51 दिव्यांग व निर्धन जोडे बनेंगे हमसफर


51 दिव्यांग व निर्धन जोडे बनेंगे हमसफर

कहते हैं कि जोडियां आसमान में भगवान बनाता है मगर कभी-कभी निर्धनता और दिव्यांगता की वजह से जीवन के 16 संस्कारों में शामिल विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार में मुश्किलें और बाधाएं आ जाती हैं। जीवन के इस दुर्भाग्य को दूर करने व दाम्पत्य जीवन के माध्यम से ऐसे युवक-युवतियों के जीवन में खुशियों के रंग भरने का बीडा उठाया है उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान ने।

 
51 दिव्यांग व निर्धन जोडे बनेंगे हमसफर

कहते हैं कि जोडियां आसमान में भगवान बनाता है मगर कभी-कभी निर्धनता और दिव्यांगता की वजह से जीवन के 16 संस्कारों में शामिल विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार में मुश्किलें और बाधाएं आ जाती हैं। जीवन के इस दुर्भाग्य को दूर करने व दाम्पत्य जीवन के माध्यम से ऐसे युवक-युवतियों के जीवन में खुशियों के रंग भरने का बीडा उठाया है उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान ने।

संस्थान की ओर 2 व 3 सितम्बर को 29वां विशाल निःशुल्क सर्वधर्म दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह समारोह लियों का गुडा, बडी स्थित संस्थान के मुख्यालय में धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में संस्थान के निदेशक देवेन्द्र चौबीसा ने दी। प्रेसवार्ता में मीडिया प्रभारी विष्णु शर्मा हितैषी, दीपक मेनारिया, दल्लाराम पटेल एवं रोहित तिवारी भी उपस्थित थे।

देवेन्द्र चौबीसा ने बताया कि निःशुल्क सर्वधर्म दिव्यांग व निर्धन सामूहिक विवाह में देश के विभिन्न क्षेत्रों के 51 दिव्यांग जोडे विवाह सूत्र में बंधेंगे। समारोह की भव्य और व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। विवाह समारोह में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित देश के कई राज्यों के जोडे एक-दूसरे का हाथ थामेंगे। इनमें से कई जन्मजात अथवा दुर्घटनावश निःशक्तता का दंश झेलते हुए जीवन में अब तक सूनापन महसूस कर रहे थे। जिदंगी की जंग में अब उन्हें विश्वास की डोर थाम कर जीवनसाथी का सहारा मिल जाएगा।

नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि जो जोडे विवाह सूत्र में बंधेंगे, उनमें कोई पैरों से दिव्यांग है तो कोई हाथ से अशक्त हैं। किसी जोडे में एक दिव्यांग है तो दूसरा सकलांग। किसी का भावी जीवन साथी अपनी एक आंख से देख नहीं सकता है तो कोई पांव से अशक्त है। मगर मन में उमंगे लेकर वे बीते कल की कडवी यादों को भूल कर यहां से नए स्वर्णिंम जीवन की शुरुआत करेंगे। मायूसी के मंजर दूर होंगे, सपनों के पंखों को नए परवाज देंगे। विवाह समारोह में ऐसे भी जोडे शामिल हो रहे हैं जो घुटनों के बल या घिसट-घिसट कर चलते हैं मगर अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर ये सभी एक-दूसरे के पूरक बनकर खुशहाल गृहस्थी की नई शुरुआत करेंगे।

श्री अग्रवाल ने बताया कि विवाह स्थल पर 51 विवाह वेदियां तैयार की जा रही हैं। 51 पंडित मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में विवाह की विधि संपन्न करवाएंगे। विवाह समारोह में संत समुदाय की उपस्थिति रहेगी। शनिवार 2 सितम्बर को सांय 6 बजे सजी-धजी बग्घियों में बाजे-गाजे के साथ उदयपुर के टाउन हॉल से भव्य बिंदौलियां निकलेंगी। इसमें बाराती बने परिजन और देशभर से आने वाले संस्थान के सहयोगी, अतिथि व जन समुदाय नाचते-गाते चलेंगे। इसके पश्चात रविवार 3 सितम्बर प्रातः 10 बजे बडी स्थित मुख्यालय पर तोरण और वरमाला की रस्म होगी। शुभ मुहूर्त में पाणिग्रहण संस्कार आरम्भ होगा।

श्री अग्रवाल ने बताया कि विवाह स्थल पर 90 x 400 वर्गफीट का विशाल डोम बनाया जा रहा है। जोडों को घरों से लाने व छोडने के लिए संस्थान की ओर से वाहनों की व्यवस्था की जाएगी। विवाह समारोह के लिए रजिस्ट्रेशन समिति, आवास एवं भोजन व्यवस्था समिति, टेंट व्यवस्था समिति, स्वागत समिति, यातायात व्यवस्था समिति, बिन्दोली व्यवस्था समिति, सुरक्षा व्यवस्था समिति, सफाई व्यवस्था समिति, वर-वधू श्रृंगार समिति का गठन किया गया है।

श्री अग्रवाल ने बताया कि जोडों को गृहस्थी के लिए आवश्यक सामान के रूप में थाली, कटोरी, गिलास, स्टील की कोठी, बर्तन, कुकर, क्राकरी, सिलाई मशीन, डिनर सेट, गैस चूल्हा, कंबल, बेडसीट्स, तकिया, घडी, साडियां, पेंट-शर्ट्स, सोने का मंगलसूत्र, चांदी की पायल, बिछिया, अंगूठी आदि प्रदान किया जाएगा। वर-वधुओं को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए दिल्ली, मुंबई, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुडगांव, जोधपुर, इंदौर, आगरा, नागपुर, हैदराबाद, अलीगढ, पूना, राजकोट, देहरादून, पटना, बडौदा आदि शहरों से संस्थान के सहयोगी एवं अतिथिगण पधारेंगे। चयनित दिव्यांगों को ट्राइसाईकिल, व्हील चेयर, नारायण मोड्यूलर आर्टीफिशियल लिम्ब, बैसाखी, कैलिपर, श्रवण यंत्र, ब्रेल स्टिक व अन्य उपकरण निःशुल्क प्रदान किए जाएंगे।

श्री अग्रवाल ने बताया कि संस्थान अब तक 1250 से अधिक निर्धन एवं दिव्यांग जोडों की गृहस्थी बसा चुका है। अब वे बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। कई जोडों का परिचय निःशुल्क पोलियो करेक्शन ऑपरेशन के दौरान संस्थान में ही हुआ। यहीं नहीं, यहीं पर उन्होंने विभिन्न स्वरोजगारपरक प्रशिक्षणों के माध्यम से आत्म निर्भरता व स्वरोजगार की ओर कदम भी बढाए।

उल्लेखनीय है कि  दिव्यांग एवं निर्धन निःशुल्क विवाह समारोह वर्ष में 2 बार आयोजित किया जाता है। इससे पूर्व 15 जून 2014 को रामलीला मैदान दिल्ली में 92 जोडे व जनवरी 2016 में, दिल्ली में ही पंजाबी बाग में 101 निर्धन एवं दिव्यांग जोडे एक-दूसरे के हमसफर बने थे।

यह होंगे मांगलिक कार्यक्रम

2 सितंबर को सुबह 11 बजे गणपति स्थापना होगी। इसके बाद भामाशाह सम्मान समारोह होगा। दोपहर 12.30 बजे मेहंदी की रस्म होगी। शाम को 5 बजे भव्य बिंदौली निकाली जाएगी। इसी प्रकार 3 सितंबर को सुबह 10 बजे तोरण एवं वरमाला की रस्म होगी। दोपहर 12 बजे पाणिग्रहण संस्कार व 3 बजे विदाई की रस्म होगी। विवाह समारोह में संस्थापक चेयरमैन कैलाश मानव, संस्थापिका कमलादेवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल, जगदीश आर्य, देवेंद्र चौबीसा की मौजूदगी रहेगी।

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