मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय का 20 वां दीक्षान्त समारोह
"शिक्षित होकर युवा समाज का सेतु बनें तथा बहुलवाद सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता के मूल्यों को बनाये रखने तथा हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए आगे आयें" - यह विचार आज यहां राज्यपाल माग्र्रेट अल्वा ने मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षान्त समारोह में अपने उद्बोधन में व्यक्त किये। उन्होंने विधिवत दीक्षान्त समारोह प्रारम्भ करने की अनुमति प्रदान की।
“शिक्षित होकर युवा समाज का सेतु बनें तथा बहुलवाद सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता के मूल्यों को बनाये रखने तथा हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए आगे आयें” – यह विचार आज यहां राज्यपाल माग्र्रेट अल्वा ने मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षान्त समारोह में अपने उद्बोधन में व्यक्त किये। उन्होंने विधिवत दीक्षान्त समारोह प्रारम्भ करने की अनुमति प्रदान की।
राज्यपाल ने कहा कि मुझे आशा है और समाज को विश्वास है कि जिन्हें आज विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए पदक से सम्मानित किया गया है वे राष्ट्र की सेवा में समर्पित होकर सर्वांगीण विकास की दिशा में योगदान करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य के पांच जनजाति उपयोजना जिलों में उदयपुर जिला भी आदिवासी बाहुल्य जिला है। उन्होंने कहा कि जिले के आदिवासी क्षेत्र में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए युवाओं की भागीदारी बढाना चाहते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की कि वह इस दिशा में आगे आयेगा। मैं चाहती हूँ कि, विश्वविद्यालय के युवा इन क्षेत्रों में जाए सर्वेक्षण करें और स्वास्थ्य एवं आजीविका के प्रशिक्षण एवं शिक्षा के लिए कार्य योजना इस प्रकार तैयार करें जिससे कि आदिवासियों की पहचान नष्ट हुए बिना कार्य योजना को लागू किया जा सके।
राज्यपाल ने कहा कि यह गर्व की बात है कि राजस्थान के जनजाति क्षेत्र में हुए विकास से यह क्षेत्र नक्सलवादियों तथा अन्य समूहों के हाथों में नहीं है जो हिंसक आन्दोलनों के माध्यम से अन्याय और शोषण से लडने की तलाश में रहते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने जनजाति क्षेत्रों में विश्वास और आपसी समझ का सेतु बनाने तथा विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से इन कमजोर वर्ग के लोगों की सहायता के लिए समाज सेतु परियोजना का काम हाथ में लिया है जो निश्चित ही अत्यन्त सराहनीय नवाचार है।
राज्यपाल ने कहा कि मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय कई मामलों में उन विश्वविद्यालयों से अग्रणी है जहां कई काम पहली बार किये जा रहे हैं। आज यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के नेटवर्क में शामिल हो गया है। इससे प्रतीत होता है कि विश्वविद्यालय के छात्रों को इस प्रकार तैयार कर रहा है जो वैश्विक रोजगार के बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। यहां कर्मचारियों के लिए पहली बार बायोमैट्रिक उपस्थिति शुरू की गई है। विभिन्न संकायों में संकाय सदस्यों की भर्ती की प्रक्रिया को पूर्ण करने तथा पीएच.डी के लिए दाखले की प्रक्रिया को अपनाने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदण्डों को अंगीकार करने का कार्य किया है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और व्यक्तित्व विकास के सत्र के साथ साथ पुस्तकालय की सुविधा से शोध करने वाले विद्यार्थियों को अपने प्रभावी शोधकार्य करने में मदद मिली है।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में सुशासन एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों के लिए मोहनलाल सुखाडिया चेयर की स्थापना की है जो आगे इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए गोल्डन जुबली रिसर्च अवार्ड प्रभावी अनुसंधान के लिए प्रेरित करेगा।
उन्होंने कहा कि यह सन्तोष की बात है कि विश्वविद्यालय ने अपने स्वर्ण जयन्ती वर्ष में कई महत्वपूर्ण अकादमिक और प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम बढाये हैं। विद्यार्थियों के लिए 24 X 7 हेल्पलाइन भी शुरू की हैं। सेमेस्टर प्रणाली एक विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली चरणबद्घ रूप से प्रारभ की गई है। परीक्षा प्रणाली में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन कर इसे और अधिक छात्रों के अनुकूल तथा पारदर्शी बनाया गया है। व्यावसायिक क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नये पाठ्यक्रम कम सुविधा प्राप्त वर्गो और समुदाय से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों की कोचिंग पर बल तथा आ.सी.टी.ए प्रबंधन, प्रशासन एवं वाणिज्य के क्षेत्र में नये पाठ्यक्रमों की चरणबद्घ शुरुआत की गई है।
राज्यपाल ने छात्र जीवन में दीक्षान्त समारोह को एक बडा मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह एक अवसर है कि प्रयास समर्पण समय और धैर्य के साथ एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने में गुजर गया। आप विश्वविद्यालय में बिताये गये खुशनुमा दिनों तथा आज के दिन को जीवन में याद करेंगे जो बाहर की दुनियां में आपकी भूमिका धैर्यपूर्वक निभाने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
राज्यपाल ने डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अपनी ओर से खुशहाल भावी जीवन की शुभकामनाएं देते हुए आशा व्यक्त की कि वे अर्जित ज्ञान का उपयोग कर सामाजिक, राजनैतिक, प्रशासनिक और व्यवसाय आदि क्षेत्र में दक्षता से कार्य कर विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने शिक्षा के महत्व के संदर्भ में नेल्सन मंडेला की उक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा सबसे बडा ताकतवर हथियार है जिसे आप दुनियां को बदलने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
राज्यपाल ने वर्ष 2011 की परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहे कुल 34 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से अलंकृत किया जिसमे 25 छात्राएं थी। पीएचडी डिग्री वितरण विज्ञान संकाय में कुल 18 जिसमे 13 छात्राएं और 5 छात्र, वाणिज्य संकाय में कुल 15 में से 12 छात्राएं व 3 छात्र, सामाजिक विज्ञान में 11 में से 7 छात्राएं व 4 छात्र, मानविकी में 6 में से 4 छात्राएं व 2 छात्र, शिक्षा संकाय में 4 में से 1 छात्रा व 3 छात्र प्रबंध अध्ययन में 3 में से 1 छात्रा व 2 छात्र एवं विधि संकाय में 2 छात्रों को उपाधियों का वितरण किया।
समारोह का प्रारभ राष्ट्रीय गान के साथ शुरु हुआ। राज्यपाल का विश्वविद्यालय की ओर से स्वागत किया गया। विभागाध्यक्षों ने अपने अपने विभाग के स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों को आमंत्रित किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आई. वी त्रिवेदी ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस विश्वविद्यालय से चार संघटक महाविद्यालयों के अलावा 190 से अधिक अन्य महाविद्यालय सम्बद्घ हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष हमने साहसिक खेलों के अन्तर्गत पर्वतारोहण प्रशिक्षण के लिए 13 लाख रुपये की लागत से रॉक क्लाइम्बिंग वॉल का निर्माण कराया है। यह राज्य का पहला विश्वविद्यालय है जिसमें शिक्षकों की भर्ती का प्रथम चरण पूर्ण कर लिया गया है तथा यहां सूचना क्रान्ति और तकनीकी विकास के अनुरूप अपनी परीक्षा पद्घति को युक्तिसंगत और पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाये गये हैं। यह विश्वविद्यालय आदिवासी बाहुल दक्षिणी राजस्थान का सबसे बडा शिक्षा का केन्द्र है।
कुलपति ने बताया कि यूजीसी इन्फिलिब नेट सेन्टर के साथ विश्वविद्यालय ने समझौता किया है जिसके तहत संचालित शोध गंगा परियोजना के अन्तर्गत इस विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य 54 विश्वविद्यालयों के पीएच.डी शोध प्रबंधों को ऑनलाइन देखा जा सकेगा। इससे पीएच. डी अनुसंधान कार्य में गुणवत्ता आयेगी। विश्वविद्यालय में नैनो तकनीकी क्षेत्र में विस्तार के लिए नैनो तकनीकी केन्द्र की भी स्थापना की है। उन्होंने बताया कि इसी माह के अन्तिम सप्ताह में विश्वविद्यालय 38वां अखिल भारतीय समाजशास्त्री सम्मेलन आयोजित कर रहा है जिसमें देश विदेश के 1500 से अधिक प्रतिभागी भाग लेंगे। संस्कृत विभाग द्वारा प्राचीन भारतीय आर्थिक चिन्तन विषय पर आगामी फरवरी माह में एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन भी किया जायेगा।
समारोह का संयोजन रजिस्ट्रार डॉ.एल एन मंत्री ने किया। दीक्षान्त समारोह में जिला कलक्टर विकास एस. भाले, पुलिस अधीक्षक एचपी शर्मा सहित विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल के सदस्य, शिक्षक, गणमान्य नागरिक, जिला प्रशासन एवं अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने आज मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में गोल्ड मेडल प्राप्त करने ओर पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की अधिक संख्या को देखते हुए आशा जतायी कि आने वाले समय में महिलाओं का दबदबा रहेगा। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ रही हैं यह विकास के क्षेत्र में अच्छे संकेत हैं। इस स्थिति को देखते हुए विचार आता है कि कहीं आने वाले समय में लडको के लिए आरक्षण की बात ना करनी पडे।To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal