शब-ए-बरात खास रातों और दिनों में से एक अहम रात हैं। बरात का मतलब होता है निजात और शब-ए-बरात का मतलब होता है गुनाहों से निजात की रात। कल होली के साथ ही शब-ए- बारात मनाई गई। शब-ए-बरात मुसलमानों के लिए इबादत और मज़हबी जानकारों के अनुसार शब-ए-बरा त या शब ए क़द्र के मौक़े पर ख़ुदा अपने बंदों पर ख़ास रहमतें और बरकतें करते हैं, और अपने बंदों की दुआओं को क़ुबूल करते हैं। फज़ीलत की रात होती हैं।
हज कमेटी ऑफ इंडिया के हज ट्रेनर ज़हीरुद्दीन सक्का ने बताया कि इस रात मुसलमान इबादत के लिए खास एहतमाम करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। कल शहर की मस्जिदों में मुसलिम समुदाय के लोगों ने पूरी रात अल्लाह की इबादत की, और अपने गुनाहों की माफी मांगी। वहीं लोगों ने कब्रिस्तानों पर जाकर अपने बुजुर्गों की कब्रों पर फातेहा पढ़ी और सभी के लिए दुआए मांगी।
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