मकड़ी के झाले के समान है शादी का झाला
साध्वी नीलांजना श्रीजी ने वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाड़ी में नियमित प्रवचन सभा में कहा कि मन तो गतिशील है। वो अनवरत चलता रहता है। मन में जो संकल्प एक बार आ जाये, वो पूरा करना चाहिए। किसी को पूछो तो महीने में 5 बार मंदि
साध्वी नीलांजना श्रीजी ने वासुपूज्य मंदिर स्थित दादाबाड़ी में नियमित प्रवचन सभा में कहा कि मन तो गतिशील है। वो अनवरत चलता रहता है। मन में जो संकल्प एक बार आ जाये, वो पूरा करना चाहिए। किसी को पूछो तो महीने में 5 बार मंदिर जाता हूँ। नियम कभी लिया नही, लूंगा भी नही क्योंकि नियम लिया, मतलब बंधन में आ गया
उन्होंने कहा कि जब आप शादी का नियम बांध सकते हो तो परमात्मा के दर्शन के लिए खुद को नही बांध सकते। पोटेशियम सायनाइड का स्वाद आज तक किसी को पता नही लेकिन शादी का स्वाद व्यक्ति रोज जानता है। मकड़ी अपने मुह से झाला बुनती है और खुद ही उसमें ऐसी बंधती है कि बाहर नही निकल पाती। शादी भी ऐसा ही झाला है।
आज के जमाने में वानप्रस्थ तो गायब हो गया। 50 की आयु के बाद सन्यास आश्रम आ जाता है लेकिन उस आयु में भी क्या वाकई में सन्यास आ जाता है। बंधे रहते हैं संसार में। सचिव प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि रविवार को उपासरे में जैना व्रत का आयोजन किया जाएगा। इसमें सभी श्रावक श्राविकाएं पूरे दिन उपासरे में ही सामायिक करेंगे।
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