विश्व में 108 चिकित्सा पद्धति लेकिन 7 को मान्यता


विश्व में 108 चिकित्सा पद्धति लेकिन 7 को मान्यता

आयुर्वेदाचार्य डॉ.शोभालाल औदिच्य ने कहा कि बिना चिकित्सकीय दवा लेना जीवन के लिये बेहद खतरनाक हो सकता है। किडनी फेल्योर मरीजों में से आधे से अधिक मरीज जीवन में बिना चिकित्सकीय दवा ले कर रोग को ठीक करने वाले होते है।

 

विश्व में 108 चिकित्सा पद्धति लेकिन 7 को मान्यता बिना चिकित्सकीय परामर्श दवा लेना बेहद खतरनाक:डॉ. औदिच्य

आयुर्वेदाचार्य डॉ.शोभालाल औदिच्य ने कहा कि बिना चिकित्सकीय दवा लेना जीवन के लिये बेहद खतरनाक हो सकता है। किडनी फेल्योर मरीजों में से आधे से अधिक मरीज जीवन में बिना चिकित्सकीय दवा ले कर रोग को ठीक करने वाले होते है।

वे शुक्रवार को रोटरी क्लब एलिट द्वारा आयुर्वेद क्यों विषय पर होटल गोरबन्ध में आयोजित वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन में विदेशी जीवन शैली के बढ़ते प्रभाव के कारण मनुष्य का जीवन दवाओं पर आधारित हो गया है। किसी भी व्यक्ति का जन्म जिस जीवन शैली में होता है उसके लिए वहीं शैली सर्वश्रेष्ठ होती है। जीवन शैली में परिवर्तन होते ही मनुष्य दवाओं पर निर्भर हो जाता है। शरीर में 13 प्रकार की अग्रि होती है जिसमें जठराग्रि महत्वपूर्ण होती है। जठराग्रि के ठीक होने पर शरीर की सभी अग्रि सही प्रकार से कार्य करेगी। उन्होंने बताया कि विश्व में 107 प्रकार की चिकित्सा पद्धति उपलब्ध है लेकिन उसमें से मात्र 7 चिकित्सा पद्धति को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता प्रदान कर रखी है।

बीमारी एंव उपाय-डॉ. औदिच्य ने कहा कि अपनी भूख से एक रोटी कम खायें। सवेरे का खाना प्रात:11 बजे से पूर्व खाना खाहिये। देर रात्रि में खाना खाने से पथरी बनने की संभावना रहती है। बाजार में बिकने वाले ज्यूस से दूर रहकर घर में फलों का ज्यूस निकालकर उसे मात्र 20 मि.ली. की मात्रा में ही लेना चाहिये, इससे अधिक नहीं। दीपावली के 15 दिन पूर्व व 15 दिन बाद दही का सेवन नहीं करना चाहिये, अन्यथा बीमार होने की पूरी संभावना रहती है। लिपिड प्रोफाईल बढ़ा होने पर अलसी का प्रयोग करना चाहिये। अलसी कैंसर की रोकथाम करने व मोटापा कम करने में भी कारगर होती है।

उन्होंने बताया कि भुना हुआ जीरे का दिन में दो-तीन बार लेना चाहिये क्योंकि वह एन्टी एलर्जिक के रूप में काम करता है। रात में दही जमा कर उसका सवेरे खाना चाहिये। दही में नमक या जीरा,अजवाईन या सोंठ मिलाकर खाना चाहिये। केवल दही का सेवन करना उचित नहीं है। दही बुद्धिवर्धक नहीं होकर वह केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है। प्रात: 4 से 6 बजे के बीच उठकर बिना मुंह धोयें एक या दो गिलास पानी पीना चाहिये ताकि गैस आसानी से पास हो जाए।

इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष पुनीत सक्सेना ने अपने स्वागत उद्बोधन में आयुर्वेद को लेकर घरेलू उपचार के बारें में विस्तृत जानकारी दी। सचिव बसंत सागर ने सचिवीय जानकारी दी। प्रारम्भ में ईश वंदना साधना तलेसरा एंव प्रियंका चोर्डिया ने प्रस्तुत की जबकि अन्त में सचिव बसंत सागर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर यशवन्त मण्डावरा, आशीष चोर्डिया, मनीष गलुण्डिया, रवि धाबाई, निधि सक्सेना, डॉ.नवनीत माथुर, नीतू सागर, तरूणा धाबाई सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।

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