विद्या भवन विद्या बन्धु संघ का 26वाँ स्नेह मिलन समारोह


विद्या भवन विद्या बन्धु संघ का 26वाँ स्नेह मिलन समारोह

मस्तिष्क विज्ञान और शैक्षिक शोध अध्ययनों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि बच्चों को शिक्षित करने का माध्यम उनकी मातृ-भाषा होनी चाहिए। इसके साथ ही अन्य भाषायें भी सिखायी जानी चाहिये।

 
विद्या भवन विद्या बन्धु संघ का 26वाँ स्नेह मिलन समारोह

मस्तिष्क विज्ञान और शैक्षिक शोध अध्ययनों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि बच्चों को शिक्षित करने का माध्यम उनकी मातृ-भाषा होनी चाहिए। इसके साथ ही अन्य भाषायें भी सिखायी जानी चाहिये।

यह विचार शिक्षाविद् प्रो. रघुराज सिंह ने व्यक्त किए। वे यहाँ विद्या भवन सभागार में रविवार शाम (20 अप्रेल 2014) को पूर्व छात्र-छात्राओं के संगठन ‘विद्या भवन विद्या बन्धु संघ’ की ओर से आयोजित 26वें स्नेह मिलन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। संस्थापक डॉ. मोहन सिंह मेहता की 119वीं जयन्ती पर आयोजित समारोह में 400 से अधिक विद्या बन्धु शामिल हुए।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि विद्या भवन उन बड़ी संस्थाओं में है, जहाँ पूर्व विद्यार्थियों का प्रभावी संगठन है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विद्या बन्धु संघ नए दौर में भी अपनी विशिष्टताओं को कायम रखेगा।

विद्या भवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज़ तहसीन ने मातृ-संस्था में विकास कार्यों की सराहना करते हुए इसे ऋषि-ऋण की अदायगी में महत्वपूर्ण योगदान बताया।

विद्या भवन विद्या बन्धु संघ का 26वाँ स्नेह मिलन समारोह

समारोह में 1978-79 में उत्तीर्ण बैच के करीब 30 विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। सम्मानित बैच की ओर से उद्गार व्यक्त करते हुए वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आदित्य शास्त्री ने कहा कि जब विद्या भवन में प्रवेश लिया तो मिट्टी थे, यहाँ की गतिविधियों और शिक्षकों के प्रोत्साहन ने मानव बनाया। लव मोडक ने श्रमदान, वनशाला, टैक्निकल सैक्शन में क्राफ्ट-वर्क आदि का विद्यार्थी-जीवन में भूमिका का उल्लेख किया।

प्रदीप कुमावत ने विद्या भवन स्कूल और बी.एड. कॉलेज के मुक्त वातावरण को उनके व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण बताया। ‘रश्मि दल’ की ओर से डॉ. रक्षिता कोठारी ने प्रार्थना सभागार के बाहर अंकित ‘चन्द्रमा विजयी मानव कब सूर्य विजेता बनेगा?’ के वाक्य के मद्देनज़र विद्या भवन की दूरगामी सोच को कायम रखने पर ज़ोर दिया। समारोह में सेवानिवृत्त कर्मचारियों श्री बशीर ख़ान व श्री हीरालाल गमेती का सम्मान किया गया।

इससे पूर्व, अतिथियों ने वार्षिक जर्नल ‘विद्या बन्धु मुखपत्र’ के 26वें अंक का विमोचन किया, जिसका सम्पादन डॉ. कुसुम माथुर ने किया। विद्या बन्धु संघ की नई वैबसाईट को लॉन्च किया गया। समूह गीत ‘एकता के स्वर’ प्रस्तुत किया गया, जबकि श्री निर्मल प्रकाश नागर ने ग़ज़ल पेश की।

प्रारम्भ में अतिथियों ने डॉ. मेहता की प्रतिमा पर पुष्पाँजलि अर्पित की। संघ उपाध्यक्ष पुष्पा शर्मा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें विद्या बन्धुओं द्वारा स्कूल के भौतिक विकास एवं छात्रवृत्तियों के माध्यम से सहयोग का उल्लेख किया। आमोद-प्रमोद मन्त्री गोपाल बम्ब ने आभार व्यक्त किया। संचालन विद्या बन्धु शुभम शर्मा ने किया। देर शाम तक चले समारोह के बाद स्नेह भोज का आयोजन हुआ।

सचिव हरीश कपूरिया ने बताया कि 1978-79 बैच के विद्यार्थियों ने सुबह शाला का भ्रमण कर विद्यार्थी जीवन के लम्हों को याद किया और विद्यालय में विकास-कार्यों का अवलोकन किया।

सह-सचिव जगमोहन दवे ने बताया कि पूर्व छात्रों ने संघ कार्यालय में अपने समय के चित्रों का अवलोकन किया।

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