तप कल्याणक का विरह दृश्य देख भक्तों के नेत्र हुए सजल

तप कल्याणक का विरह दृश्य देख भक्तों के नेत्र हुए सजल

पंच कल्याणक महोत्सव

 
tap kalyanak

जीवन की श्रेष्ठता को समझ तप से जीवन करे सार्थक: सुनील सागर

उदयपुर। शहर के सेक्टर 4 स्थित श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत शुक्रवार को तप कल्याणक की क्रियाएं आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में सुबह से लेकर शाम तक अति व्यस्त कार्यक्रम में पूर्ण हुई। तप कल्याणक के अंतर्गत बालक आदिकुमार से राजा बने भगवान ने मनुष्यों को असि, मसि, कृषि, शिल्प, वाणिज्य और कला की शिक्षाएं आमजन की जीवन यापन के लिए प्रदान की। 

उन्होंने लोगों को ईमानदारी, अनुशासन व धर्म परायण में रहते हुए जीवन बिताने का संदेश दिया। राजा के दरबार में नीलांजना का नृत्य देखकर वैराग्य उत्पन्न हुआ और दीक्षा लेने के लिए वन की ओर चल दिए। इसको देखकर माता मरु देवी अश्रुपूरित नेत्रों से भगवान को रोकने का प्रयास करती है। यह दृश्य देखकर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। वैराग्य के दृश्य से महिलाओं के नेत्रों से अश्रु धारा बहने लगी। तप कल्याणक आयोजन के दौरान सेशन जज शिवानी जौहरी, नारायण सेवा संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत अग्रवाल ने समारोह में गरिमामय उपस्थिति प्रदान की।

आचार्य सुनील सागर ने श्रावक-श्राविकाओं को तप का महत्व समझाते हुए कहा कि तप कल्याण के समय भगवान आदिकुमार की पालकी को उठाने को लेकर देवताओं और मनुष्यों मे विवाद हो गया। दोनों वर्ग पालकी उठाना चाहते थे। देवता लोग संयम धारण नही कर सकते अतः ये अधिकार मनुष्यों का है। इसलिए मनुष्यों को अपने जीवन की श्रेष्ठता को समझते हुए श्रेष्ठ तप द्वारा जीवन को सार्थक बनाना चाहिये।

के.के. जैन को हुमड़ गौरव सम्मान

पंच कल्याणक महोत्सव को सफल बनाने के लिए दिन - रात अपनी विभिन्न समितियों के साथ हर छोटी और बडी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे पंच कल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष कमल कुमार जैन का आज संपूर्ण जैन समाज की और से आचार्य श्री के सानिध्य मे अभिननंदन किया और हुमड गौरव से सम्मानित किया गया।


वैराग्य दृश्य देख आखों से बही अश्रुधारा

दोपहर में 32000 मांडलिक राजाओं की भव्य राज दरबार लगा और भगवान आदिकुमार का राज्याभिषेक किया गया। उसके पश्चात भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ प्रभु के वैराग्य दृश्यों का मंचन किया गया। किस प्रकार से राजा आदि कुमार को वैराग्य उत्पत्ति होती है और वह सांसारिक सुख को त्याग कर राजपाट को त्याग कर वन बिहार कर लेते हैं साथ ही आज अयोध्या नगरी के रूप में सज संवर कर तैयार हुए स्वयंवर गार्डन में परम पूज्य आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज द्वारा भगवान के दीक्षा संस्कार विधि को पूर्ण किया गया।

ब्रह्मचर्या व्रत किया ग्रहण

तप कल्याणक के दिन दो दीदीयो ने श्री फल भेट कर आजीवन ब्रह्मचर्या व्रत ग्रहण किया। इस माह महोत्सव में हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। शनिवार को केवल ज्ञान कल्याणक के रूप में इस माह महोत्सव का आयोजन किया जाएगा जिसमे विशेष आकर्षण भगवान का समवशरण होगा। यह जानकारी महा मंत्री भगवती लाल गोदावत ने दी।

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