MPUAT में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को पुष्पाजंली का आयोजन

MPUAT में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को पुष्पाजंली का आयोजन 

महाराणा प्रताप की जयन्ति पर उन के जीवन से हमें महत्व पूर्ण बाते सीखनी चाहिए-कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड

 
MAHARANA

उदयपुर, 2 जून, 2022. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्य़ोगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के छात्र कल्याण निदेशालय के तत्वावधान में दिनांक 02.06.2022 को वीर शिरोमणी प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की 482 वी जन्म जयन्ती के अवसर पर, राजस्थान कृषि महाविद्यालय परिसर में स्थित  महाराणा प्रताप की रणाभूषणो से सुसज्जित अश्वारूढ प्रतिमा के समक्ष पुष्पाजंली दी गई।

राजस्थान कृषि महाविद्याालय परिसर में स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा के समक्ष विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड, अधिष्ठाता आरसीए, निदेशक अनुसंधान, निदेशक प्रसार शिक्षा, निदेशक आयोजना एवं परिवेक्षण, एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने महाराणा प्रताप को पुष्पाजंली अर्पित करते हुए स्मरण किया। छात्र कल्याण निदेशालय, अधिकारी डॉ. मुरतजा अली सलोदा ने बताया कि प्रातः समर्णीय महाराणा प्रताप की जन्म जयन्ती पर पुष्पाजंली कार्यक्रम मे एम पी यू ए टी के माननीय कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय वरिष्ठ अधिकारी परिषद के समस्त सदस्य , प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र छात्राए भी उपस्थित थे।

 इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड  ने कहा कि ‘‘महाराणा प्रताप की जयन्ति पर उन के जीवन से हमें महत्व पूर्ण बाते सीखनी चाहिए. उनके जीवन से हमे आत्म शक्ति, आत्म बल, आत्मानुशासन, दृढ इच्छा शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता, नेसर्गिक प्रतिभा मे निखार एवं लगन सीखनी चाहिए l उन्होने महाराणा प्रताप की युद्ध  प्रणाली को जीवन से जोडते हुए कहा कि ‘घर से बाहर निकलो, काम करो । आपने बताया कि किस प्रकार से प्रताप ने साहस और जन सहयोग के बल पर अपने स्वाभिमान के साथ मेवाड के गौरव को सदेव ऊॅचा रखा। 

इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिकारी ने महाराणा प्रताप को प्रातः स्मरणीय व स्वाधीनता का रक्षक बतातें हुए कहा कि उनका जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। उन्होने कृषि विकास के लिए भी अभूतपूर्व योगदान दिया था । महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1940 को हुआ। 1572 ई. में मेवाड रियासत के 13 वें महाराणा के रूप में राजगद्वी संभाली, महाराणा उदय सिंह, महाराणी जयवन्ता बाई के इस ज्येष्ठ पुत्र ने विश्वपटल पर मेंवाड की अपनी एक अलग लौ जलाई जो आजतक दैदिप्यमान हैं। महाराणा प्रताप को शौर्य पराक्रम और त्याग की प्रतिमुर्ती के रूप में जाना जाता हैं।

इस अवसर पर शहर के जाने माने मिनिएचर कलाकार चंद्र प्रकाश चित्तोडा ने  महाराणा प्रताप के कटाउट मे बनी पुस्तक माननीय कुलपति को भेंट की साथ ही महाराणा प्रताप पर प्रकाशित समाचारों एवं चित्रों के 82 फिट लम्बे संकलन को भी प्रदर्शित किया जिसकी सभी ने प्रसंशा कीl

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