42 घंटे प्रभावी रहने वाला इन्सुलिन बाजार मेंं उपलब्ध


42 घंटे प्रभावी रहने वाला इन्सुलिन बाजार मेंं उपलब्ध

रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.एस.वी.मधु ने कहा कि मधुमेह रोगियों में हार्ट अटैक की प्रबल संभावना को देखतेे हुए कोलेस्ट्रोल कम करने की दवा स्टेटिन्स नामक दवा बहुत प्रभावी है और सुरक्षित भी है।

 

42 घंटे प्रभावी रहने वाला इन्सुलिन बाजार मेंं उपलब्ध

रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.एस.वी.मधु ने कहा कि मधुमेह रोगियों में हार्ट अटैक की प्रबल संभावना को देखतेे हुए कोलेस्ट्रोल कम करने की दवा स्टेटिन्स नामक दवा बहुत प्रभावी है और सुरक्षित भी है।

अधिकतर मरीजों का कोलेस्ट्रोलबढ़ा हुआ पाया जाए तो उन्हें यह दवा देनी चाहिये। इसके दुरगामी परिणाम काफी हद तक हार्ट अटैक व लकवा को रोकने में सहायक होते है।

वे रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया की ओर से राजस्थान व गुजरात राज्यों के चेप्टर की कोडिय़ात रोड़ स्थित होटल अनन्ता में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक डायबिटीज कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।

दिल्ली के डॉ. राजीव चावला ने हाल ही में देश में उपलब्ध हुए इन्सुलिन गेगलूडेग के प्रभाव के बारें मे जानकारी देते हुए बताया कि इस इन्सुलिन ये यह लाभ होता है कि शुरूआती अवस्था में जब इन्सुलिन की आवश्यकता होती है तो इसे लेने पर इसका असर 42 घ्ंाटे रहता है। इन्सुलिन की जरूरत होने वाले रोगियों द्वारा प्रारम्भिक अवस्था में एक बार के इन्सुलिन इंजेक्शन से ही प्रभावी नियंत्रण हो जाता है।

उन्होंने बताया कि अनुसंधानकर्ता ऐसे अनुसंधान में लग कर ऐसी कोशिकाओं को भी विकसित करने के प्रयास कर रहे है कि सामान्य पेनक्रियाज की कोशिकाओं की तरह ये कोशिकाएं जरूरत पडऩे पर इन्सुलिन शरीर में निकाले और शुगर कम होने पर इनसुलिन का स्त्राव बंद कर दे। प्रायोगिक तौर लेबोरेट्री में जानवरों पर इसका प्रयोग किया जा रहा हे जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है। ्र

कॉन्फ्रेन्स चेयरमेन डॉ. डी.सी.शर्मा ने बताया कि समारोह मेंं महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह पर चर्चा की गई। इसके रोकथाम पर यह सामने आया कि गर्भावस्था से पूर्व उन महिलाओं को अपना वजन संतुलित रखना चाहिये,जिनमें मधुमेह होने की संभावना दिखाई देती है। इस प्रकार उन्हें मधुमेह होने से रोका जा सकता है। यदि गर्भावस्था में मधुमेह हो भी जाता है तो मधुमेह के सख्त नियंत्रण से मां एवं बच्चे की सुरक्षा का पूर्ण इंतजाम किया जासकता है।

इस अवसर पर मधुमेह एवं डिप्रेशन पर चर्चा हुई जिसमें यह पाया गया कि मधुमेह के रहते लगभग 40 प्रतिशत रोग अवसाद से ग्रसित हो जाते है। अवसाद में काम आने वाली कुछ दवाईयों से भी मधुमेह नियंत्रण में मुश्किल आती है। मधुमेह,मानसिक तनाव एंव अवसाद तीनों रोगियों में एक साथ पाये जाते है तथा तीनों का नियंत्रण आवश्यक होता है।

इन्सुलिन देने की नयी विधि- सम्मेलन में इन्सुलिन पम्प थैरेपी पर आयोजित कार्यशााला में एक 25 वर्षीय टाईप वन मधुमेही रोगी को इन्सुलिन पम्प लगा कर इसकी विधि को सरलता से समझाया गया। मधुमेह में होने वाले पैरो के घावों डायबिटीक फुट व गेगरीन के कारणों, उपचार एंव बचाव पर विस्तृत चर्चा की गई।

खास तौर पर यह बात सामने आयी कि मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से अपने पैरों की देखभाल,शुगर नियंत्रण, सही तरीके के जूते एंव चप्पल का चयन, समय पर आवश्यक जांच एंव पैरोंमें घाव या छाले होने की शुरूआती अवस्था में ही सलाह लेने पर जोर दिया गया, ताकि इससे उत्पन्न होने वाले गेगरीन जैसे खतरे को टाला जा सके।

सम्मेलन के दूसरे दिन डॉ.के.के.पारीख, डॉ. गिरीश वर्मा, डॉ. डी.सी.शर्मा, डॉ. बंशी साबू,डॉ. आर.के.शर्मा,डॅा.जितेन्द्र नागर सहित अनेक चिकित्सकों के पत्रवाचन हुए। अंत में धन्यवाद डॉ. डी.सी.शर्मा ने ज्ञापित किया।

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