गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में दिल की गंभीर बीमारी से झूझ रही जैसलमेर निवासी 64 वर्षीय रोगी का गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कार्डियक सेंटर ने अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक टीएमवीआर (ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट) से हुए सफल उपचार कर स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया। यहाँ की कुशल हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम में डॉ. रमेश पटेल, डॉ. दिलीप जैन, डॉ. जय भारत, डॉ गौरव मित्तल, हृदय शल्य चिकित्सक डॉ संजय गाँधी, डॉ गुरप्रीत सिंह, डॉ अनुभव बंसल, डॉ आयुष रिछारिया, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ अनिल भीमाल व टीम द्वारा रोगी का इलाज किया गया।
विस्तृत जानकारी
64 वर्षीय महिला रोगी जिनको डायबिटीज की शिकायत है कि 2016 में अहमदाबाद में एंजियोप्लास्टी तथा माइट्रल वाल्व रिपेयर सर्जरी हुई तब रोगी लगभग एक माह तक कमजोर हार्ट फंक्शन के कारण आईसीयू में भर्ती रही। पिछले छः माह से रोगी के वाल्व में लीकेज की शिकायत थी जिस कारण सांस फूलना, आधी रात में सोते हुए भी सांस का फूल जाना जैसे लक्षण थे। ऐसी स्थिति में रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा आयोजित कैंप में लाया गया, डॉ जय भारत द्वारा रोगी को देखा गया और हॉस्पिटल आने की सलाह दी।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आने पर रोगी की पूर्णतया जांच की गयी जिसमें पता चला की जिस वाल्व का ऑपरेशन अहमदाबाद में 2016 में हुआ था वह पुनः लीक हो रहा था। रोगी के इस वाल्व को पुनः ठीक करना आवश्यक था इसके लिए दो विकल्प थे ओपन ऑपरेशन या टीएमवीआर ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट) जोकि बिना चीरे के किया जाता है।
डॉ रमेश पटेल ने बताया की चूँकि रोगी का पहले भी 2016 में हाई रिस्क ऑपरेशन किया जा चुका था और कई बार हार्ट फेलियर के कारण रोगी हॉस्पिटल में भर्ती हो चुकी थी इसलिए पुनः ऑपरेशन करने में रिस्क भी था। रोगी के परिवारजनों ने ऑपरेशन के अलावा डॉक्टर्स से विकल्प पूछा तब टीएमवीआर की सलाह दी गयी और रोगी के परिवारजनों को विस्तार में इसके बारे में जानकारी दी गयी।
डॉ संजय गाँधी ने बताया कि जब परिजन चीरे वाला ऑपरेशन नहीं चाहते थे तब उनको टीएमवीआर द्वारा इलाज संभव है। इस ऑपरेशन के दौरान पूरी सर्जिकल टीम हार्ट टीम की तरह ऑपरेशन में शामिल रही।
डॉ जय भारत ने बताया की सबसे बड़ी समस्या यह थी की जिस रिंग से पहले वाल्व को ठीक किया गया वह बहुत रिजिड (कठोर) था। जिस कारण से टीएमवीआर करना बहुत मुश्किल होता है| इस तरह के प्रोसीज़र को सिर्फ क्वाटरनरी केयर सेंटर्स पर ही करना संभव है। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड होस्पिटल की कार्डियक साइंसेज की टीम द्वारा इस तरह के दुर्लभ प्रोसीज़र को अंजाम देने के लिए रोगी के रिजिड रिंग को पहले बलून द्वारा खोला गया और इसकी सहायता से रिंग को वाल्व के अनुसार काफी हद तक गोल आकार दिया गया, इसके पश्चात वाल्व को प्रत्यारोपित किया गया और वाल्व ने भी रिंग की तरह आकृति ले ली। यह टीएमवीआर तभी संभव है जब रोगी के वाल्व या रिंग पहले से लगा हो| इसका सबसे बड़ा फायेदा यह है की रोगी के किसी तरह का की चीरा नहीं दिया गया।
टीएमवीआर प्रोसीज़र सम्पूर्ण भारतवर्ष में बहुत दुर्लभ हैं क्यूंकि यह बहुत जटिल है इसलिए हार्ट टीम द्वारा बड़े क्वाटरनरी केयर सेंटर पर ही संभव है क्यूंकि इसके लिए बड़ी एवं अनुभवी टीम का होना आवश्यक है। इस रोगी को भी कई बड़े हॉस्पिटल में दिखाया गया था परन्तु इलाज के लिए भर्ती नहीं किया गया। गीतांजली हॉस्पिटल में इस तरह का सफल इलाज होना सम्पूर्ण संभाग ही नही बल्कि राजस्थान के लिए बहुत गर्व की बात है।
गीतांजली हॉस्पिटल एक क्वाटरनरी केयर मल्टी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल है। यहाँ के ह्रदय रोग में सभी एडवांस तकनीके व संसाधन उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।
गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 17 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।
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