उदयपुर 3 मार्च 2025 । शिल्पग्राम में आयोजित तीन दिवसीय ‘ऋतु वसंत’ उत्सव का समापन रविवार को मुक्ताकाशी रंगमंच पर शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ। इस उत्सव के अंतिम दिन जयपुर के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक मोहम्मद अमान खान ने अपनी मधुर और प्रभावशाली आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा को जीवंत करते हुए उनकी प्रस्तुति ने उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया।
उत्सव का समापन दिल्ली की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना कनक सुधाकर और उनके दल द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम नृत्य से हुआ। ‘आनंद नाट्यम’ शीर्षक से उनकी यह प्रस्तुति वसंत ऋतु की खुशी और ऊर्जा का उत्सव थी। कनक सुधाकर की नृत्य शैली में भाव, लय और तकनीकी कुशलता का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर द्वारा आयोजित यह उत्सव 28 फरवरी से 2 मार्च तक चला, जिसमें देश भर के प्रख्यात कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि ‘ऋतु वसंत’ उत्सव ने शास्त्रीय संगीत और नृत्य के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करने का कार्य किया। इस समापन समारोह ने न केवल कला प्रेमियों को एक यादगार अनुभव दिया, बल्कि वसंत के आगमन को भी उत्साह और उमंग के साथ मनाया। अंत में सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. प्रेम भण्डारी, पामिल मोदी, विलास जानवे, भानुप्रिया रोहिल्ला, सहित शहर के गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित ने किया।
अमान ने राग मारू बिहाग से मचाई धूम
शास्त्रीय गायक मोहम्मद अमान ने राग मारू बिहाग में ‘रसिया हो ना जाए’ की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसने वसंत के उल्लास को सुरों में पिरो दिया। अमान की गायकी में राग मारू बिहाग की मिठास और गहराई ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। उनकी आवाज में वसंत की ताजगी और राग की शास्त्रीयता का अनूठा संगम देखने को मिला।
मोहम्मद अमान ने मध्यलय में द्रुत ताल पर ‘राखो मोरी लाज’ की भावनात्मक प्रस्तुति दी, जिसने वसंत के उत्साह को सुरों में जीवंत कर दिया। मोहम्मद अमान ने अपनी गायकी में शास्त्रीय संगीत की शुद्धता और भावनाओं की गहराई को बखूबी पेश किया। ‘राखो मोरी लाज’ की उनकी प्रस्तुति में द्रुत ताल की चपलता और मध्यम लय की संजीदगी का सुंदर मेल देखने को मिला। राग मालती बसंत में प्रस्तुत ‘जाको तक देख सुर अपार’ की शानदार गायकी के साथ हुआ।
मोहम्मद अमान खान ने अपनी सुमधुर आवाज से राग मालती बसंत की गहराई को उजागर किया, जो वसंत ऋतु की खिलती ताजगी और संगीत के अपार सौंदर्य का प्रतीक बन गया। उनकी प्रस्तुति में शास्त्रीय संगीत की शुद्धता और भावनात्मक गहराई का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। तबले पर रमजान हुसैन, हारमोनियम पर अनूप राज पुरोहित, तानपुरा पर विशाल राठौड़ एवं डिम्पी सुहालका ने संगत की, जिसने इस प्रदर्शन को और भी प्रभावशाली बना दिया।
‘आनंद नाट्यम’ ने वसंत ऋतु के उल्लास को मंच पर किया जीवंत
नई दिल्ली स्थित सुनैना समूह द्वारा प्रस्तुत ‘आनंद नाट्यम’ भरतनाट्यम समूह नृत्य प्रस्तुति ने वसंत ऋतु के उल्लास को मंच पर जीवंत कर दिया। गुरु कनक सुधाकर के निर्देशन में वरिष्ठ शिष्याएं अपराजिता, श्रुतिका, उपासना, प्रहरिणी, सारध्युति, आन्याश्री, अरुणिमा और गरिमा ने अपनी प्रस्तुति से समा बांध दिया।
नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत नत्यांजलि से हुई, जिसमें गणेश, सरस्वती, विष्णु, शिव और गुरु की स्तुति की गई। इसके बाद विशेष रूप से कोरियोग्राफ ‘पुष्प अलारिप्पु’ प्रस्तुत किया गया, जो फूलों के खिलने को दर्शाता है। इसके पश्चात ‘आकाश लिंगम’ में शिव के उस रूप को प्रदर्शित किया गया, जो प्राकृतिक सुंदरता, ऊर्जा और अनुग्रह से विश्व को भर देता है।
इसके बाद ‘वृंदावन में नवरस’ प्रस्तुति हुई, जो रास की सुंदरता के बीच नौ रसों को प्रदर्शित करती है और दर्शकों को राग धनश्री में पारंपरिक तिल्लाना की ओर ले जाती है। यह कार्यक्रम वसंत ऋतु की उमंग और भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा का सुंदर संगम था, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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