाता होते हुए पुनः महाकाल मंदिर पहुंची।

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प्रन्यास सचिव चन्द्रशेखर दाधीच ने बताया कि आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की चेतक सर्कल स्थित भगवान शनि देव पुजारी परिषद की ओर से टेक्सी स्टेण्ड पर आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की अगवानी कर भव्य आरती की गई। इसके पश्चात् चेतक स्थित आशीष पैलेस होटल के बाहर सिख समाज, स्वप्नलोक पर सिन्धी समाज, हाथीपोल पर खटीक समाज व कालिका माता पुजारी परिषद द्वारा आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर का परस्पर पूजन स्तवन व आरती की। इसके पश्चात् शाही सवारी का हाथीपोल अन्दर मावा गणेशजी के बाहर विशेष पूजा अर्चना की गई। मोती चौहट्टा से जगदीश मंदिर के बीच विभिन्न समाजों आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की अगवानी कर पुष्प वर्षा व जगह जगह आरती की गई।

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महोत्सव समिति के विनोद कुमार शर्मा व महिपाल शर्मा ने बताया कि जगदीश मंदिर पुजारी परिषद द्वारा आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की अगवानी कर परस्पर पूजन स्तवन व महाआरती की गई। जहां महाकाल की ओर से जगन्नाथ स्वामी को सुदर्शन चक्र व जगन्नाथ स्वामी की ओर से महाकाल को त्रिशुल व कमल भेंट किया गया। तत्पश्चात् जगदीश मंदिर पर महाकाल की भव्य आरती की गई। इसी क्रम में जाडा गणेश मंदिर के बाहर विशेष पूजा अर्चना हुई। सवारी के अंत में अम्बामाता मंदिर पर माताजी पुजारी परिषद की ओर से आशुतोष भगवान की विशेष पूजा अर्चना कर मां जगदम्बा व आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की भव्य आरती की गई। आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी मंदिर पहुंचने के बाद सायंकाल भव्य आरती की गई।
आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी के आगे परम्परागत रूप से महिलाएं झाडु बुहारते चली। साथ की ओगड़ी की अखण्ड धुणी की झांकी में पूरे मार्ग आहुतियां दी गई।

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