51 दिव्यांग व निर्धन जोड़े थामेंगे एक-दूसरे का हाथ, तैयारियां पूरी, शाम को निकलेगी भव्य बिंदौली
शहनाइयों की मुबारक घडिय़ां, खुशियों और उल्लास की मंगल वेला अब बस एक दिन दूर रह गई है। विवाह स्थल के लिए विशाल पांडाल सज गया है, तैयारियां और उत्साह चरम पर हैं। दूल्हा-दुल्हन, दोस्त-रिश्तेदार, धर्म माता-पिता के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। यह शुभ अवसर है नारायण सेवा संस्थान द्वारा लियों का गुड़ा, बड़ी स्थित मुख्यालय में 2 व 3 सितम्बर को होने वाले 29वें विशाल नि:शुल्क सर्वधर्म दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह समारोह का। इसमें देशभर के 51 दिव्यांग जोड़े विवाह सूत्र में बंध नए जीवन की नई राहों पर कदम रखेंगे।
शहनाइयों की मुबारक घडिय़ां, खुशियों और उल्लास की मंगल वेला अब बस एक दिन दूर रह गई है। विवाह स्थल के लिए विशाल पांडाल सज गया है, तैयारियां और उत्साह चरम पर हैं। दूल्हा-दुल्हन, दोस्त-रिश्तेदार, धर्म माता-पिता के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। यह शुभ अवसर है नारायण सेवा संस्थान द्वारा लियों का गुड़ा, बड़ी स्थित मुख्यालय में 2 व 3 सितम्बर को होने वाले 29वें विशाल नि:शुल्क सर्वधर्म दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह समारोह का। इसमें देशभर के 51 दिव्यांग जोड़े विवाह सूत्र में बंध नए जीवन की नई राहों पर कदम रखेंगे।
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि समारोह की भव्य और व्यापक तैयारियां पूरी हो गईं हैं। सभी समितियों ने व्यवस्थाओं को पूर्ण करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी है। विवाह स्थल पर 90 ङ्ग 400 वर्गफीट में बनाए गए विशाल डोम सज गया है। जोड़ों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। स्वागत के बाद उन्हें संस्थान के वाहनों से विवाह स्थल तक लाया जा रहा है। समारोह में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित देश के कई राज्यों के जोड़े एक-दूसरे का हाथ थामेंगे। कई दूल्हा-दुल्हन जन्मजात या फिर किसी दुर्घटना की वजह से नि:शक्तता का दंश झेल रहे हैं तो कुछ में एक भावी जीवन साथी नि:शक्त है। अब शादी की मेहंदी जीवन के सूनेपन को सदा के लिए दूर कर नए रंगों से भर देगी।
श्री अग्रवाल ने बताया कि अशक्तता जीवन में कभी बांधा नहीं बननी चाहिए। किसी का भावी जीवन साथी अपनी एक आंख से देख नहीं सकता है तो कोई पांव से अशक्त है। मगर मन में उमंगे लेकर वे बीते कल की कड़वी यादों को भूल कर यहां से नए स्वर्णिंम जीवन की शुरुआत करने जा रहे हैं। घुटनों के बल चलने वाली जिंदगी अब जीवन साथी के सशक्त सहारे के बूते सरपट दौडऩे वाली है। विवाह स्थल पर 51 विवाह वेदियां तैयार हो गईं हैं मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में विवाह की सभी रस्में विधि विधान के साथ संत समुदाय की मौजूदगी व धर्म माता-पिता के आशीर्वाद के बीच संपन्न होंगी। शनिवार 2 सितम्बर को शाम 6 बजे सजी-धजी बग्घियों में गाजे-बाजे के साथ उदयपुर के टाउन हॉल से भव्य बिंदौलियां रवाना होंगी। इस अनूठे वैवाहिक समारोह में बाराती बन सभी परिजन और देशभर से आने वाले संस्थान के सहयोगी, अतिथि व जन समुदाय नाचते-गाते, उल्लास लुटाते चलेंगे। रविवार 3 सितम्बर को सुबह 10 बजे बड़ी स्थित मुख्यालय पर तोरण और वरमाला की रस्में संपन्न होंगी। शुभ मुहूर्त में पाणिग्रहण संस्कार होगा।
वर-वधुओं को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए दिल्ली, मुंबई, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुडग़ांव, जोधपुर, इंदौर, आगरा, नागपुर, हैदराबाद, अलीगढ़, पूना, राजकोट, देहरादून, पटना, बड़ौदा आदि शहरों से संस्थान के सहयोगी एवं अतिथिगण पधार चुके हैं। चयनित दिव्यांगों को ट्राइसाईकिल, व्हील चेयर, नारायण मोड्यूलर आर्टीफिशियल लिम्ब, बैसाखी, कैलिपर, श्रवण यंत्र, ब्रेल स्टिक व अन्य उपकरण नि:शुल्क प्रदान किए जाएंगे।
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