सुखाडि़या विश्वविद्यालय का 24 वां दीक्षांत समारोह
राज्यपाल माननीय कल्याण सिंह का विश्व विद्यालय पहुंचने पर पारम्पिरिक रूप से स्वागत किया गया। एवं सशस्त्र पुलिस जवानों ने राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। राज्यपाल सिंह ने दीप प्रज्वलन कर दीक्षान्त समारोह का विधिवत् शुभारम्भ किया और समारोह आरम्भ की घोषणा की। इस अवसर पर राज्यपाल श्री कल्याण सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी एवं अन्य अतिथियों का शॉल व श्रीफल भेंट कर स्वागत किया गया। समारोह में राज्यपाल के विशेषाधिकारी डॉ. अजय शंकर पाण्डेय, प्रबंध मंडल व अकादमिक परिषद् के
राज्यपाल कल्याणसिंह ने कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत को समृद्ध बनाने के लिए नवीन प्रयोग एवं परिवर्तनों को समझकर वैज्ञानिक सोच के साथ अध्यतन पाठ्यक्रमों को लागू करने की जरूरत है।
राज्यपाल श्री सिंह गुरुवार को मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में आयोजित विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि साइबर तकनीक के युग में साइबर एप्लीकेशन, साइबर सिक्यूरिटी एवं साइबर लॉ से संबंधित कोर्सेज शुरू किए जाने की महती आवश्यकता है, जिन्हें विद्यार्थी कौशल विकास के रूप में अपनाकर राज्य एवं देश की बेहतरी में उल्लेखनीय योगदान दे सकें। राज्यपाल ने इस कार्य की शुरुआत के लिए सुखाडि़या विश्वविद्यालय को दायित्व सुपुर्द करते हुए आशा जताई कि बेहतर गुणवत्ता के साथ छात्र हित में कार्यक्रम को लागू करने में विश्वविद्यालय की यह पहल सार्थक सिद्ध होगी।
श्री सिंह ने कहा कि विश्व विद्यालय की परीक्षा उत्तीर्ण करना जीवन की प्रथम सीढ़ी है लेकिन व्यक्ति को सामाजिक एवं कार्य क्षेत्र में चुनौतियों को सहजता से स्वीकारते हुए स्वयं को सफल बनाने के लिए हरसंभव तौर पर तैयार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सफल जीवन के लिए भारत के महापुरुषों के चरित्र एवं गौरवमय इतिहास को अंगीकार करते हुए अपने दायित्वबोध से सुपरिचित होकर सामाजिक बदलावों एवं सरोकारों से जुड़कर देश को बेहतरीन भविष्य प्रदान करने का संकल्प विद्यार्थियों को लेने की जरूरत है। उन्होंने दृष्टिकोण में वैज्ञानिकता एवं आचरण में व्यावहारिकता लाते हुए समन्वय के साथ आगे बढ़ने की बात कही।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का जीवन में बहुत महत्त्व है। ज्ञान आपको समाज के कल्याण में प्रवृत्त करता है। इसलिए ज्ञान ऐसा होना चाहिए जो आपको सभी तरह की पराधीनताओं से मुक्त कर सके। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व निर्माण और राष्ट्र निर्माण की समझ हमें शिक्षा से ही मिलती है। स्वतंत्रता का हमारा अनुभव वयस्क हो गया है, हमारी चेतना और ज्ञान पर विदेशी प्रभाव है, उससे हमें मुक्त होने की ज़रूरत है। उन्होंने विश्वविद्यालय से अपने शोध और पाठ्यचर्चाओं में आधारभूत परिवर्तन करने की बात कही जिसमें हमारी चेतना और ज्ञान की निर्भरता विदेश के बजाय हमारी अपनी संस्कृति, परंपराओं के मूल्यों पर आधारित हो।
राज्यपाल ने कहा कि हमने शोध और पाठ्यक्रमों को तकनीकी विकास और संचार क्रांति के अनुसार अद्यतन किया है, लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ कार्य शेष हैं। ख़ास तौर पर हमें अपने अध्यापन की पद्धति को तकनीकसंपन्न बनाना है। ज्ञान के वितरण को हमारे विश्वविद्यालय डिजिटल तकनीक के सहयोग से प्रभावी बना सकते हैं, कक्षाओं और अध्यापन संसाधनों का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुखाडि़या विश्वविद्यालय आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थित है, इसलिए इसकी प्राथमिकता और सरोकार में इस क्षेत्र की आर्थिक और सांस्कृतिक जरूरतों के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के विस्तार पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे उत्साहवर्धक संकेत बताया।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अपनी प्रसार गतिविधियों के माध्यम से इस क्षेत्र में आर्थिक उन्नयन का करने का सुझाव दिया। राज्यपाल श्री सिंह ने विद्यार्थियों के अनुपात में अपने संसाधनों में वृद्धि करने के याथ ही ऐसा तंत्र विकसित करने की बात कही जो विद्यार्थियों की समस्याओं के त्वरित समाधान में सक्षम हो। उन्होंने अध्यापन, परीक्षा और मूल्यांकन के कार्य को नियमित और सुचारु करने पर भी जोर दिया।
उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में भारतीय संस्कृति का उद्धृत करते हुए कहा कि सामाजिक जीवन में समग्र व्यक्तित्व से शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा के द्वारा परिवार, समाज एवं देश व प्राणी मात्र के कल्याण के लिए सीमान्त पर्व ही दीक्षान्त है। उन्होंने भावी पीढ़ी को ज्ञान, कौशल, चरित्र एवं व्यवहार से पूरित करने के लिए शिक्षकों को भी ज्ञान और चरित्र की दृष्टि से अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत करने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार सुदूर आदिवासी अंचल के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सर्व सुलभ अवसर प्रदान करने की दिशा में गोगुन्दा, झाड़ोल व कोटड़ा में महाविद्यालयों की स्थापना एवं जनजाति विश्वविद्यालय को बांसवाड़ा में स्थापित करना राज्य सरकार की शिक्षोन्नयन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने सुखाडि़या विश्वविद्यालय को नेक द्वारा ए-ग्रेड प्राप्त करने तथा नियमित तौर पर दीक्षान्त समारोह के आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने वैश्विक स्तर पर विकास की अनन्त सम्भावनाओं के साथ ही नई चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि हमें हमारी संस्कृति, प्रकृति-पर्यावरण और जीवनमूल्यों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध होना होगा।
मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.पी. शर्मा ने कहा कि विश्व विद्यालय राज्य का ऐसा पहला विश्व विद्यालय है जहां सूचना क्रान्ति और तकनीकी विकास के अनुसार परीक्षा पद्धति को युक्तिसंगत और पारदर्शी बनाने में प्रभावी प्रयास हुए हैं। उन्होंने बताया कि विश्व विद्यालय में सभी कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति लगाई है, जो आगामी वर्ष से विद्यार्थियों के लिए लागू की जा रही है। नवाचारों में विद्यार्थियों को ई-सुविधा के साथ ही समस्त लेन-देन के लिए केश-लेस व्यवस्था का निर्णय लिया गया है। विश्वविद्यालय में 9 हजार पुस्तकों एवं 8 हजार शोध प्रबन्धों को डिजीटल करना, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 70 विद्यार्थी क्षमता का पृथक से एक स्टडी-विंग विकसित करना, सीईटीटी के सहयोग से 2 करोड़ 55 लाख की लागत के सेट भवन का निर्माण आदि प्रमुख उपलब्धियां है।
उन्होंने गांव गोद लेकर वहां आधारभूत संरचनाओं का समग्र विकास एवं ग्रामीणों को डिजीटल मुद्रा व्यवहार के लिए प्रशिक्षण का दायित्व भी विश्वविद्यालय द्वारा वहन करने की जानकारी समारोह में दी। प्रो. शर्मा में विश्वविद्यालय में मूल्यपरक शिक्षा के साथ ही अनुसंधान एवं विस्तार की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ाने का संकल्प जताया। दीक्षान्त भाषण में पेसिफिक उच्चतर शिक्षा व अनुसंधान अकादमी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने शिक्षा को ही किसी भी देश व समाज के आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक, सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों के विकास का प्रमुख आधार बताया और कहा कि उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा से राष्ट्र के विकास को ऊंचाईयां प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का तीसरा सर्वाधिक स्टार्टअप्स वाला देश बन गया है ऐसे में भावी पीढ़ी को श्रेष्ठतम ज्ञान से देश को समर्थ, समृद्ध एवं सबल राष्ट्र बनाने के लिए आगे आने की जरूरत है।
आरम्भ में राज्यपाल माननीय कल्याण सिंह का विश्व विद्यालय पहुंचने पर पारम्पिरिक रूप से स्वागत किया गया। एवं सशस्त्र पुलिस जवानों ने राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। राज्यपाल सिंह ने दीप प्रज्वलन कर दीक्षान्त समारोह का विधिवत् शुभारम्भ किया और समारोह आरम्भ की घोषणा की। इस अवसर पर राज्यपाल श्री कल्याण सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी एवं अन्य अतिथियों का शॉल व श्रीफल भेंट कर स्वागत किया गया। समारोह में राज्यपाल के विशेषाधिकारी डॉ. अजय शंकर पाण्डेय, प्रबंध मंडल व अकादमिक परिषद् के सदस्यगण, संकाय अध्यक्ष, आचार्यगण, छात्रसंघ के अध्यक्ष एवं पदाधिकारीगण, अभिभावक एवं विद्यार्थीगण मौजूद थे।
समारोह में पहला चांसलर गोल्ड मैडल जहां इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी की हीना धाभाई को दिया गया वहीं कुल 52 गोल्ड मैडल में से 39 मैडल छात्राओं के नाम रहे। 24वें दीक्षांत समारोह में कुल 124 पीएचडी डिग्रियों का वितरण किया गया जिसमें से 55 छात्राओं ने पीएचडी हासिल की। वहीं समारोह में डिग्री वितरण के दौरान 1962 के बाद पहली बार इतिहास विषय में डी-लिट की उपाधि श्रीमती तारामंगल को दी गई। विज्ञान संकाय में 24, पृथ्वी विज्ञान में 11, विधि में 8, शिक्षा संकाय में 9, प्रबंध संकाय में 7, मानवीकी में 26, वाणिज्य संकाय में 18 और सामाजिक विज्ञान संकाय में 21 विद्यार्थियों ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसी प्रकार गोल्ड मैडल शृंखला में पहली बार विश्वविद्यालय ने इस वर्ष से चांसलर गोल्ड मैडल की शुरूआत की गई जो एमएससी आईटी में अव्वल रही हीना धाभाई को दिया गया। गोल्ड मैडल वितरण में सीबी मामोरिया, एमएल झंवर, आरके श्रीवास्तव, ललित पुष्पा शर्मा, जगन्नाथ मेहता की स्मृति में गोल्ड मैडल भी दिए गए।
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