38वीं ऑल इंडिया सोशियोलॉजिकल कांफ्रेंस संपन्न
मानवीय रिश्ते बदले, यंत्रों का युग आया, नई समस्याएं उभरी जो सामाजिक परिवर्तन का कारण बना। हर रोज समाज में नए नए परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। हमारे सामने ऐसी घटनाएं घटित हो रही है, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की। इन घटनाओं ने समाज को ऐसी दिशा दी है, जो अब स्थाई हो चली है। इसमें परिवर्तन के लिए या इसमें बदलाव के लिए आवश्यक है कि अब हम ही पहल करें। इन कारणों का पता लगाए तथा नियमों का प्रतिपादन करें जो समाज हित में हो। उसमें बदलाव का कारण नहीं बने। यह निर्णय 38वीं सोशियोलॉजिकल कांफ्रेंस में देशभर से आए विशेषज्ञों ने लिया।
मानवीय रिश्ते बदले, यंत्रों का युग आया, नई समस्याएं उभरी जो सामाजिक परिवर्तन का कारण बना। हर रोज समाज में नए नए परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। हमारे सामने ऐसी घटनाएं घटित हो रही है, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की। इन घटनाओं ने समाज को ऐसी दिशा दी है, जो अब स्थाई हो चली है। इसमें परिवर्तन के लिए या इसमें बदलाव के लिए आवश्यक है कि अब हम ही पहल करें। इन कारणों का पता लगाए तथा नियमों का प्रतिपादन करें जो समाज हित में हो। उसमें बदलाव का कारण नहीं बने। यह निर्णय 38वीं सोशियोलॉजिकल कांफ्रेंस में देशभर से आए विशेषज्ञों ने लिया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. आईपी मोदी, सचिव राजेश मिश्रा थे। अध्यक्षता प्रो. भानू प्रताप मेहता ने की। इस अवसर पर कांफ्रेंस कॉर्डिनेटर प्रो. बलवीर सिंह और प्रो. पूरणमल यादव का सम्मान किया गया।
निर्णयों का निकालें निर्णय
सामाजिक परिवर्तन के अनेक कारण हैं। जो एक चरण में नहीं होते हैं। इस कारण जरुरी है कोई भी निर्णय प्राप्त हो, उसका निर्णय निकालना चाहिए। जब तक हमें हर पहलू का स्थाई समाधान प्राप्त नहीं हो जाए, तब तक इस स्थिति को नियमित रूप से अपनाना चाहिए। यह जानकारी सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. आईपी मोदी ने दी। उन्होंने सभी समाजशास्त्रीयों से आह्वान किया कि वे सामाजिक मुद्दों को गहनता से देखें। मामूली से मामूली बदलावों की भावी प्रतिक्रिया के अनुरुप देखने का प्रयास करें, तथा ऐसे ही शोध को शामिल करें जो समाज में भावी परिवर्तन पर आधारित हो।
700 पत्रों का वाचन
कांफ्रेंस कॉर्डिनेटर प्रो. बलवीरसिंह ने बताया कि इन तीन दिनों में 700 पत्रों का वाचन किया गया। इस सेमिनार में देश भर से 1500 से अधिक समाजशास्त्री जुटे थे। कला महाविद्यालय के 24 कमरों में एक साथ इन सत्रों का संचालन किया गया था। जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
सोशियोलॉजी में व्याख्याता जयपुर से आयी मंजू नावेरिया का कहना है कि वह भी सोशियोलॉजिकल डिपार्टमेंट में कई सालो से काम कर रही है ओर इसी के चलते वह बहुत जल्द ही मीडिया और यूथ करके मैगज़ीन राज्य स्तर पर निकालने वाली है जिसका विषय है ग्रामीण क्षेत्र में किस तरह से परिवारों और शादी शुदा लोगो की जिंदगी में क्या क्या बदलाव आये हैं। वह इससे पहले भी जयपुर में कई किताबे निकल चुकी है परन्तु इस वह राज्य स्तर पर मैगज़ीन निकाल रही हैं।
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