रियल पेपरिका रेस्टोरेंट का हुआ उद्घाटन- उदयपुर में राजस्थान का पहला आउटलेट

रियल पेपरिका रेस्टोरेंट का हुआ उद्घाटन- उदयपुर में राजस्थान का पहला आउटलेट

11 साल में खड़ी कर दी 50 से ज्यादा फूड आउटलेट की चैन, 1 हजार लोगों को दे रहे रोजगार

 
रियल पेपरिका रेस्टोरेंट का हुआ उद्घाटन- उदयपुर में राजस्थान का पहला आउटलेट

- रीयल पेपरिका के संस्थापक लक्ष्मणसिंह भबराना की कहानी
- कभी 400 रुपए महीना में करते थे नौकरी
- स्टार्टअप के लिए बेच दी थी खुद की दूकान

उदयपुर। गुजरात के रियल पेपरिका फूड आउटलेट चैन के तहत राज्य का पहला फूड आउटलेट का आज गुलाबबाग रोड़ पर शहर के अनाथ बच्चों ने फीता काटकर किया।

रियल पेपरिका आउटलेट चैन के संस्थापक मूलतः उदयपुर हाल अहमदाबाद निवासी लक्ष्मणसिंह भबराना ने इस अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि ओपनिंग ऑफर में 159 में अनलिमिटेड पिज्जा, पास्ता, छोले कुलछे, 14 तरह के सलाद, चाईनीज़, कोल्ड ड्रिंक, ब्राउनी आईसक्रीम दी जायेगी। मयंक शर्मा व गौरव नागदा के द्वारा शुरू की जा रही फ्रेंचाइजी इनके गांव के ही निवासी है। नया आउटलेट गुलाबबाग आइस फैक्ट्री के पास 1 अप्रेल से शुरू होने जा रहा है। यह स्टोर तेरह सौ स्क्वायर फीट में बनाया गया है, जिसमें 2 हॉल होंगे, जहां एक में 45 व दूसरे में 25 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी।

लक्ष्मणसिंह ने बताया कि यहां पर 45 लोगों की पार्टीज भी अरेंज करवाई जा सकती है। इसके अलावा शुरूआत के 15 दिनों तक ओपनिंग ऑफर में 159 में अनलिमिटेड पिज्जा, पास्ता, छोले कुलछे, 14 तरह के सलाद, चाईनीज़, कोल्ड ड्रिंक, ब्राउनी आईसक्रीम मिलेगी। इसके बाद 179 में लंच और 229 में अनलिमिटेड डिनर मिलेगा जिसमें 32 आइटम्स होंगे।

लक्ष्मणसिंह भबराना ने बताया कि अस्सी के दशक में जब वे पहली बार नौकरी की तलाश में उदयपुर से अहमदाबाद गये तब उस समय उन्हें 400 रुपए महीना मिलते थे। पिता अहमदाबाद में ही रिक्शा चलाते थे। ऐसे-ऐसे करके उन्होंने करीब 15 साल वहां पर नौकरी की, लेकिन मन में कुछ और कर गुजरने की चाह उत्पन्न हो रही थी। वे कुछ ऐसा करना चाहते थे जो दूसरों के लिये मिसाल बनें। तब उन्होंने 15 साल नौकरी करने के बाद 2010 में नौकरी छोड़ दी थी। इस बीच 2008 में ही खुद की पिज्जा की दुकान शुरू की।

उन्होंने बताया कि उस समय दुकान को इतना अच्छा रेस्पोंन्स नहीं मिला, जितनी उम्मीद की थी। इतनी नहीं चली, जैसे-तैसे करके 2010 तक दुकान को चलाया लेेकिन संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने कुछ नया करने की ईच्छा लिये दुकान बेचकर 2010 में रियल पेपरिका नाम से नया आउटलेट खोला और कंपनी को पंजीकृत कराया। इसमें भी शुरुआत के दो साल बहुत संघर्षमय रहे। चार बार दुकान की लोकेशन बदली, तब जाकर दुकान चलने लगी। इसके बाद 2013 में उनके भाई सुरेंद्र ने भी नौकरी छोड़कर मुझे सहयोग करने के लिये रियल पेपरिका को जॉइन किया। उस दिन से लेकर आज तक रियल पेपरिका ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।  

उन्हांने बताया कि जनता के प्यार के चलते आज रीयल पेपरिका की गुजराज में 50 से ज्यादा आउटलेट्स खुल चुके है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, कर्नाटक में भी रियल पेपरिका की श्रृंखलाएं शुरू होने वाली है। रियल पेपरिका ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 1 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा हैं।  

उदयपुर में शुरू हुआ प्रदेश का पहला आउटलेट, मिडल क्लास टारगेट

रीयल पेपरिका की स्थापना और गुजरात में बड़ी चैन के रूप में स्थापित करने के बाद आज उदयपुर में पहले स्टोर का उद्घाटन हुआ। अपने होम टाउन में खुले इस स्टोर को लेकर वे काफी उत्साहित नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि यह मेरे लिए यह सुखद एवं गर्व के क्षण है कि जिस जिले से मेरा संबंध है, वहां पर रियल पेपरिका का पहला स्टोर खुला। उन्होंने बताया कि कम्पनी का मुख्य उद्देश्य मिडल क्लास कस्टमर्स को बेहतर खाना उपलब्ध करवाना है। उनकी फूड चैन में शुद्धता और कस्टमर्स की संतुष्टि का बहुत ध्यान रखा जाता है।

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