अमी संस्थान द्वारा राजस्थानी लोककला, साहित्य, संस्कृति, भाषा के विविध रंगों से सरोबार प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले राजस्थान साहित्य महोत्सव आडावळ का आगाज हो चुका है। राजस्थानी भाषा की मान्यता तथा सम्मान के उद्देश्य से प्रारंभ हुआ आडावळ स्थानीय लोकरंगो, संगीत, तलवार घुमर, विरासत, साहित्य सम्मान जैसे अनूठे रंगो से अपनी विश्वव्यापी पहचान बना चुका है। विगत वर्ष आयोजित हुए महोत्सव में मेवाड़ के ऐतिहासिक गणगौर घाट पर महिलाओं ने सामुहिक तलवार घुमर से इतिहास रचा।
राजस्थान साहित्य महोत्सव “आडावळ” के निदेशक डाॅ. शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि भाषा के साथ जुड़ाव हमारी सँस्कृति, लोकरंग एवं कला को बचाता है, राजस्थान की कला, पहनावा, खानपान को पुनः विश्वव्यापी पहचान के लिए “आडावळ” महोत्सव किया जाता है।
प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले महोत्सव में राजस्थान की चित्रकारी, खेल, फिल्म, विरासत, हस्तकला, लोक परंपरा, नाट्य प्रदर्शनकारी कला (गवरी) जैसे अनेक विषयों पर प्रबुद्ध विषय विशेषज्ञों के विचार मंथन तथा विविध गतिविधियों के माध्यम से राजस्थान के ऐतिहासिक योगदान के बारे में जनता एवं सरकार में जागरूकता के प्रयास किये जाते रहे है। उदयपुर में इस वर्ष 1,2 दिसंबर होने वाले राजस्थान साहित्य महोत्सव “आडावळ” लोक कलाकारों के कला सम्मान के साथ युवा प्रतिभाओं को भी मंच प्रदान करेगा।
जोलावास, ने बताया की यह एक ऐसा अवसर है जब शहर के जागरूक सृजनकर्मी, लेखक, साहित्यकार, कलाकार, शोधार्थी आदि एक साथ मंच साझा कर सकेंगे एवं इस संगम में राजस्थानी रंग पाऐंगे । इस वर्ष उभरती प्रतिभाओं को भी मंच प्रदान किया जाएगा एवं लोकनृत्य प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। राजस्थानी भाषा की विस्तृत शब्दावली तथा समृद्ध संस्कृति है। युवा कलाकारों को प्रतियोगिताओं के माध्यम से राजस्थानी संस्कृति, पहनावे तथा संस्कार से जोड़ कर राजभाषा के रूप में मान्यता से आम जनमानस को विकास में मदद, मदद मिलेगी।
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