भारतीय लोक कला मण्डल में हास्य नाटक का मंचन


भारतीय लोक कला मण्डल में हास्य नाटक का मंचन 

हास्य नाटक ’सकल जानि हे नाथ’ 

 
lok kala mandal

उदयपुर 18 दिसंबर 2024। भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर में कहे विदुषक फाउंडेशन, बैंगलोर के संयुक्त तत्वावधान में नाटक ‘सकल जानि हे नाथ’ ने दर्शकों को ख़ूब गुदगुदाया।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल उदयपुर और कहे विदुषक फाउंडेशन बैंगलोर के संयुक्त तत्वावधान में वसंत देव द्वारा लिखित एवं श्रीनिवासन द्वारा निर्देशित हास्य नाटक नाटक ‘सकल जानि हे नाथ’ के मंचन हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एस. एल. मेहता, पूर्व वाईस चांसलर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कार्यक्रम के अध्यक्ष अपर जिला एवं सैशन न्यायधीश कुलदीप शर्मा एवं गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।

कार्यक्रम से पूर्व सम्मानित अतिथियों, कलाकारों एवं दर्शकों ने भारत के सुप्रसिद्ध तबला वादक, तबले के पयार्य पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई ।

उन्होंने बताया कि नाटक ‘‘सकल जानि हे नाथ’’ प्रसिद्ध साहित्यकार वसंत देव के नाटक ‘‘नाटक सुदामा के चावल’’ से रूपांतरित किया हुआ एक हास्य लोक संगीत नाट्य है। जिसमें  भगवान कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा के बारे में प्रसिद्ध पौराणिक कथा को फिर से दर्शाया  गया है। नाटक में जहाँ एक और पौराणिक चरित्र सुदामा को लिया गया तो वहीं आज के जीवन को भी इसमें चरित्रार्त करने का प्रयास किया गया है अर्थात इसमें बताया गया है कि आज मनुष्य कितना स्वार्थी हो गया है तथा वह भावनाओं के स्थान पर भौतिक संसाधनों को अधिक महत्व देता है। नाटक में हरियाणा का स्वांग, उत्तर प्रदेश कि अवधी, ब्रज एवं बुन्देलखंडी भाषा के साथ भारतीय संस्कृति के लोक गीतों का समावेश किया गया है।
 
नाटक की कथा में कलाकार के चुटीले संवादों का दर्शकों ने भरपुर आन्नद उठाया। सम सामाहिक परिस्थितियों पर कटाक्ष और हास्य रस से परिपूर्ण नाटक ने दर्शकों को कई बार ठहाके लगाने पर मजबुर कर दिया तो बीच बीच में जा़ेरदार तालियों से दर्शकों का अभिवादन भी किया। नाटक की मुख्य कलाकार भूमिका माने थी, गीत विवेक सिन्हा, वाद्ययंत्र पर गीतांजली काल्टा, मंच सहायक बंशी पगला एवं हंशा पल्लवी। नाटक का निदेशन श्रीनिवास बीसेट्टी ने किया।  

कार्यक्रम के अंत में गणमान्य अतिथियों ने नाटक के निर्देशक श्रीनिवास बीसेट्टी एवं उनके दल का शॉल एवं माला पहनाकर स्वागत किया।  

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