नाटक “ऐसा तो.... होता है” के माध्यम से बयां किया दंगों के दर्द को


नाटक “ऐसा तो.... होता है” के माध्यम से बयां किया दंगों के दर्द को

अपना दोष तलाशता युवा

 
play by natyansh

उदयपुर। 16 जनवरी 2024।थिएटरवुड कंपनीऔर नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परर्फोमिंग आर्ट्सके संयुक्त तत्वावधान में कल रविवार को महाराष्ट्र भवन में एकदिवसीय नाट्य संध्या का आयोजन किया गया।

इस नाट्य संध्या के अन्तर्गत थिएटरवुड कंपनी के संस्थापक अशफाक़ नूर खान पठान द्वारा लिखित एवं निर्देशित म्यूजिकल प्ले ‘‘ऐसा तो.... होता है’’ का मंचन किया गया। नाटक में पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित व कम्पोज किये प्रसिद्ध एवं प्रचलित गाने-उठ जा भाउ’, ‘आरंभ है प्रचंड’, ‘बस छल कपट’, ‘आबरूआदि को नाटक में सम्मिलित किया गया।

यह कहानी किसी महानगर में रहने वाले युवाओं की वर्तमान स्थिति और उनकी जिंदगी में मौजूद कठिनाईयों के इर्द गिर्द घूमती है। महंगाई और बेरोज़गारी के अहम मुद्दे के साथ कलाकार अपने अभिनय से वर्तमान भारत के उन हालातों को उजागर करता है जिसमें धर्म, जाति, रंग, समाज, शहर आदि बातों को मुद्दा बना कर डर व खौफ का माहोल बनाया जाता है, और बाद में इस माहौल का फायदा उठा कर सभी अपनी-अपनी दुकान चलाने लगते है।

नाटक का कथानक

नाटक की कहानी छ: दोस्तों की आम जिंदगी से शुरू होती है, जो अलग-अलग शहर से आए हुए है और एक साथ एक किराए के कमरे में रह रहे है। किराए के मकान काफ़ी खर्चीले होने की वजह से 3 लोगों के किराए में, पाँच लड़के और एक लड़की मकान मालिक से छुपकर रह रही है। समय गुजरने के साथ ही इन सभी में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी है। अपने घर परिवार से दुर यह सभी किरदार रोजगार व नौकरी के लिए इस शहर में अपना आशियाना डाले हुये है।

इन सभी की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक लड़के के पास नौकरी नही होने पर भी बाकि के पाँच दोस्त उसका खर्च उठा रहे है। वहीं,  एक दुसरा लडका अपने कमरे में रह रही लड़की से प्यार करने लगता है, पर उसे कहने की हिम्मत नही होती। सभी दोस्त एक दुसरे से प्यार भी करते है और टांग भी खींचते है। एक रोज़ जब सभी दोस्त अपने-अपने ऑफिस लिए एक ट्रेन में सवार होते है तभी ना जाने कैसे दंगे शुरू हो जाते है और यह सब ट्रेन में फंस जाते है। सूरज ढलते-ढलते दंगे और दंगाई ओर ज़्यादा क्रुर हो जाते हैं।

इस नाटक में बड़े ही संवेदनात्मक ढंग से यह दर्शाया गया है कि कैसे एक आम आदमी कुछ सियासी एवं राजनैतिक दांव-पेंचो की वजह से अपनी जिंदगी और सपने खो बैठता है।

नाटक के लेखक व निर्देशक अशफाक़ नुर खान ने बताया कि मंच पर छ: दोस्तों की भुमिका में उर्वशी कंवरानी, अगस्त्य हार्दिक नागदा, हर्ष दुबे,  अरशद क़ुरैशी, दिव्यांश डाबी व यश जैन ने अपने अभिनय सामर्थ्य से दर्शको का मन मोह लिया। मंच पार्श्व में प्रकाश परिकल्पना व संचालन स्वयं अशफाक़ नुर खान द्वारा किया गया। संगीत संचालन-हर्षिता शर्मा,  मंच निमार्ण व व्यवस्था-प्रमोद रेगर, रिया नागदेव, पार्थ सिंह चुण्डावत,  उमंग सोनी, यश कुमार व भुवन जैन ने किया।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal