30 को गोल्ड मेडल, 39 को पीएचडी तो 23 को मिलेगी शिक्षा उपाधियां
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. कर्णसिंह का उदयपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के नेतृत्व में भव्य स्वागत किया गया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. कर्णसिंह का उदयपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के नेतृत्व में भव्य स्वागत किया गया।
रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, अरूण पानेरी, डॉ. एन.एस. राव, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ. शशि चितौड़ा, डॉ. दिलिप सिंह सहित विभागध्यक्ष एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। उन्होने बताया कि डॉ. कर्णसिंह आज विश्वविद्यालय की ओर से सातवें दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए उदयपुर आये है।
7वां दीक्षांत समारोह
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बताया कि विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह शनिवार को प्रातः 11 बजे प्रतापनगर स्थित परिसर में मनाया जायेगा।
समारोह के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद एवं पुर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. कर्णसिंह जम्मू कश्मीर होंगे। जिन्हे डी.लिट की उपाधि से नवाजा जायेगा। समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति एच.सी. पारीख होंगे जबकि विशिष्ठ अतिथि डी.पी. त्रिपाठी – सांसद राज्य सभा होंगे।
मुख्य समारोह सुबह 11 बजे प्रारंभ होगा। उपाधिधारियों को विभिन्न औपचारिकता पूरी करने के लिए प्रातः 09 बजे आकर अपना रजिस्टेªशन करवाना होगा जहां गाउन की व्यवस्था भी की गई है।
इन्हे मिलेगी उपाधियां
कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि समारोह में मुख्य अतिथि पद्मविभूषण डॉ. कर्णसिंह, कुलाधिपति एच.सी. पारीख के द्वारा 30 छात्रों को गोल्ड मेडल, 39 को पीएचडी तथा 23 को शिक्षा की उपाधि से नवाजा जायेगा।
समृद्ध है इतिहास
विश्वविद्यालय इस कार्यक्रम से अपने समृद्ध इतिहास को उजागर किया कि राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना उदयपुर में 1937 में रात्रिकालीन कक्षाओं के नाम से शुरू हुई इन कक्षाओं का उद्देश्य खेतीहर, मजदूर व नौकरीपेशा लोगों में शिक्षा का प्रचार प्रचार करना था। साथ ही मेवाड़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में गांव गांव में प्रौढ़ शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा, जनशिक्षण, पर्यावरण जनजागरण का भी प्रचार प्रसार करना प्रमुख कार्य रहा है इस हेतु पं. नागर ने सामुदायिक केन्द्र जनभारती की स्थापना की। जिस से शिक्षण दीक्षण के साथ रोजगार से भी ग्रामीण जनता को जोड़ने का कार्य किया।
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