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मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 33वां दीक्षान्त समारोह

राज्यपाल बागड़े ने विभिन्न संकायों के 255 शोधार्थियों को PhD की डिग्री एवं 109 विद्यार्थियों को प्रदान किए स्वर्ण पदक
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उदयपुर 22 दिसंबर 2025। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 33वां दीक्षान्त समारोह रविवार को आरएनटी मेडिकल कॉलेज सभागार में गरिमामय वातावरण में आयोजित हुआ। समारोह में विभिन्न संकायों के 255 शोधार्थियों को पीएचडी की डिग्री तथा 109 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री बागड़े द्वारा प्रदान किए गए। साथ ही फार्मेसी विभाग के नवनिर्मित ब्लॉक का लोकार्पण भी किया।

समारोह को संबोधित करते हुए राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि प्राचीन काल में गुरु और शिष्य परिवार के सदस्य होते थे, जिससे छात्र का सतत मूल्यांकन संभव होता था। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी सदा सत्य के मार्ग पर चले, धर्म का पालन करें और मानवता की भलाई के लिए कार्य करें। बागड़े ने कहा कि जनजाति क्षेत्रों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। परिवार में जब कोई व्यक्ति पढ़-लिखकर नौकरी हासिल करता है तो उसकी पूरी पीढ़ी का भविष्य संवर जाता है। इस दिशा में वंचित वर्ग को शिक्षा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। गरीबी केवल शिक्षा से ही दूर हो सकती है, इसके लिए समाज में शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।

उन्होंने कहा कि मेवाड़ का इतिहास शूरवीरों, मर्यादा और श्रेष्ठ संस्कारों का इतिहास है। शिक्षा में जीवन के विभिन्न आयामों और संस्कारों का समावेश होना चाहिए, तभी अच्छे नागरिक तैयार होंगे। बच्चों की शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास करना शिक्षा का मूल उद्देश्य है। विश्वविद्यालयों को देश-दुनिया की टॉप रैंकिंग में लाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए।

समारोह में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने दीक्षान्त संबोधन में कहा कि यह केवल डिग्री वितरण का अवसर नहीं है, बल्कि एक विद्यार्थी के निर्माण में अध्यापक, अभिभावक और संस्थान का सामूहिक समर्पण होता है। गुरु की कृपा से ही व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है और जब तक धरती पर मानव रहेगा, गुरु का सम्मान बना रहेगा। उन्होंने कहा कि इस समारोह में सर्वाधिक स्वर्ण पदक और पीएचडी बालिकाओं को मिली है, जो इस बात का संकेत है कि हमारा समाज सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

कटारिया ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल ज्ञान का भंडार भरना नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का विकास भी है। व्यक्ति कंपनियों के पैकेज से नहीं, बल्कि अपने जीवन मूल्यों से बड़ा बनता है। गुरु की सबसे बड़ी दौलत उसका सम्मान है। उन्होंने आह्वान किया कि ज्ञान का अधिक से अधिक उपयोग देश और समाज के हित में किया जाए तथा विकसित भारत मिशन 2047 के लिए सभी को योगदान देना चाहिए। शिक्षा के मंदिर को सेवा का मंदिर बनाना समय की आवश्यकता है।

उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु राज्य सरकार निरंतर प्रयत्नशील - डिप्टी सीएम बैरवा

दीक्षान्त समारोह में प्रदेश डिप्टी सीएम एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। सरकार के स्तर पर मजबूती के साथ नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं और साधनों के अभाव की पूर्ति के लिए सरकार कृतसंकल्पित है। शिक्षा जगत में मात्रात्मक सुधार के साथ-साथ गुणात्मक वृद्धि सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय चेतना में संस्कारों का विशेष महत्व है। शिक्षा में मूल्य चेतना होना परम आवश्यक है। शिक्षक अपने ज्ञान और आचरण से छात्रों के लिए अनुकरणीय आदर्श बनें। भारतीय परंपरा गुरु को भगवान मानती है, शिक्षक और विद्यार्थी के बीच शिक्षा की जो संधि होती है, उसका लाभ पूरे देश को मिलना चाहिए।

अवसर खोजने वाला नहीं बल्कि सृजित करने वाला बनें- राज्यमंत्री प्रो. बाघमार

सार्वजनिक निर्माण, महिला एवं बाल विकास विभाग की राज्यमंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षान्त समारोह का अर्थ केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि बदलते समय के साथ अपने ज्ञान को निरंतर नवीन बनाए रखना ही सच्ची शिक्षा है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश युवा शक्ति का देश है। डिग्री को केवल नौकरी या व्यक्तिगत स्वार्थ तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश और समाज वैश्विक परिवर्तन की दौड़ में पीछे न रह जाए, यह हम सभी की जिम्मेदारी है। शिक्षित और आत्मनिर्भर बेटियां विकसित भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। हमें अवसर खोजने वाले नहीं, बल्कि अवसर सृजित करने वाले बनना होगा। इससे पूर्व कुलगुरु प्रो. बी.पी. सारस्वत ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और प्रगति प्रतिवेदन पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, वल्लभनगर विधायक उदयलाल डांगी, गोगुंदा विधायक प्रताप गमेती सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न अकादमिक संकायों के विभागाध्यक्ष, शैक्षणिक स्टाफ तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं उनके परिजन उपस्थित रहे।

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