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उदयपुर में कैम्ब्रिज वैज्ञानिकों का व्याख्यान 14 सितंबर को

कैम्ब्रिज इंडिया रिसर्च फाउंडेशन और विद्या भवन का संयुक्त आयोजन
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उदयपुर 13 सितंबर 2025। मानव भ्रूण, कोशिकाओं तथा तंत्रिका तंत्र पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुए महत्वपूर्ण शोधों से कैंसर, स्नायु रोगों तथा उम्र जनित बीमारियों को समझने व सटीक उपचार प्राप्त करने में सहायता मिल रही है। मानव भ्रूण के नई दृष्टि से अध्ययन सहित स्टेम सेल, कोशिकीय रिप्रोग्रामिंग, मानव भ्रूण मॉडलिंग, 3 डी आर्गन कल्चर, आईवीएफ पर कैंब्रिज में शोध एवं नवीन खोज  कर रहे विश्व के दो प्रमुख वैज्ञानिक डॉ ऐना फिलपोट तथा डॉ बेंजामिन साइमंस रविवार को विद्या भवन ऑडिटोरियम में अपने अनुभवों व शोध परिणामों को साझा करेंगे। 

विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ जे के तायलिया तथा मुख्य संचालक राजेंद्र भट्ट ने बताया कि प्रोफ़ेसर फिलपोट कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की प्रो-वाइस चांसलर एवं कैम्ब्रिज स्टेम सेल संस्थान  की प्रमुख वैज्ञानिक  है। वे विकासात्मक जीव विज्ञान, डेवलपमेंटल बायोलॉजी की प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन पश्चात  हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से दो  पोस्ट-डॉक्टरल फ़ेलोशिप  पूरी की। उन्होंने 1998 में कैम्ब्रिज के कैंसर विभाग में स्टेम सेल पर नवीन प्रयोगशाला शुरू की। वे यूरोपीय मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन तथा एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज की प्रमुख सदस्य है। 

विकासात्मक जीवविज्ञानी फिलपोट के शोध अध्ययन इस विषय पर है कि मानव भ्रूण की कोशिकाएँ कैसे तय करती हैं कि उन्हें भविष्य में  क्या बनना है? कैंसर कोशिकाओं के निर्मित होने के मूल कारण क्या है?  कैंसर कोशिकाओं के असामान्य व्यवहार को बदलने के लिए क्या विधियां है?

कैम्ब्रिज स्टेम सेल इंस्टीट्यूट की प्रयोगशाला में वे ज़ेनोपस मेंढक के अंडों और भ्रूणों पर प्रयोग कर रही है कि भ्रूण जनन के दौरान कोशिकाओं के भविष्य और विभेदन को नियंत्रित करने वाली मूलभूत प्रक्रियाएं क्या है?

प्रोफ़ेसर बेंजामिन डी. साइमंस कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गुरडन संस्थान के निदेशक हैं। उनका मूल अध्ययन भौतिकी व गणित है। जिनका प्रयोग वे जीव विज्ञान में कर रहे है। कैम्ब्रिज से सैद्धांतिक भौतिकी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पोस्ट-डॉक्टरल प्रशिक्षण लिया। वे भौतिकी में हर्शल स्मिथ पीठ के अध्यक्ष हैं। वे एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और रॉयल सोसाइटी के फेलो हैं। प्रो बेंजामिन गणित और कंप्यूटर तकनीकों का प्रयोग कर मानव ऊतकों पर महत्वपूर्ण शोध कर रहे है। 

डॉ तायलिया तथा भट्ट ने बताया कि दोनों वैज्ञानिकों का  "व्हाट मेकस अस ह्यूमन" विषय पर उद्बोधन देवाली स्थित विद्या भवन ऑडिटोरियम में रविवार को सांय साढ़े चार बजे होगा। इसमें वैज्ञानिक, चिकित्सक, शोध विद्यार्थी सहित मानव जीवन विकास में रुचि रखने वाले जिज्ञासु नागरिक उपस्थित रहेंगे।

शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में उपरोक्त जानकारी देते हुए डॉ तायलिया तथा भट्ट ने विद्या भवन के इतिहास व वर्तमान नवाचारों पर भी जानकारी दी।

आजादी पूर्व, वर्ष 1931 में स्थापित, समृद्ध इतिहास, परम्पराओं व उपलब्धियों से पूर्ण, विद्या भवन कुछ वर्ष पश्चात 100 वर्ष का हो जाएगा। शताब्दी की ओर अग्रसर विद्या भवन अपने मूल्यों व सिद्धान्तों पर कायम रहते हुए समयानुकूल व आवश्यकतानुसार नवाचार, नवनिर्माण तथा नवीनीकरण कर रहा है। समाज, देश व दुनियाँ को स्वावलंबी, समरस, समावेशी और सामर्थ्यवान बनाने के लिए विद्या भवन प्रतिबद्ध है।

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