चांद पुखराज का, बात पश्मीने की


चांद पुखराज का, बात पश्मीने की

संवादों के जरिए मुक्ताकाशी रंगमंच में दिखा गुलजार साहब का फिल्मी सफर

 
Chand Pukhraj ka, baat pashmine ki

उदयपुर 3 जून 2024। गुलजार के साठ साल के फिल्मी सफरनामे के साथ उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ पहलुओं के पश्मीने एहसास को समेटी एक खास शाम रविवार को शिल्पग्राम में संजोई गई। दृश्य, संवाद और गीतों में सफल फिल्मकार व शायर गुलजार की जिंदगी के खास लम्हों को बड़ी शिद्दत से पेश किया गया। मौका था पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर द्वारा आयोजित गुल़जार-ए-गज़ल़ कार्यक्रम के अंतिम दिन ‘गुल़जार-बात पश्मीने की’। दीप प्रज्वलन कर इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

Shilpgram

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि गुल़जार-ए-गज़ल में नीश एंटरटेनमेंट पुणे (Niche Entertainment, Pune) द्वारा पद्म भूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत गुलज़ार साहब पर ‘गुलजार-बात पश्मीने की’ में ऑडियो- विजुअल शो के साथ उनकी कविताओं व किताबों के अंश पढ़े गए। उनके गीतों की सुरीली सजीव प्रस्तुति ने गुलजार के संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी को पेश किया गया। 

Niche Entertainment Pune

इस शो में सचिन खेड़ेकर, किशोर कदम व पूर्णिमा मनोहर गुलजार के अंदर के शायर की तस्वीर को रेखांकित कर रहे थे तो स्वप्नजा लेले, अभिलाषा चेल्लम, धवल चंदवाडकर और जितेंद्र अभ्यंकर अपनी पुरकशिश आवाज में उनकी शायरी के रंग बिखेर रहे थे। 

Sachin Khedekar

इक सबब मरने का इक तलब जीने की..., चांद पुखराज का बात पश्मीने की... या ये पत्थरों की सेज कभी सख्त नहीं लगती..., जो तुम होती.... मैं तुम्हे ओढ़ता भी और बिछाता भी जैसी गुलजार की दिल छू लेने वाली शायरी के साथ फिर वही रात है फिर वही रात है ख्वाब की....., नाम गुम जाएगा, चेहरा ही बदल जाएगा..... पुकार लो, तुम्हारा इंतजार है...., मोरा गोरा अंग लेईले... जैसे गुलजार के हर रंग के गीतों की प्रस्तुति ने माहौल को संगीतमय कर दिया। 

Jitendra Abhyankar

प्रवीण जोशी ने इस शो को लिखा है इसकी संकल्पना और निर्देशन मिलिंद ओक ने किया है। ‘गुलज़ार-बात पश्मीने की’, संपूर्ण सिंह कालरा के गुलज़ार और फिर गुलज़ार साहेब होने तक का सफर है। गुलजार साहब जब स्वयं इस शो में शामिल हुए थे तो इस शो की सराहना करते हुए उन्होंने कहा “छोटे फ़्लैशबैक का उपयोग करना कहानी सुनाने का मेरा तरीका है। आज बात पश्मीने की मेरा अब तक का सबसे लंबा फ्लैशबैक है। अब यह तुम्हारा है।”

gulzar

इन सदाबहार गीतों के पार्श्व में कैनवास पर अपनी कल्पना का रंग भरते आर्टिस्ट गिरीश चरवाड पर्दे पर चलते उन्ही गीतों के विडियो गुलजार की शख्सियत की पूरी तस्वीर बना रहे थे। अंत में कलाकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश चांदवानी ने किया।

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