सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से देश में 11 लाख आदिवासी प्रभावित

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से देश में 11 लाख आदिवासी प्रभावित

गत 13 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदिवासियों को वनों से बेदखल के सन्दर्भ में दिये गये निर्णय को लेकर आदिवासी समन्वय मंच भारत की राजस्थान शाखा ने न्यायालय सेे अपने निर्णय पर पुनर्विचार की अपील की है।

 

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से देश में 11 लाख आदिवासी प्रभावित

गत 13 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदिवासियों को वनों से बेदखल के सन्दर्भ में दिये गये निर्णय को लेकर आदिवासी समन्वय मंच भारत की राजस्थान शाखा ने न्यायालय सेे अपने निर्णय पर पुनर्विचार की अपील की है।

राजस्थान आदिवासी संघ के प्रदेशाध्यक्ष भूपतसिंह मीणा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से देश में 11 लाख आदिवासी प्रभावित होंगे। वनाधिकार कानून 2006 के तहत जो प्रकरण रिजेक्ट किये गये, उनमें परिवादियों को पूर्ण मौका नहीं दिया गया तथा दस्तावेज सौपनें में असफल रहें और उन्हें पूर्ण जानकारी नहीं दी गई।

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प्रदेश सचिव गंगाराम मीणा ने बताया कि वाइल्ड लाइफ ग्रुप की याचिका पर दिये गये इस निर्णय का अर्थ यह नहीं कि आदिवासी वहां अतिक्रमण कर रहे है, जबकि उन्हें यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2006 में कानून बनाकर, जो दशकों से वन क्षेत्र में खेती कर रहे है या वनोपज अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है, उन्हें वहां के अधिकार स्वीकार किये गये है। संग्रह करने का अधिकार दिया गया है।

मीणा ने बताया कि इस प्रकरण में केन्द्र सरकार ने अपना वकील नहीं भेजा और राज्य सरकार आदिवासियों के अधिकारों का बचाव नहीं कर पायी और एक सामान्य आदिवासी कानून की जंग हार गया।

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