मन के रावण को समाप्त कर राम को बसायें : आचार्य सुकुमालनन्दी
जिस प्रकार विधान की पूर्णाहूति में हवन किया जाता है, उसी प्रकार अपने जीवन की पूर्णाहूति से पहले अपने मन में स्थित समस्त विकारी भावों का हवन करना चाहिये। जिस प्रकार हवन की लपटें पूरे वातावरण को शुद्ध करती है उसी प्रकार अपने अन्दर के राग- द्वेष का दहन हो जाता है और पूरी आत्मा […]
जिस प्रकार विधान की पूर्णाहूति में हवन किया जाता है, उसी प्रकार अपने जीवन की पूर्णाहूति से पहले अपने मन में स्थित समस्त विकारी भावों का हवन करना चाहिये। जिस प्रकार हवन की लपटें पूरे वातावरण को शुद्ध करती है उसी प्रकार अपने अन्दर के राग- द्वेष का दहन हो जाता है और पूरी आत्मा शुद्ध हो जाती है तथा शुद्ध आत्मा परमात्मा में परिवर्तित हो जाती है। इसलिए अपने अहंकार का दहन करना चाहिये और भीतरी कषायों को मिटाना चाहिये।
उक्त उदगर आचार्यसुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में दस दिवसीय नवग्रह विधान व विश्वशांति महायज्ञ की पूर्णाहूति के अवसर पर व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि रावण का भी अहंकार के कारण ही पतन हुआ। आज तो हर मनुष्य में अहंकार, राग- द्वेष कूट-कूट कर भरा हुआ है तो उसकी गति क्या होगी। इसलिए अपने मन के रावण को समाप्त करें तो ही अपने हृदय में राम का भगवान का वास हो पाएगा।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि दस दिवसीय विधान की पूर्णाहूति के अवसर पर गणधर कुंड, तीर्थंकर कुण्ड, केवली कुण्ड बनाकर इन्द्र- इन्द्राणियों द्वारा हवन किया गया। 28 अक्टूबर को आचार्यश्री का आदिनाथ भवन में विशेष प्रवचन होगा। जिसमें जीवन में शिक्षा, वास्तु व ज्योतिष का क्या महत्व है, ज्योतिष व वास्तु कहां सही है, इस विषय पर भी जिज्ञासा का समाधान करेंगे। 28 की शाम को ही कौन बनेगा महावीर प्रतियोगिता आयोजित होगी। जिसमें प्रारम्भ में 1008 दीपकों से गुरूदेव की महाआरती होगी इसके बाद प्रतियोगिता में सही उत्तर देने वालों को प्रमोद-मधु चौधरी की ओर से स्वर्ण- रजत के आकर्षक ईनाम दिये जाएंगे। ज्ञातव्य है कि कौन बनेगा महावीर के सभी प्रश्न सुकुमाल प्रश्रमंजरी भाग प्रथम से पूछे जाएंगे।
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